Positive Liberty in Hindi
Hello दोस्तों ज्ञानोदय में आपका एक बार फिर स्वागत है । आज हम आपके लिए लेकर आए हैं । एक अलग Topic जिसका नाम है, ‘सकारात्मक स्वतंत्रता’ यानी कि Positive Liberty. इस Post के जरिए हम जानेंगे स्वतंत्रता की सकारात्मक भावना के बारे में । असल में स्वतंत्रता क्या है ? सकारात्मक स्वतंत्रता के जो मुख्य विचारक हैं । वह है टी. एच. ग्रीन, लास्की, हॉबहाउस और मैकाईवर थे । इन विद्वानों ने सकारात्मक स्वतंत्रता के पक्ष को महत्वपूर्ण माना था और इस पर अपने महत्वपूर्ण विचार दिए ।
स्वतंत्रता का अर्थ
सबसे पहले जानते है स्वतंत्रता क्या है ? स्वतंत्रता को अंग्रेजी में Liberty कहते हैं जोकि liber शब्द से बना है जिसका मतलब होता है ‘बंधनों का अभाव’ । इस तरह स्वतंत्रता उस वातावरण को कहते हैं, जो बंधनों के अभाव में दी जाती है । स्वतंत्रता के अर्थ के संबंध में कई विचारक एकमत नहीं है । जैसे हाउस के अनुसार बंधनों के अभाव को स्वतंत्रता कहते हैं । रूसो के अनुसार सामान्य इच्छा के पालन करने में ही स्वतंत्रता है ।
इस तरह स्वतंत्रता अनेक अर्थ वाली अवधारणा है । स्वतंत्रता का विकास समय के साथ-साथ धीरे-धीरे हुआ । प्रारंभिक उदारवाद में स्वतंत्रता के लिए बंधनों के अभाव को आवश्यक माना है । इस युग में लोग तानाशाही सरकार से संघर्ष कर रहे थे । इसलिए लोगों ने बंधनों से मुक्ति, प्रतिनिधि सरकार राजनीतिक स्वतंत्रता, सामाजिक स्वतंत्रता पर बल दिया ।
सकारात्मक स्वतंत्रता
सकारात्मक स्वतंत्रता का मतलब होता है, किसी व्यक्ति में कोई काम करने की योग्यता और क्षमता का होना । अगर आपके अंदर कोई कमी नहीं है, यानी आपके पास किसी काम को करने की योग्यता है, क्षमता है तो यह आपकी सकारात्मक स्वतंत्रता है ।
इसे हम उदाहरण से समझ सकते हैं । एक लड़का है, वह स्कूल जाना चाहता है । उसके पास शिक्षा का अधिकार है । अर्थात वह विद्यालय जा सकता है । उसके ऊपर कोई बाहरी प्रतिबंध नहीं लगा हुआ, तो हम कहेंगे उसके पास नकारात्मक स्वतंत्रता है ।
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लेकिन इसके साथ साथ अगर वह सक्षम है । अगर वह इस लायक है कि पढ़ाई कर सकता है यानी उसमें पढ़ाई की योग्यता है, तो हम कहेंगे उनके पास सकारात्मक स्वतंत्रता है । अर्थात उसके पास योग्यता है, क्षमता है, उस काम को करने की जो कि अंदरूनी होती है । उसे हम सकारात्मक स्वतंत्रता कहते हैं ।
टी.एच. ग्रीन के अनुसार
“स्वतंत्रता एक बहुत अच्छी चीज है, परंतु यदि स्वतंत्रता के नाम पर अनुचित कामों को करने की छूट व्यक्ति को दे दी जाए, तो स्वतंत्रता और स्वेच्छाचार में कोई अंतर नहीं होगा ।”
उन्होंने कहा है कि व्यक्तियों को हर काम करने की छूट नहीं दी जा सकती । अगर किसी व्यक्ति को छूट दी जाती है, तो यह स्वतंत्रता नहीं है, बल्कि स्वेच्छा बन जाएगी यानी खुद की इच्छा से किया जाने वाला कार्य ।
अगर किसी व्यक्ति को रोका न जाए तो वह हर तरह के काम करेगा, चाहे वह ग़ैरकानूनी क्यों न हो ! हस्तक्षेप का अभाव नकारात्मक स्वतंत्रता होती है । ग्रीन के अनुसार असली स्वतंत्रता वह है, जो एक सकारात्मक स्वतंत्रता है । जिसका अर्थ है, वांछनीय कार्यों को करने की सुविधा ।
सकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थकों ग्रीन और लास्की के अनुसार स्वतंत्रता का अर्थ, बंधनों का अभाव नहीं है, बल्कि अवसरों का होना मानते हैं ।
टी. एच. ग्रीन के अनुसार स्वतंत्रता की एक नई परिभाषा है । उन्होंने कहा कि राज्य एक नैतिक संस्था है । राज्य के उद्देश्य और व्यक्ति की स्वतंत्रता के उद्देश्य इनके बीच में कोई भी विरोध नहीं है ।
ग्रीन के शब्दों में सकारात्मक स्वतंत्रता का अर्थ
ग्रीन के अनुसार स्वतंत्रता का जो अर्थ है, प्रतिबंधों का अभाव नहीं है । उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता बंधनों का अभाव नहीं है । जिस प्रकार कुरूपता का अभाव सौंदर्य को नहीं कहा जा सकता । वैसे ही प्रतिबंधों का अभाव को हम स्वतंत्रता नहीं कह सकते । ग्रीन ने स्वतंत्रता का वास्तविक अर्थ बताते हुए कहा कि उन कार्य को करने या सुखों का भोगने का अधिकार व्यक्ति को होना चाहिए जो वास्तव में वह भोगनीय योग्य है । ग्रीन के अनुसार सभी बुराइयों को समाप्त करने के लिए होना चाहिए जो व्यक्ति की स्वतंत्रता तथा उसके विकास में बाधा को आती है । जैसे गरीबी अशिक्षा और नशा करना ।
ग्रीन के अनुसार यदि राज्य अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था करता है, तो यह उसकी स्वतंत्रता का अधिकार नहीं होगा । बल्कि उससे उन दशाओं का निर्माण होगा, जिसके लिए व्यक्ति की विकास आवश्यक है और राज्य अगर शिक्षा अनिवार्य की व्यवस्था करता है, तो उसके द्वारा व्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन नहीं होगा । बल्कि उन दशाओं का निर्माण होगा जिसके द्वारा व्यक्ति अपनी शिक्षा के द्वारा विकास को प्राप्त कर सकता है । तो इस प्रकार राज्य और व्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच में हम देखते हैं कोई भी भेद नहीं है ।
लास्की के अनुसार स्वतंत्रता
अगर हम बात करें लास्की के बारे में तो लास्की ने दोस्तों स्वतंत्रता के बारे में उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता एक ऐसे वातावरण को बनाए रखने का नाम है, जिसमें व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा आत्म विकास के अवसर मिल सकें ।
हर तरह के कार्य को करने की सुविधा का नाम स्वतंत्रता नहीं है । लास्की ने कहा है कि हर प्रकार के कार्य हैं । उसको हम स्वतंत्रता का नाम नहीं दे सकते । उदाहरण के रूप में चोरी करना स्वतंत्रता नहीं हो सकती, क्योंकि इससे व्यक्ति के ऊपर ही नहीं बल्कि समाज के अन्य लोगों के ऊपर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है । उन्होंने कहा कि केवल ऐसे कार्य को करने के लिए सुविधा मिलनी चाहिए जो व्यक्ति के खुद के विकास के लिए आवश्यक है और मददगार बने ।
तो दोस्तों यहां पर स्वतंत्रता की जो मुख्य बातें निकल कर आई हैं । सकारात्मक स्वतंत्रता की वह यह बताता है कि मनुष्य और राज्य के बीच कोई विरोधाभास नहीं है, बल्कि यह दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं और आवश्यक भी हैं और सहयोगी हैं और सकारात्मक स्वतंत्रता का वास्तविक अर्थ है, उन सुख सुविधाओं का लाभ उठाने का अधिकार होना चाहिए, जिसके लिए वह व्यक्ति योग्य हैं और अपने आर्थिक विकास के लिए जो भी स्वतंत्रता आवश्यक है, ना कि ऐसे अधिकार की स्वतंत्रा जिनके द्वारा व्यक्ति की समाज के अन्य लोगों को नुकसान हो, उनके अधिकारों को हनन हो ।
तो सकारात्मक स्वतंत्रता ऐसा वातावरण है, जिसमें व्यक्ति अपने विकास के लिए अवसर पैदा कर सकता है । प्राप्त कर सकता है । जुआ खेलना, चोरी करना, स्वतंत्रता नहीं कही सकती और ना ही व्यक्ति को इस तरह की स्वतंत्रता का वास्तविक अधिकार है ।
तो दोस्तों ये था, सकारात्मक स्वतंत्रता । अगर आपको ये Post अच्छी लगी तो अपने दोस्तों के साथ Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!