Scope of International Politics
Hello दोस्तों ज्ञान उदय में आपका स्वागत है और आज हम बात करते हैं, अंतरराष्ट्रीय राजनीति के अंतर्गत उसके विषय क्षेत्र (Scope of International Politics in Hindi) के बारे में । अंतरराष्ट्रीय राजनीति के अंतर्गत राज्य और देशों के संबंध में अध्ययन किया जाता है । आज हम अंतरराष्ट्रीय राजनीति के क्षेत्र के बारे में बात करेंगे, तो चलिए जानते हैं आसान भाषा में ।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति का विषय क्षेत्र
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति का विषय क्षेत्र बढ़ता ही जा रहा है । आज इसका विषय क्षेत्र काफी व्यापक हो गया है, जिसके अंतर्गत कई महत्वपूर्ण विषयों का अध्ययन किया जाता है, जो कि निम्नलिखित हैं ।
1 विभिन्न प्रतिक्रियाओं का अध्ययन
अंतरराष्ट्रीय राजनीति के विषय क्षेत्र में विभिन्न बदलाव आज भी इसका मुख्य केंद्र बिंदु राज्य को मानते हैं । बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति राज्यों के मध्य अंतर क्रियाओं पर आधारित होती है । प्रत्येक राज्य को अपने राष्ट्रीय हितों की पूर्ति के लिए अंतरराष्ट्रीय राजनीति की सीमाओं में रहकर ही कार्य करने पड़ते हैं, लेकिन इन कार्यों के अलावा विभिन्न राज्यों में संघात्मक व सहयोगात्मक दोनों ही प्रकार की प्रतिक्रियाएं होती रहती हैं । इन्हीं प्रतिक्रियाओं तथा इनसे जुड़े अन्य पहलुओं का अध्ययन ही, अंतरराष्ट्रीय राजनीति के अध्ययन की प्रमुख सामग्री माने जाते हैं ।
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2 शक्ति संघर्षों के अध्ययन
अंतरराष्ट्रीय राजनीति का दूसरा महत्वपूर्ण कारक शक्ति का अध्ययन करना है । द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कई दशकों तक विशेषकर शीत युद्ध काल में यह माना गया कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति का प्रमुख उद्देश्य शक्ति संघर्षों का अध्ययन करना ही मुख्य है । परंतु विचारक और लेखक जिनमें यथार्थवादी विशेषकर मरगेन्थऊ शक्ति को अति महत्वपूर्ण मानते हैं । उनके अनुसार
“अंतरराष्ट्रीय राजनीति केवल राज्यों के बीच शक्ति हेतु संघर्ष है ।”
मरगेन्थऊ शक्ति को ही एकमात्र कारण मानते हैं ।
जिस पर संपूर्ण अंतरराष्ट्रीय राजनीति अथवा परस्पर राज्यों के संबंधों की नीव टिकी हुई है । परंतु यह सत्य नहीं है, शायद इसलिए हम देखते हैं कि शीत युद्ध के बाद के युग में शक्ति संघर्ष के साथ-साथ आर्थिक, सामाजिक, संस्कृतिक आदि संबंध भी उतने ही महत्वपूर्ण बन गए हैं । हालांकि इस तथ्य को भी पूर्ण रूप से नहीं नकारा जा सकता की शक्ति आज भी अंतरराष्ट्रीय राजनीति के अध्ययन का एक महत्वपूर्ण विषय है ।
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3 विभिन्न अंतराष्ट्रीय संगठनों का अध्ययन
अंतरराष्ट्रीय राजनीति का एक अन्य कारक अंतरराष्ट्रीय संगठनों का अध्ययन करना भी माना जाता है । आधुनिक युग राज्य के बीच बहुपक्षीय संबंधों का युग है । राज्यों के इनके मध्य संबंधों के संचालन में अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है । यह अंतरराष्ट्रीय संगठन राज्यों के मध्य आर्थिक, सामाजिक, भौगोलिक, सैन्य, सांस्कृतिक आदि, क्षेत्रों में सहयोग के मार्ग प्रस्तुत करते हैं ।
वर्तमान संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र के अतिरिक्त विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय संगठन जैसे कि विश्व बैंक, मुद्रा कोष, विश्व व्यापार संगठन, नाटो, यूरोपीय संघ, दक्षेश, आसियान, रेड क्रॉस, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनेस्को आदि । अंतरराष्ट्रीय राजनीति के अध्ययन का प्रमुख विषय बन गए हैं ।
4 युद्ध व शांति संबंधित कार्यों का अध्ययन
युद्ध और शांति की गतिविधियों का अध्ययन भी आज अंतरराष्ट्रीय राजनीति का अभिन्न अंग बन गया है । यह सच है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति ना तो पूर्ण रूप से सहयोग तथा ना ही पूर्ण रूप से संघर्षों पर आधारित है । अतः मतभेद व सहमति अंतरराष्ट्रीय राजनीति के सहचर हैं । इन दोनों की उपस्थिति का अर्थ यह है कि युद्ध और शांति दोनों की प्रतिक्रियाएं विद्यमान हैं । विभिन्न मुद्दों पर आज भी राष्ट्रों के मध्य युद्ध के विकल्प को नहीं त्यागा जा सकता । शीत युद्ध के साथ-साथ राज्यों के बीच प्रत्यक्ष युद्ध आज भी हो रहे हैं । वर्तमान युग के विकास व हथियार के अति आधुनिकतम टेक्नोलॉजी के रूप के कारण आज युद्ध और भी भयानक हो गए हैं ।
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युद्ध आज प्रारंभ होने पर यह दो राष्ट्रों के लिए ही घातक नहीं, अपितु संपूर्ण मानवता का विनाश कर सकते हैं । इसीलिए युद्ध को रोकने हेतु शांति प्रयासों पर अत्यधिक बल दिया जाता है । इसीलिए इन युद्ध व शांति के पहलुओं का अध्ययन करना ही अंतरराष्ट्रीय राजनीति का प्रमुख विषय आवश्यक बन गया है ।
5 विदेश नीतियों का प्रभाव का अध्ययन
अंतरराष्ट्रीय राजनीति वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से राज्य अपने राष्ट्रीय हितों का संवर्धन एवं अभिव्यक्ति करता है । यह प्रक्रिया केवल एक समय ही ना होकर निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है तथा इस प्रक्रिया का प्रकटीकरण राज्यों के विदेश नीतियों के माध्यम से होता है तथा अंतरराष्ट्रीय राजनीति के अध्ययन में विदेश नीतियों का आकलन एक अभिन्न अंग बन गया है । इसके अलावा राज्यों की इन विदेश नीतियों के स्वरूप से ही अंतरराष्ट्रीय राजनीति के स्वरूप में भी बदलाव आता है ।
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इन्हीं के कारण विश्व में शांति व सहयोग अथवा युद्ध की परिस्थितियों को जन्म मिलता है । न केवल वर्तमान बल्कि भावी अंतरराष्ट्रीय राजनीति का स्वरूप भी इन्हीं राज्यों के आपसी संबंधों की प्रगाढ़ता एव तनाव पर निर्भर करता है । अतः विभिन्न विदेश नीतियों का अध्ययन व आकलन की अंतरराष्ट्रीय राजनीति का महत्वपूर्ण विषय क्षेत्र है ।
6 अंतरराष्ट्रीय कानूनों का अध्ययन
राष्ट्रों के मध्य सुचारू रूप से संगठित और स्पष्ट संबंधों के विकास हेतु कुछ नियमावली का होना अति आवश्यक है । अतः राज्य के परस्पर व्यवहार को नियमित करने हेतु अंतरराष्ट्रीय कानूनों की आवश्यकता होती है । इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय राजनीति के सुचारू स्वरूप एवं भविष्य के दिशा-निर्देश हेतु भी इनकी आवश्यकता होती है । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युद्धों को रोकने, शांति स्थापित करने, हथियारों की होड़ को रोकने, संसाधनों का अत्यधिक दोहन ना करने, भूमि समुंदर व आंतरिक को सुव्यवस्थित रखने, आदि ।
विभिन्न विषयों पर भी राज्य की गतिविधियों को सुचारू करने हेतु भी अंतर्राष्ट्रीय विधि का होना बहुत आवश्यक है । अतः अंतरराष्ट्रीय राजनीति के अध्ययन हेतु अंतरराष्ट्रीय कानूनों का समावेश भी आवश्यक हो गया है । इसके विषय में भी अंतरराष्ट्रीय राजनीति का क्षेत्र विषय को बढ़ावा मिलता है ।
7 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों का अध्ययन
राज्यों की गतिविधियों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक मुद्दों का अध्ययन भी काफी महत्वपूर्ण रहा है । परंतु शीतयुद्ध के संघर्षों के कारण 1945 से 1991 तक राजनीतिक मुद्दे ज्यादा अग्रणी रहे हैं । वर्तमान में आर्थिक मुद्दे अति महत्वपूर्ण हो गए हैं तथा राजनीतिक मुद्दे गौण हो गए हैं । वर्तमान भूमंडलीकरण के दौर में ज्यादातर राज्य आर्थिक सुधारों, उदारवाद मुक्त व्यापार, आदि के दौर से गुजर रहे हैं । ऐसी स्थिति में आर्थिक गतिविधियों का अध्ययन अति महत्वपूर्ण हो गया है ।
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आज संयुक्त राष्ट्र की राजनीतिक इकाइयों की बजाय विश्व व्यापार संगठन, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, आदि अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं । अब राजनीतिक विचारधाराओं के स्थान पर नए अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, उत्तर दक्षिण संवाद, विकासशील देशों में कर्ज की समस्या, व्यापार में भुगतान संतुलन, बाह्य पूंजी निवेश, संयुक्त उद्यम, आर्थिक सहायता आदि । विषय भी अत्यधिक महत्व के हो गए हैं । अतः अंतरराष्ट्रीय राजनीति में इन आर्थिक संस्थाओं, संगठनों व कारकों का अध्ययन करना अनिवार्य हो गया है ।
8 गैर सरकारी संगठनों का अध्ययन
अंतरराष्ट्रीय राजनीति के वर्तमान स्वरूप में यह स्पष्ट है कि अब इन विषय के अंतर्गत राज्यों के अतिरिक्त गैर सरकारी संगठनों की भूमिकाएं भी महत्वपूर्ण होती जा रही हैं । दूसरी अंतरराष्ट्रीय राजनीति के बढ़ते विषय क्षेत्र के साथ-साथ इसमें कार्य करने वाली संस्थाओं और संगठनों का विकास भी हो रहा है । तीसरे अब अंतरराष्ट्रीय राजनीति के अंतर्गत कई महत्वपूर्ण मुद्दे भी आ रहे हैं । जो मानवता हेतु ध्यानाकर्षण योग्य बन गए हैं ।
इन सभी कारणों से अंतरराष्ट्रीय राजनीति के अध्ययन का दायरा भी विकसित होता जा रहा है । आज इसमें राजनीति की ही नहीं बल्कि गैर राजनीतिक विषय जैसे पर्यावरण, नारीवाद, मानव अधिकार, ओजोन परत का घटना, मादक द्रव्यों की तस्करी, गैरकानूनी व्यापार, शरणार्थीओं दद्वारा विस्थापितों की समस्याओं, आदि भी महत्वपूर्ण हिस्सा बनते जा रहे हैं । इसके साथ-साथ गैर सरकारी संगठनों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती जा रही है ।
विभिन्न स्तरों पर राज्यों के विभिन्न मुद्दों से जुड़े कई स्थानीय व क्षेत्रीय संगठन भी आज अंतरराष्ट्रीय राजनीति को प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से प्रभावित करते हैं । अंतरराष्ट्रीय राजनीति के दायरे में मात्र परंपरागत विषय क्षेत्र तक सीमित न रहकर समसामयिक विषयों को भी सम्मिलित कर लिया जाता है । इसलिए इन सभी समस्याओं, संगठनों, पहलुओं आदि का अध्ययन भी आज अंतरराष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण हो गया है ।
अतः इस प्रकार कहा जा सकता है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति का विषय क्षेत्र बहुत व्यापक होने के साथ-साथ विकास की ओर अग्रसर है । इसके अंतर्गत विभिन्न परंपरागत कारकों के साथ-साथ गैर परंपरागत कारकों का भी अध्ययन महत्वपूर्ण होता जा रहा है ।
तो दोस्तों यह था अंतरराष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करने बाले कारक अंतरराष्ट्रीय राजनीति के अंतर्गत उसका विषय क्षेत्र । (Scope of International Politics) अगर आपको यह Post अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!