Hello Friends, ज्ञान उदय में आपका स्वागत है । आज हम आपके लिए पॉलीटिकल साइंस 12th Class का छठा चैप्टर लेकर आए हैं, जिसका नाम है अंतरराष्ट्रीय संगठन International Organization इस चैप्टर को पढ़कर हम जानेंगे कि हमें अंतरराष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता क्यों है ।
अंतरराष्ट्रीय संगठन International Organization
जैसा कि आप जानते हैं, पहला विश्व युद्ध 1914 से 1918 के बीच हुआ । पहले विश्व युद्ध में जान माल का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ था । पहले विश्व युद्ध के बाद युद्धों को रोकने के लिए, दुनिया में शांति की स्थापना करने के लिए, सन 1919 में राष्ट्र संघ लीग ऑफ नेशन बनाया गया ताकि भविष्य में युद्ध ना हो । लेकिन 1939 में दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया और दूसरा विश्व युद्ध 1945 तक चलता रहा । यह पहले विश्व युद्ध से भी बहुत ज्यादा खतरनाक था । अब दुनिया युद्धों से तंग आ गई थी । किसी भी तरीके से शांति की स्थापना करना चाहती थी । क्योंकि अगर इसके बाद भी युद्ध होते तो या तीसरा विश्व युद्ध होता तो पूरी दुनिया ही बर्बाद हो जाती ।
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दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनिया के ज्यादातर देशों ने आपसी समझौता करके 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ (यूनाइटेड नेशन ऑर्गेनाइजेशन UNO) बनाया । संयुक्त राष्ट्र संघ, राष्ट्र संघ का उत्तराधिकारी होता है, क्योंकि यह राष्ट्र संघ के कमियों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया । हर चीज बनाने का एक उद्देश्य होता है, जैसे पंखा बनाने का उद्देश्य है हवा देना और बल्ब का उद्देश्य है रोशनी देना । इसीलिए इसी तरीके से अंतरराष्ट्रीय संगठन बनाए जाते हैं, दुनिया में शांति की स्थापना करने के लिए । और जब कोई चीज खराब हो जाती है तो वह अपने उद्देश्य में कामयाब नहीं हो पाती तो हमारे सामने दो रास्ते होते हैं या तो उस चीज को रिपेयर किया जाए या उस चीज को हटाकर कोई दूसरी या नई चीज लाई जाए । मिसाल के तौर पर पंखा है अगर पंखा खराब होता है तो उसको रिपेयर कर सकते या उसकी जगह कोई दूसरा पंखा ला सकते है । ठीक इसी तरीके से राष्ट्र संघ अपने उद्देश्य में कामयाब नहीं हो पाया था इसलिए राष्ट्र संघ को खत्म करके संयुक्त राष्ट्र संघ बनाया गया था ।
हम सब को अंतरराष्ट्रीय संगठन की जरूरत है ताकि दुनिया में समस्याओं का शांतिपूर्ण तरीके से समस्याओं का समाधान किया जा सके, आपसी बातचीत को बढ़ावा दिया जा सके, अंतरराष्ट्रीय कानून और संस्था बनाई जा सके और पूरी दुनिया का सहयोग हासिल किया जा सके । आज के दौर में अंतरराष्ट्रीय संगठन की हमें इसलिए भी जरूरत है कि इसके जरिए हम युद्ध को रोक सकते हैं ।
जैसा कि चर्चील कहा करते थे,
“हथियार लड़ाने से अच्छा है ज़ुबान लड़ाई जाए ।”
इसी तरीके से शशि थरूर ने भी कहा है कि
“दुनिया के अंदर एक ऐसी जगह हो या ऐसा मंच हो जहां पर दुनिया के सभी देश आपस में बैठकर एक दूसरे से बात करें और अपनी बातों से एक दूसरे का सर खाएं व निस्बत इसके की लड़ाई के मैदान में एक दूसरे का सर काटे”
अगर अंतरराष्ट्रीय संगठन ना हो तो बातचीत नहीं हो पाएगी और सीधे ही लड़ाई हो जाएगी । इसीलिए अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का होना बहुत जरूरी है । हमारा जो अंतरराष्ट्रीय संगठन है, उसका नाम है “संयुक्त राष्ट्र संघ” |
संयुक्त राष्ट्र संघ के 6 मुख्य अंग है ।
1 महासभा
2 सुरक्षा परिषद
3 सामाजिक आर्थिक परिषद
4 न्यायसिता परिषद
5 अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय
6 सचिवालय
1. महासभा
सबसे पहले हम महासभा के बारे में जानते हैं । महासभा यूएन (UN) का सबसे बड़ा भाग है,यानी बड़ा हिस्सा है ।जो भी देश यूएन का सदस्य होता है, वह महासभा का भी सदस्य होता है । वर्तमान में महासभा के सदस्यों की संख्या 193 है । इसकी बैठक साल में एक बार होती है । लेकिन आवश्यकता पड़ने पर और भी बैठक में बुलाई जा सकती हैं । महासभा का काम होता है, अंतरराष्ट्रीय समस्याओं पर विचार विमर्श करना । किसी देश को यूएन का सदस्य बनने की आज्ञा देना । महासभा किसी सदस्य की सदस्यता को खत्म भी कर सकता है । और महासभा सुरक्षा परिषद की सलाह से महासचिव को नियुक्त करना ।
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2. सुरक्षा परिषद
दूसरा अंग है सुरक्षा परिषद । सुरक्षा परिषद सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण अंग है । सुरक्षा परिषद को समझने के लिए इसके हिस्सों को समझना जरूरी है । इसको बहुत आसानी से समझा जा सकता है और ज्यादातर प्रश्न सुरक्षा परिषद से आते हैं । तो सुरक्षा परिषद को समझने के लिए ।
इस को तीन हिस्सों में बांट सकते हैं ।
अ. कार्य और शक्तियां
ब. संरचना और
स. निषेध अधिकार
अ. कार्य और शक्तियां
सबसे पहले हम कार्य और शक्तियों के बारे में जानते हैं सुरक्षा परिषद का पहला काम है विश्व शांति की स्थापना करना यूएन के सभी सदस्यों की सुरक्षा करना विवाद वाले देश को आपसी बातचीत के जरिए बढ़ावा देना विवाद वाले देशों के बीच मध्यस्थ कराना विवाद के समाधान के लिए विशेष दूत भेजना आक्रमणकारी देश के खिलाफ आर्थिक और सैनिक प्रतिबंध लगाना और आक्रामक कारी देश के खिलाफ सैनिक कार्यवाही करना
ब. संरचना
दूसरा है संरचना सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य होते हैं 10 अस्थाई और पांच स्थाई दस अस्थाई सदस्यों का चुनाव 2 साल के लिए महासभा के जरिए किया जाता है जबकि स्थाई सदस्य अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस रूस और चीन
स. निषेध अधिकार
तीसरा है निषेध अधिकार सुरक्षा परिषद में कोई भी फैसला लेने के लिए 15 में से 9 सदस्यों का सहमत होना जरूरी है और पांच स्थाई सदस्यों का सहमत होना जरूरी अगर पांच स्थाई सदस्यों में से एक सदस्य भी सहमत नहीं होता तो उस निर्णय को सहमति नहीं मिलती इसे कहते हैं निषेध अधिकार ।
3. सामाजिक आर्थिक परिषद
UN का जो तीसरा अंग है । वह है सामाजिक आर्थिक परिषद । यह अंग यूएन के पिछड़े देशों के सामाजिक आर्थिक विकास के लिए बनाई गया था । इस परिषद में कुल 54 सदस्य होते हैं, जिन्हें 3 साल के लिए महासभा के जरिए चुना जाता है । यह परिषद सामाजिक आर्थिक विकास से जुड़े सारे काम करती हैं । इसीलिए इस परिषद के अधीन काफी सारी एजेंसियां भी काम करती हैं । जैसे WHO डब्ल्यूएचओ, UNICEF यूनीसेफ, ILO आईएलओ ।
4. न्यायसिता परिषद
और जो चौथा अंग है । वह न्यायसिता परिषद । न्याय सीता परिषद भी UN यूएन का एक अंग है । और इसे संरक्षण परिषद भी कहते हैं । यह परिषद अपने अधीन दिए गए देशों को इस योग्य बनाने की कोशिश करते हैं कि वह अपना शासन खुद चला सके । परन्तु काफी लंबे समय से इस परिषद के अधीन कोई नहीं है इसलिए इस परिषद को खत्म कर दिया गया ।
5. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय
इसके बाद आता है पांचवा अंग अंतरराष्ट्रीय न्यायालय । अंतरराष्ट्रीय न्यायालय यूएन का एक न्यायिक अंग है । इस न्यायालय में कुल 15 न्यायाधीश होते हैं, जिन्हें 9 साल के लिए सुरक्षा परिषद और महासभा के द्वारा चुना जाता है । इनमें से 5 न्यायाधीशों का कार्यकाल हर 3 साल बाद समाप्त हो जाता है । अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के तीन काम है । जैसे हर देश के लिए न्यायालय होता है । उसी तरीके से पूरी दुनिया के लिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय बनाया गया है । जैसे एक देश में एक न्यायालय कुछ काम करता है, न्याय से संबंधित । किसी भी बात की पुष्टि करना, विवादों का समाधान करना, राष्ट्रपति को कानूनी सलाह देना और संविधान की व्याख्या करना । जिस तरीके से एक न्यायालय किसी देश के लिए करता है, उसी तरीके से अंतरराष्ट्रीय न्यायालय भी पूरी दुनिया के लिए काम करता है । जिसके तीन बड़े-बड़े काम हैं ।
A. दो देशों के बीच कानूनी विवादों की पुष्टि करना ।
B. सुरक्षा परिषद और महासभा को कानूनी सलाह देना ।
C. अंतरराष्ट्रीय कानून और संधियों की व्याख्या करना ।
6. सचिवालय
यूएन का जो आखिरी अंग है । वह है सचिवालय । सचिवालय एक प्रशासनिक अंग है और सचिवालय में बड़ी संख्या में कर्मचारी कार्य करते हैं । सचिवालय के मुखिया को महासचिव कहा जाता है और महासचिव को चुना जाता है महासभा और महा परिषद के द्वारा । महा सचिव का काम होता है यूएन की सभी बैठकों में भाग लेना । यूएन के सभी आदेशों को लागू करना और शांति दूत के रूप में काम करना । महासचिव सुरक्षा परिषद का ध्यान ऐसे विषयों की तरफ आकर्षित करता है जिससे विश्व शांति खतरे में पड़ सकती है ।
1991 के बाद दुनिया में आये बदलाव
अब हम यह जानते हैं कि 1991 के बाद दुनिया के अंदर कौन-कौन से बदलाव आए । 1991 के बाद शीत युद्ध खत्म हो गया । सोवियत संघ का विघटन हो गया और अमेरिका का वर्चस्व आ गया । चीन तेजी से आगे बढ़ने लगा । भारत भी इसी दिशा में अग्रसर है । एशिया की अर्थव्यवस्था तेजी से विकास करती जा रही है । बहुत सारे नए देश UN के सदस्य बन गए हैं और अब यूएन के सामने और भी नई नई चुनौतियां पैदा हो गई हैं । यूएन के जितने भी अंग हैं उनमें सबसे ज्यादा जो कमज़ोर अंग है, वह सुरक्षा परिषद है । सन 1992 में यू एन के महासभा के अंदर एक प्रस्ताव पेश किया गया था ।
सुरक्षा परिषद संबंधित शिकायतें
इस प्रस्ताव में सुरक्षा परिषद से जुड़ी 3 शिकायतों के बारे में बताया गया है ।
पहली शिकायत यह है कि सुरक्षा परिषद के सदस्य की संख्या बहुत कम है ।
दूसरी शिकायत थी कि सुरक्षा परिषद में पश्चिमी देशों का दबदबा पाया जाता है । और
तीसरी शिकायत थी कि सुरक्षा परिषद में बराबर का प्रतिनिधित्व नहीं है यानी सभी सदस्यों को बराबर शक्ति नहीं दी गई है । स्थाई सदस्य को ज्यादा शक्ति दी गयी है और अस्थाई सदस्यों को कम शक्ति दी गई है ।
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सुरक्षा परिषद की सदस्यता के लिए मापदंड
सन 1997 में यूएन के जो महासचिव थे, कोफी अन्नान उन्होंने जांच कराई और जांच के बाद कुछ मापदंड तय किए । यानी कि जो देश इन मापदंडों पर खरा उतरेगा उसे सुरक्षा परिषद का सदस्य बना दिया जाएगा । मापदंड यानी शर्त अब
1. पहली शर्त थी कि बड़ी आर्थिक शक्ति होनी चाहिए
2. दूसरी, बड़ी सैनिक शक्ति होनी चाहिए और यूएन के बजट में ऐसे देशों का योगदान होना चाहिए ।
3. तीसरी शर्त, मानव अधिकार और लोकतंत्र का सम्मान करता हो । सांस्कृतिक विभिन्नता होनी चाहिए । पूरी दुनिया की संस्कृति को अपनाता है और जनसंख्या के लिहाज से देश की ज्यादा होनी चाहिए ।
जो देश इन शर्तों को पूरा करेगा या खरा उतरेगा उसे सुरक्षा परिषद का स्थाई या अस्थाई सदस्य बनाया जा सकता है ।
यूएनओ को महत्वपूर्ण बनाने के लिए उठाए गए कदम
अब 2005 में यूएन के 7 साल पूरे हुए इस मौके पर एक स्पेशल बैठक बुलाई गई । जिसमें बदलते हुए हालात के मुताबिक यूएनओ को और ज्यादा महत्वपूर्ण बनाने के लिए कुछ कदम उठाए गए । जैसे शांति स्थापना आयोग की स्थापना की गई और अगर कोई देश अपने नागरिकों को अत्याचारों से बचाने में नाकाम होता है तो दुनिया के शक्तिशाली देश इसकी जिम्मेदारी लेंगे । मानव अधिकार परिषद की स्थापना की जाएगी । जो कि 2006 में हो चुकी है । लोकतंत्र कोष का गठन किया गया जो लोकतंत्र में बढ़ावा देगा । आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की गई । न्यायसिता परिषद को पूरी तरह से समाप्त करने पर सभी देश सहमत हो गए थे । इस तरीके से यूएन के अंदर धीरे-धीरे करके सुधार करने की कोशिश की गई ।
यूएनओ (UNO) में सुधार के प्रति भारत का दृष्टिकोण
लेकिन हमारे भारत का नजरिया थोड़ा अलग रहा है । यूएन को सुधार को लेकर हमारा भारत शुरू से ही यूएन का सदस्य रहा है और भारत यह चाहता है कि समकालीन परिस्थितियों में यानी कि आजकल यूएन ज्यादा बड़ी भूमिका निभा सके । इसके लिए यूएन के कार्य और शक्ति में सुधार करना बहुत जरूरी है । भारत का यह मानना है कि सुरक्षा परिषद की जो सदस्य संख्या है बहुत कम है । सुरक्षा परिषद पूरी दुनिया का प्रतिनिधित्व नहीं करता है इसलिए इसके स्थाई और अस्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए । भारत का यह कहना है कि सुरक्षा परिषद में पश्चिमी देशों का दबदबा पाया जाता है । विकसित देशों का दबदबा पाया जाता है । इसलिए विकासशील देशों के महत्व में भी बढ़ोतरी होनी चाहिए । भारत का यह भी मानना है कि भारत को सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता मिलनी चाहिए क्योंकि भारत के अंदर दुनिया की 17% जनसंख्या रहती है । भारत के अंदर लोकतंत्र भी है और भारत शांति प्रिय देश भी है और भारत का यह भी कहना है कि यूएन के विकास पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना चाहिए क्योंकि गरीबी सबसे बड़ी चुनौती है ।
एक ध्रुवीय विश्व में यूएन की स्थिति
अब यह जो दुनिया है इस वक्त पूरी दुनिया एक ध्रुवीय है । एक ध्रुवीय विश्व में यूएन, यूएसए USA के सामने कमजोर पड़ गया है । सन 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया । सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका एक मात्र शक्ति बचा अब वह यू एन के किसी भी फैसले की अनदेखी कर सकता है । जैसे 2003 में अमेरिका ने इराक पर हमला किया और यूएन की परमिशन भी नहीं ली । यानी कि अमेरिका ने यह देखा है कि वह यूएन से भी ज्यादा ताकतवर है शक्तिशाली है । और यूएन भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता । यूएनओ का जो ज्यादातर खर्चा है वह अमेरिका के जरिए खर्च किया जाता है लगभग 22% यूएन का खर्च अमेरिका द्वारा उठाया जाता है । इसका मतलब यह हुआ कि अमेरिका की मदद के बिना यूएनओ चल नहीं सकता । यू एन ओ का मुख्यालय अमेरिका में मौजूद है, इसीलिए अमेरिका के नागरिक यूएनओ के बड़े बड़े अधिकारी हैं । यूएन के द्वारा अमेरिका के नागरिकों को ध्यान में रखते हुए सारी पॉलिसी बनाई जाती हैं । और फैसले लिए जाते हैं । अमेरिका को सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता मिली हुई है तो वह अपने खिलाफ किसी भी प्रस्ताव को वीटो किए जरिए रोक सकता है ।
भारत की स्थाई सदस्यता का समर्थन
हम भारत के नागरिक हैं और हम सब चाहते हैं कि भारत को सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता मिले । लेकिन हमें कुछ तर्क देने होंगे भारत के पक्ष में ताकि भारत को स्थाई सदस्यता आसानी से मिल सके । इसमें कई तरीके के समर्थन दिए जा सकते हैं । जैसे भारत में दुनिया की 17% जनसंख्या रहती है यानी भारत के बिना सुरक्षा परिषद अधूरी है यूएन अधूरा है तो भारत को स्थाई सदस्यता मिलनी चाहिए । भारत के अंदर लोकतंत्र है और भारत मानव अधिकारों का सम्मान भी करता है । इसलिए भारत को स्थाई सदस्यता मिलनी चाहिए भारत हमारा सैनिक रूप से शक्तिशाली है और शांतिप्रिय देश भी है । इसलिए भारत को स्थाई सदस्यता जरूर मिलनी चाहिए इसके अलावा भारत के अंदर सांस्कृतिक विभिन्नता भी पाई जाती है भारत पूरी दुनिया की संस्कृति को दिखाता है इस वजह से भी भारत को स्थाई सदस्य मिलनी चाहिए । यानी कि उपरोक्त जितनी भी सहरत है वह भारत द्वारा पूरी की जाती है ।
अब जरा हम कुछ संस्थाओं के विषय में बात कर लेते हैं जैसे कि ह्यूमन राइट्स वॉच एमनेस्टी इंटरनेशनल डब्ल्यूटीओ आईएएस वर्ल्ड बैंक आईएमएफ
संस्थाएं (Institutions)
मानव अधिकारों की रक्षा (Human Rights Watch.) ह्यूमन राइट वॉच
मानवाधिकार संगठन (Amnesty international) एमनेस्टी इंटरनेशनल
विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन
अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अभिकरण (International Atomic Energy Agency) IAEA
विश्व बैंक (World Bank)
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) IMF
1. पहले बात करते हैं हम मानव अधिकारों की रक्षा (ह्यूमन राइट वॉच) के बारे में । ह्यूमन राइट्स वॉच एक गैर सरकारी संस्था है । जो मानव अधिकारों की रक्षा के लिए आंदोलन चलाती है । मानव अधिकारों के उल्लंघन की और मीडिया का ध्यान आकर्षित करती है । बाल सैनिकों के प्रयोग को रोकने के लिए आंदोलन चलाती है और बारूदी सुरंग पर भी रोक लगाने के लिए आंदोलन चलाती है । इसी तरीके की एक और संस्था है जिसका नाम है ।
2. मानवाधिकार संगठन (Amnesty international) । एमनेस्टी इंटरनेशनल एक मशहूर एनजीओ है जो कि ब्रिटिश वकील पीटर पेंशन ने बनाई थी । एमनेस्टी इंटरनेशनल मानव अधिकारों के लिए एक रिपोर्ट तैयार करती है और एमनेस्टी इंटरनेशनल धर्म और जाति के आधार पर गिरफ्तार किए गए लोगों को छुड़ाने की कोशिश करती है । इस बात की भी कोशिश करती है कि धर्म और जाति के आधार पर जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनकी मुकदमों की सुनवाई खुली अदालत में हो उसकी पहल करती है । और मानव अधिकार को लेकर जागरूकता लाने की कोशिश करती है ।
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3. अब जरा हम जानते हैं, विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) डब्ल्यूटीओ के बारे में । डब्ल्यूटीओ का मतलब है विश्व व्यापार संगठन वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन लेकिन पहले डब्ल्यूटीओ नहीं था उससे पहले गेट था विश्व में, दुनिया में व्यापार को तेजी से बढ़ावा देने के लिए 1948 में गेट जनरल एग्रीमेंट रेड एंड चीफ नाम का एक संस्था बनाई । और जिन देशों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए वह आपसी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए, सीमा शुल्क को कम करने के लिए सहमत हुए । जब सीमा शुल्क कम हुआ तो व्यापार तेजी से बढ़ेगा जिससे आपसी व्यापार को तेजी से बड़ा मिलता है । लेकिन 1995 में गेट समझौते को खत्म कर दिया गया और उसकी जगह पर डब्ल्यूटीओ बनाया गया । WTO व्यापार को बढ़ावा देता है, व्यापार की रुकावट को दूर करता है और व्यापार से जो संबंधित नियम हैं उन नियमों का निर्माण करता है । और अगर व्यापार को लेकर किसी तरीके के कोई विवाद पैदा होता है या झगड़ा होता है तो उन विवाद और झगड़ों का निपटारा आसानी से यह करता है । हालांकि यो के अंदर 150 देश सदस्य हैं । लेकिन इसमें विकसित देशों का प्रभाव ज्यादा है और विकसित देश अपने फायदे के नियम बनाने की कोशिश करते हैं । इसलिए विकसित देशों को फायदा व्यापार में ज्यादा फायदा होता है और विकासशील देशों को बहुत कम फायदा हो पाता है ।
4. अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अभिकरण (International Atomic Energy Agency) IAEA अब हम जरा जानते हैं IAEA के बारे में । इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी अवश्य सुना होगा परमाणु का इस्तेमाल करके बनाया जा सके मिसाइल बनाई जा सकती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि परमाणु का इस्तेमाल सिर्फ हथियार बनाने के लिए किया जाता है बल्कि परमाणु का इस्तेमाल बिजली बनाने में भी बहुत ज्यादा किया जाता है और परमाणु के इस्तेमाल से बहुत बड़े पैमाने पर बिजली बनाई जा सकती है । आज जितने भी विकसित देश है आगे बढ़ रहे हैं वह परमाणु ऊर्जा के बल पर आगे बढ़ रहे हैं । अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी बनाई गई थी 1957 में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी तीन काम करती है ।
A. परमाणु ऊर्जा के शांति पूर्ण उपयोग को बढ़ावा देती है यानी परमाणु का उपयोग बम बनाने में न किया जाए बल्कि बिजली बनाने में इसका इस्तेमाल किया जाए । और
B. आईएईए अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी परमाणु ऊर्जा को सैनिक उपयोग को रोकने की कोशिश करती है ।
C. आईएस ए अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी दुनिया में जितने भी परमाणु केंद्र हैं उनकी जांच करती है, कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी देश ने बिजली बनाने के नाम पर, परमाणु ऊर्जा का उपयोग बम बनाने में कर रहे हैं । तो ऐसे में जांच पड़ताल करनी पड़ेगी कि कहीं किसी देश में यूरेनियम या परमाणु ऊर्जा का गलत इस्तेमाल तो नही रहा या फिर बम बनाने के लिए तो नहीं हो रहा ।
इसलिए परमाणु ऊर्जा एजेंसी दुनिया में जहां जहां परमाणु केंद्र वहां जाकर जांच करती है और पुष्टि करती है ताकि उनका इस्तेमाल सिर्फ बिजली बनाने में ही किया जाए बम बनाने में ना किया जाए ।
5. विश्व बैंक (World Bank) अब हम जरा जानते हैं, वर्ल्ड बैंक के बारे में । वर्ल्ड बैंक विश्व बैंक की स्थापना 1945 में की गई थी । विश्व बैंक विकासशील देशों में आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए बिजली पानी सड़क के लिए ऋण (Loan) देता है । इसके अलावा गरीब देशों को आर्थिक अनुदान भी देता है ।
6. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) अब हम जान लेते हैं IMF के बारे में । अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बारे में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष दुनिया के अर्थव्यवस्था के संबंध में बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है । यह संस्था दुनिया की व्यवस्था की देखरेख करती है यानी ग्लोबल फाइनेंस करती है । और यह दुनिया की व्यवस्था को भी चलाती है । इस संस्था में 187 सदस्य हैं, लेकिन सभी देशों के मतों का मूल्य बराबर नहीं है । जैसे कि अमेरिका के पास 17.4 प्रतिशत है और विकसित देशों के पास ज्यादा मत है इसलिए इस संस्था में विकासशील देशों के मतों की कोई Value नहीं है ।
यूएनओ (UNO) के सुधार में बाधाएं
अब हम बात करते हैं UN में सुधार की । यूएन के अंदर सुधार करने के लिए बहुत सारे सुझाव दिए गए थे लेकिन उन सुझावों पर आज तक काम नहीं हो पाया यानी उन सुधारों को अच्छी तरीके से लागू नहीं कर पाए । दरअसल सुझावों को लागू करने के रास्ते में बहुत सारी रुकावटें हैं । जैसे कि यूएन में शक्तिशाली देशों के पास ज्यादा शक्तियां हैं । शक्तिशाली देश नहीं चाहते कि यूएन के अंदर सुधार हो क्योंकि उनकी शक्तियां कम हो सकती हैं । जिस तरीके से “बिल्ली अपने गले में घंटी कभी नहीं बांध सकती ।” उसी तरीके से शक्तिशाली देश नहीं चाहते कि UN में सुधार हो । यानी कि “जिस घर के बड़े ठीक नहीं होते हैं वह घर अच्छे तरीके से नहीं चलता”
इसी तरीके से दुनिया के जो शक्तिशाली देश हैं, बड़े देश हैं वह ठीक नहीं है । तो दुनिया अच्छी तरीके से नहीं चल सकती । तो जो शक्तिशाली देश है वह खुद ही अपने अंदर सुधार नहीं करना चाहते । इसलिए यूएन के अंदर सुधार नहीं हो पाता । यूएनओ का जो ज्यादातर खर्च है वह शक्तिशाली देशों के जरिए किया जाता है । जैसे कि अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन इसलिए शक्तिशाली देशों के बिना UNO को चलाया नहीं जा सकता । और आज के इस दौर में यूएनओ के मुकाबले अमेरिका ज्यादा शक्तिशाली हो चुका है । जिससे UN के सुधार में बहुत ज्यादा रुकावट आने लगी है ।
यूएनओ (UNO) का महत्व या प्रसंगिकता
हालांकि यू एन युद्धों को रोकने में और युद्धों से जो परेशानियां पैदा होती हैं उन्हें रोकने में नाकाम रहा है । लेकिन फिर भी दुनिया के ज्यादातर देश इसे बनाए रखना चाहते हैं । क्योंकि यूएन पूरी दुनिया की एक पंचायत है । यहां पर पूरी दुनिया के लोग आकर बैठते हैं । अपनी समस्याओं का समाधान करते हैं । इसलिए UN को बहुत जरूरी माना जाता है । यूएन के जरिए अमेरिका और बाकी दुनिया के बातचीत को बढ़ावा दिया जाता है और यूएन के जरिए सामाजिक आर्थिक विकास को भी बढ़ावा दिया जाता है । और आज दुनिया के सामने बहुत सारी नई नई चुनौतियां आती हैं । जैसे पर्यावरण प्रदूषण, आतंकवाद, वैश्विक ताप वृद्धि इन सारी समस्याओं का समाधान करने के लिए पूरी दुनिया का सहयोग बहुत जरूरी है । इसलिए UN को आज भी बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है ।
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