Nation, Nationality and State : Meaning and Difference
दोस्तों ज्ञानउदय में आपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम बात करेंगे । ‘राष्ट्र, राष्ट्रीयता और राज्य के बारे में और साथ ही साथ जानेंगे, इन तीनों के बीच क्या अंतर है ? तो आइए देखते हैं ।
साधारण शब्दों में अगर कहा जाए तो राष्ट्र, राष्ट्रीयता तथा राज्य को अधिकतर एक ही अर्थ में माना जाता रहा है । लेकिन अगर इसको पारिभाषिक दृष्टि से देखें तो, यह तीनों आपस में एक दूसरे से बिलकुल अलग है और इनकी अपनी अलग परिभाषा है ।
तो आइए सबसे पहले हम इनका मतलब जान लेते हैं । फिर हम इनके अंतर के बारे में बात करेंगे ।
राष्ट्र (Nation)
राष्ट्र अंग्रेजी भाषा के Nation शब्द का हिंदी रूपांतरण है और इसको लैटिन भाषा में Natus के नाम से जाना जाता है । जिसका मतलब होता है, जाति और जन्म । यानी धर्म, जाति, संस्कृति इन सब विचारों पर जिनके द्वारा एक होने की भावना पैदा होती है, वहाँ राष्ट्र का निर्माण होता है । आइए जानते हैं, अलग-अलग विद्वानों के विचारों के बारे में उन्होंने राष्ट्र के बारे में क्या कहा है ? वह राष्ट्र को किस रूप में देखते हैं ?
गार्नर के अनुसार
“राष्ट्र सांस्कृतिक रूप से संगठित और एक समरूप है । ये सामाजिक समूह है, जिसे अपने मनोवैज्ञानिक जीवन की एकता और अभिव्यक्ति का ज्ञान है और जो इसके प्रति चेतन और दृढ़ हैं ।”
ब्राइस ने राष्ट्र के बारे में कहा है ।
“राष्ट्रीय एक राष्ट्रीयता है । जिसने अपने को एक राजनीतिक समूह के रूप में संगठित कर लिया है और जो स्वाधीन है । या स्वाधीनता का इच्छुक हो ।”
ए. ई. जिमरन के अनुसार
“राष्ट्र ऐसे लोगों का समूह है, जो घनिष्ठता, अभिन्नता और प्रतिष्ठा की दृष्टि से संगठित हो और एक मात्र भूमि से संबंधित हैं ।”
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अगर आसान भाषा मे कहा जाए तो राष्ट्र उसे कहते हैं, जो धर्म, भाषा, जातीयता, नस्ल क्षेत्र, संस्कृति परंपरा, समान अतीत और एक समान भविष्य एंव साझापन के विचारों पर एक होने की भावना को निर्मित करे । जो लोगों का संगठन और समुदाय बनायेगा । उससे बने हुए समुदाय को राष्ट्र कहा जाता है ।
राष्ट्रीयता (Nationality)
अगर हम बात करें राष्ट्रीयता की तो, इसकी कोई निश्चित परिभाषा दे पाना कठिन है । क्योंकि आरंभ में राष्ट्रीयता को जातीय वंश के नाम से संबोधित किया जाता था और वर्तमान में इसको मनुष्य की भावनाओं के नाम से भी जाना जाता है । आइए जान लेते हैं कि अलग-अलग विद्वानों ने राष्ट्रीयता के बारे में क्या कहा है ।
जे. एच. रोज के अनुसार
“राष्ट्रीयता स्वयं की वह एकता है, जो एक बार बन जाए । बन जाने के बाद कभी नहीं टूटती ।”
गिलक्राइस्ट ने राष्ट्रीयता के बारे में कहा है कि
“राष्ट्रीयता एक आध्यात्मिक भावना है । जिसकी उत्पत्ति उन लोगों से होती है । जो साधारण तथा एक जाति के होते हैं । एक भूभाग पर रहते हैं तथा जिनका एक भाषा, धर्म व इतिहास है ।”
अगर साधारण शब्दों में कहा जाए तो, राष्ट्रीयता व्यापक अर्थों में राष्ट्र से संबंधित है । जिसमें भौगोलिक, संस्कृति, परंपरा, धार्मिक, ऐतिहासिक, आर्थिक हितों की एकता को सम्मिलित किया जाता है । इसमें राजनीति आकांक्षाओं की एकता और शासन की एकता का मिश्रण मिलता है ।
राज्य (State)
आइये अब जानते हैं, राज्य के बारे में । राज्य को राजनीति में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि राज्य नीतियों को बनाता है और उन्हें लागू करता है ।
अलग अलग विचारकों ने राज्य के बारे में अपने विचार दिए हैं । उदारवादियों के अनुसार राज्य समझौते से बना है, जबकि मार्क्स के अनुसार राज्य शोषण को बढ़ावा देता है ।
राज्य के मुख्य 4 तत्व होते हैं ।
1 भूमि
2 जनसंख्या
3 सरकार
4 प्रभुसत्ता
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जाने राज्य और इसके मुख्य अंगों के बारे में ।
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जानें कौटिल्य के राज्य संबंधी विचारों के बारे में ।
राष्ट्र तथा राष्ट्रीयता में अंतर (Difference between Nation and Nationality)
आइए अब जानते हैं, राष्ट्र और राष्ट्रीयता में अंतर के बारे में । वास्तव में जब एक राष्ट्रीयता अपने को एक राजनीतिक इकाई के रूप में स्वतंत्र या स्वतंत्र होने की इच्छा से संगठित रूप देने लगे तो, वह राष्ट्र में परिवर्तित होने लगती है ।
गिलक्रिस्ट के अनुसार
“राष्ट्र एक राष्ट्रीयता और राज्य का मिश्रण है ।”
अंतर Difference
राष्ट्र सांस्कृतिक अवधारणा को दर्शाता है तो, राष्ट्रीय मानसिक अवधारणा के बारे में बताता है ।
वर्तमान में राष्ट्र का प्रयोग राज्य के अर्थ में किया जाता है, परंतु राष्ट्रीयता से राज्य का ज्ञान नहीं होता ।
राष्ट्र का आधार राष्ट्रीयता है । परंतु राष्ट्रीयता का आधार राष्ट्र नहीं है ।
राज्य तथा राष्ट्र में अंतर (Difference in State and Nation)
राष्ट्र का स्वरूप आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक होता है । जबकि राज्य का स्वरूप एक राजनीतिक संगठन होता है |
राष्ट्र का आधार भावना और राज्य का आधार भौतिक समूह होता है ।
राष्ट्र के निर्माण के तत्व भौगोलिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक होते हैं । जबकि राज्य के निर्माण के लिए जनसंख्या, भूभाग, सरकार और प्रभुसत्ता बेहद जरूरी है ।
राज्य की एक निश्चित सीमा होती है । राष्ट्र की कोई सीमा निर्धारित नहीं ।
राज्य संप्रभुसत्ता संपन्न होता है और राष्ट्र में संप्रभुसत्ता की आवश्यकता नहीं होती ।
राज्य में राष्ट्रीयता की भावना होना जरूरी नहीं होती । लेकिन राष्ट्र के लिए यह बहुत आवश्यक है ।
राज्य की अवधारणा एक ठोस वैज्ञानिक सत्य के ऊपर आधारित है । परंतु राष्ट्र की अवधारणा अमूर्त और अवैज्ञानिक है ।
राष्ट्र हेतु स्वतंत्रता आवश्यक नहीं है । परंतु राज्य के लिए स्वतंत्रता जरूरी होती है ।
तो दोस्तो अपने जाना राज्य, राष्ट्र और राष्ट्रीयता के बारे में । इनके बीच अंतर के बारे में । अगर Post अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के सतह ज़रूर Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!