Emergency Provisions in India
Hello दोस्तो ज्ञानउदय में आपका स्वागत है, आज हम बात करेंगे भारत में आपातकाल संबंधी उपबंधों (Emergency Provisions in India what is emergency situation in hindi) के बारे में । इस Post में हम जानेंगे भारतीय संविधान में आपातकाल संबंधी महत्वपूर्ण अनुच्छेद कौन कौन से हैं, आपातकाल के प्रकार, इसकी घोषणा के प्रकार, आपातकाल के प्रभाव और राष्ट्रपति शासन के बारे में और अब तक के आपातकाल । तो जानते है आसान शब्दों में ।
आपातकाल क्या है ?
किसी भी देश में आपातकाल ऐसी स्थिति है, जो किसी विपत्ति या संकट की ओर इशारा करता है, जो बाह्य या आन्तरिक कारणों से उत्पन्न हो सकती है । जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर युद्ध, आक्रमण, सूखा, बाढ़, अकाल आदि को शामिल किया जाता है । इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार सभी कामों को छोड़कर देश में आपातकाल की घोषणा करती है, और आपातकाल से निपटने पर ध्यान देती है । आपातकाल के दौरान सभी राज्य केंद्र के पूर्ण नियंत्रण में आ जाते हैं ।
पढें राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों के बारे में Click here
भारतीय संविधान में भाग 18 में अनुच्छेद 352 से 360 तक आपातकालीन उपबंध के बारे में बताया गया है । आपातकाल को तीन प्रकार से विभाजित किया गया है, हमारे भारत में तीन प्रकार के आपातकाल को निम्न परिस्थितियों में किसी भी समय लागू किए जा सकता है ।
आपातकाल के प्रकार
1) युद्ध बाह्य आक्रमण– अनुच्छेद 352
2) राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के कारण राष्ट्रपति शासन– अनुच्छेद 356
3) वित्तीय स्थायित्व के कारण– अनुच्छेद 360
आपातकाल की घोषणा के प्रकार
आपातकाल के अलग अलग प्रकार होने के कारण इसकी घोषणा भी अलग अलग तरीके से की जाती हैं । आपातकाल की स्थिति में राष्ट्रपति द्वारा विभिन्न परियोजनाएं जारी की जा सकती हैं । यह उपबंध 1975 के 38 वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया है ।
राष्ट्रपति की शक्तियों के बारे में और उनकी निर्वाचन प्रणाली के बारे में ।
जब घोषणा युद्ध अथवा दूसरे देशों द्वारा बाहर से आक्रमण के आधार पर की जाती है, तब इसे बाह्य आपातकाल कहते हैं ।
जब घोषणा सशस्त्र विद्रोह (आंतरिक गड़बड़ी) के आधार पर की जाती है, तब इसे आंतरिक आपातकाल कहते हैं । आंतरिक गड़बड़ी को 1978 के 44वें संविधान संशोधन द्वारा सशस्त्र विद्रोह नाम रखा गया है ।
आपातकाल को लागू करने के लिए मंत्रिमंडल की लिखित सिफारिश के बाद ही राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है ।
आपातकालीन घोषणा के एक माह बाद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित (Approved) हो जानी चाहिए । (लेकिन संवैधानिक व वित्तीय संकट में उसकी समय सीमा 2 महीनो के अंदर रखी गई है । आपातकालीन घोषणा लोकसभा के विघटन के समय ही की जाती है ।
कार्यपालिका (Parliamentary Executive) के बारे में जानने के लिए यहाँ Click करें ।
दोनों सदनों के अनुमोदन (Approval) के बाद यह घोषणा और छह महीने तक रहती है । तथा प्रत्येक 6 माह में इसे बढ़ाया जा सकता है । अनुमोदन के लिए 2/3 बहुमत होना आवश्यक है ।
आपातकालीन घोषणा की समाप्ति
जिस तरह से आपातकाल की घोषणा की जाती है उसी प्रकार से इसकी समाप्ति की भी घोषणा राष्ट्रपति द्वारा की जाती है । राष्ट्रपति एक दूसरी उद्घोषणा पर आपातकालीन स्थिति को समाप्त कर सकता है । इसमें संसद के अनुमोदन (approval) की आवश्यकता नहीं होती ।
आपातकालीन स्थिति के प्रभाव
आपातकाल स्तिथि के दौरान केंद्र और राज्यों सरकार के संबंधों पर प्रभाव पड़ता है ।
अधिकारों पर भी प्रभाव पड़ता है । कुछ अधिकार आपातकाल की स्थिति में समाप्त हो जाते हैं । आपातकालीन स्थिति में राज्य अनुच्छेद 19 द्वारा 6 मूल अधिकारों को कम करने अथवा हटाने के लिए कानून बना सकता है ।
लोक सभा तथा राज्य विधानसभा के कार्यकाल पर प्रभाव पड़ता है ।
आपातकालीन स्थिति लोकसभा का कार्यकाल 5 साल से एक समय में 1 वर्ष के लिए या ज्यादा बढ़ सकता है । लेकिन आपातकाल बंद होने के बाद यह स्थिति 6 माह से ज्यादा नहीं बढ़ सकता है ।
पांचवी लोकसभा (1971 से 1977) का कार्यकाल दो बार एक समय में 1 वर्ष के लिए बढ़ाया था । ऐसी स्थिति में राज्य विधानसभा का भी कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है ।
मूल अधिकारों पर प्रभाव
आपातकालीन स्थिति में राज्य अनुच्छेद 19 द्वारा 6 मूल अधिकारों को कम करने अथवा हटाने के लिए कानून बना सकता है । आपातकाल समाप्ति के बाद अनुच्छेद 19 दोबारा से लागू हो जाता है । ये 6 मूल अधिकार युद्ध अथवा बाहरी आक्रमण के दौरान ही कम हो सकते हैं लेकिन सशस्त्र विद्रोह के दौरान नहीं हो सकते ।
कुछ महत्वपूर्ण अनुच्छेद
आपातकाल से संबंधित संविधान के कुछ महत्वपूर्ण अनुच्छेद, जो कि आपातकाल के बारे में बताते हैं ।
352-आपातकाल की घोषणा ।
353-आपातकाल लागू होने के प्रभाव ।
354- आपातकाल की घोषणा जारी रहते राजस्व के वितरण से संबंधित प्रावधानों का लागू होना ।
355- राज्यों की बाहरी आक्रमण तथा आंतरिक सुरक्षा संबंधी संघ के कर्तव्य ।
356- राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता की स्थिति संबंधी प्रावधान ।
357- 356 की जारी घोषणा के बाद विधाई शक्तियों का प्रयोग।
358- आपातकाल में अनुच्छेद 19 के प्राविधानों का अध्ययन । अनुच्छेद 19 के अंतर्गत मूल अधिकारों से संबंधित है ।
अनुच्छेद 358- आपातकाल की घोषणा होने पर अनुच्छेद 19 के अंतर्गत मूल्य अधिकारों का निलंबन कर देता है तथा 359 मूल अधिकारों का निलंबन नहीं करता । यह अनुच्छेद राष्ट्रपति को यह शक्ति देता है कि वह मूल अधिकारों के निलंबन को लागू करें ।
अनुच्छेद 358 वाह्य आपातकाल में लागू होता है, लेकिन सशस्त्र विद्रोह में यह लागू नहीं होता पर अनुच्छेद 359 दोनों में ही लागू होता है ।
अनुच्छेद 358 संपूर्ण देश में लागू होता है, लेकिन अनुच्छेद 359 संपूर्ण देश अथवा किसी भी भाग विशेष में लागू होता है ।
359- आपातकाल में भाग 3 में प्रदत्त अधिकारों को लागू करना, स्थगित । जिसका राष्ट्रपति के आदेश द्वारा निलंबन हो जाता है ।
360- वित्तीय आपातकाल संबंधी प्रावधान ।
अब तक के आपातकाल
अगर बात की जाए तो इस तरह आपातकाल की घोषणा अब तक तीन बार हुई है । जो कि निम्लिखित है ।
1962- भारत-चीन आक्रमण के दौरान तथा 1965 में पाकिस्तान के विरुद्ध हुए युद्ध में वही आपातकाल जारी रहा ।
1971- पाकिस्तान आक्रमण के फलस्वरूप जारी हुआ आपातकाल ।
1975- बाह्य आक्रमण सशस्त्र बलों द्वारा उत्पन्न- इसी में अधिकारों के दुरुपयोग के विरोध व्यापक विरोध हुआ था । तथा यही आपातकाल सबसे ज्यादा विवादित भी रहा है ।
इसके बाद 1977 में लोकसभा चुनाव में जनता दल की पार्टी बनी तथा उसने 1975 के दुरुपयोग का पता लगाने के लिए शाह आयोग का गठन किया । इसी के बाद 44वां संविधान संशोधन 1978 लाया गया । जिसमें आपातकालीन अधिकारों के दुरुपयोग को रोकने के लिए कई उपाय बताए गए ।
राष्ट्रपति शासन- अनुच्छेद 356– अनुच्छेद 356 के अंतर्गत राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफल हो जाने पर केंद्र राज्यों को अपने नियंत्रण में ले लेता है तथा इसे ही राष्ट्रपति शासन कहते हैं ।
राष्ट्रपति शासन की समय अवधि– राष्ट्रपति शासन घोषणा के 2 महीने के भीतर यह दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित हो जानी चाहिए । इस परिस्थिति में राष्ट्रपति शासन छह माह तक चलता है तथा इसे 3 वर्ष की अवधि के लिए संसद की स्वीकृति से प्रत्येक 6 माह में बढ़ाया जा सकता है ।
राष्ट्रपति शासन के परिणाम- राष्ट्रपति राज्य सरकार के सारे कार्य अपने हाथों में ले लेता है तथा उसे अन्य कार्यकारी अधिकारियों की शक्ति प्राप्त हो जाती है । इस समय में राष्ट्रपति मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद को भंग कर देता है तथा राज्य का राज्यपाल राष्ट्रपति के नाम पर राज्य चलाता है ।
राष्ट्रपति को इस स्थिति में उच्च न्यायालय की शक्तियां प्राप्त हो जाती है । अनुच्छेद 356 का प्रयोग- 1950 से अब तक लगभग 100 से अधिक बार राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है तथा अनुच्छेद 356 संविधान का सबसे विवादास्पद एवं आलोचनात्मक बन गया है ।
पढें राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों के बारे में Click करें ।
सर्वप्रथम राष्ट्रपति शासन पंजाब में 1951 में लागू हुआ था ।
1988 में नागालैंड 1989 में कर्नाटक तथा 1991 में मेघालय में राष्ट्रपति शासन को वैध नहीं ठहराया था ।
संविधान का मृत पत्र अनुच्छेद 356 को माना गया है ।
वित्तीय आपातकाल– अनुच्छेद 360
अब तक वित्तीय संकट एक भी बार घोषित नहीं हुआ है लेकिन 1991 में वित्तीय संकट आया था ।
राष्ट्रपति शासन सबसे ज्यादा केरल राज्य (9 से ज्यादा बार) में लागू हुआ है ।
तो दोस्तो ये था, आपातकाल, उसके प्रकार, प्रभाव, संविधान में महत्वपूर्ण अनुच्छेद, अब तक के आपातकाल के बारे में । अगर आपको यह Post अच्छी लगी हो तो दोस्तो के साथ ज़रूर share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!