Scope of Public Administration
Hello दोस्तों ज्ञान उदय में अपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम बात करते हैं, राजनीति विज्ञान में लोक प्रशासन के क्षेत्र (Public Administration Scope) के बारे में । इस Post में हम जानेंगे लोक प्रशासन के क्षेत्रों के विभिन्न दृष्टिकोणों के बारे में । लोक प्रशासन से अभिप्राय जनहित में किए गए उन समस्त क्रियाकलापों से है, जो प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा नियंत्रण, निर्देशन तथा प्रबंधन के रूप में किए जाते हैं ।
लोक प्रशासन और प्रशासन के बारे में और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए Link पर Click करें ।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि लोक प्रशासन का क्षेत्र बहुत ही व्यापक तथा गतिशील है । जिस कारण इसके क्षेत्र का निर्धारण करना कठिन कार्य है । लोक प्रशासन के अध्ययन क्षेत्र के संबंध में अलग अलग विचारकों के विचारों में पर्याप्त मतभेद पाए जाते हैं । जिसको सुविधा की दृष्टि से चार अलग-अलग दृष्टिकोणों में बांटा गया है । लोक प्रशासन के क्षेत्र के संबंध में निम्नलिखित दृष्टिकोण प्रचलित है ।
1. व्यापक दृष्टिकोण
2. संकुचित दृष्टिकोण
3. पोस्टकार्ब दृष्टिकोण
4. आधुनिक या लोककल्याणकारी दृष्टिकोण
आइए अब हम इन दृष्टिकोणों के बारे में हम विस्तार से जान लेते हैं ।
1) व्यापक दृष्टिकोण
लोक प्रशासन के व्यापक दृष्टिकोण के अंतर्गत सरकार के तीनों अंगों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के कार्यक्षेत्र को शामिल किया जाता है । जिसके द्वारा शासन के उद्देश्य की पूर्ति की जाती है । कई विचारकों जैसे; मार्क्स, बिलोवी, साइमन, एल. डी. व्हाइट व नीग्रो आदि ने लोक प्रशासन की क्षेत्र में इसी व्यापक दृष्टिकोण को अपनाया है ।
विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ Click करें ।
लोक प्रशासन के विषय क्षेत्र के संबंध में निग्रो की परिभाषा बहुत अधिक व्यापक है, नीग्रो के अनुसार-
“लोक समाज में सहयोगी व सामूहिक प्रयास शासन के तीनों अंगों के संबंध शामिल लोक नीति में भूमिका राजनीतिक प्रक्रिया का भाग समाज की सेवा, निजी समूह हुआ व्यक्तियों से जुड़ा हुआ है ।”
नीति निरधारण भी प्रशासन का महत्वपूर्ण क्षेत्र बन चुका है । व्यवहारिक रूप में लोक प्रशासन के व्यापक क्षेत्र को नहीं अपनाया जा सकता । इससे इसका क्षेत्र अस्पष्ट हो जाता है ।
2) संकुचित दृष्टिकोण
जब व्यवहार में लोक प्रशासन के संकुचित दृष्टि कोण को ही स्वीकार किया जाता है । इसके अनुसार लोक प्रशासन का संबंध, शासन की केवल कार्यपालिका शाखा से है । साइमन, लूथर गुलिक जैसे विचारक इसी धारणा के समर्थक हैं । संकुचित दृष्टिकोण के अंतर्गत लोक प्रशासन में कार्यपालिका के संगठन, इसकी कार्यप्रणाली एवं कार्य पद्धति का अध्ययन किया जाना चाहिए ।
राष्ट्रपति की शक्तियों और निर्वाचन प्रणाली के बारे में जानने के लिए यहाँ Click करें ।
राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों के लिए यहाँ Click करें ।
इस दृष्टिकोण से लोकप्रशासन के क्षेत्र के अंतर्गत शामिल है :-
1. लोक प्रशासन के अंतर्गत कार्यरत कार्यपालिका का अध्ययन किया जाता है ।
2. लोक प्रशासन सामान्य प्रशासन की सभी समस्याओं से संबंधित होता है । इस भाग में प्रशासन की नीतियों, उनका निरीक्षण, निर्देशन तथा नियंत्रण से संबंधित कार्य शामिल होते हैं ।
3. लोक प्रशासन इस बात का भी अध्यन करता है कि विभिन्न प्रशासकीय क्रियाओं को संपन्न करने के लिए सेवाएं किस प्रकार संगठित की जाएं । अर्थात इसमें विभिन्न प्रकार के सेवाओ और संगठन का अध्यन किया जाना चाहिए ।
4. लोक प्रशासन के अंतर्गत प्रशासकीय उत्तरदायित्व, उनकी नीति, योग्यता तथा जनता के प्रति जवाबदेही का भी अध्ययन इसमें शामिल किया जाता है ।
5. लोक प्रशासन के अंतर्गत बजट, करारोपण एवं वित्त संबंधी प्रश्नों का अध्ययन किया जाता है ।
6. इसके अतिरिक्त इसमें प्रबंध तथा साधन और उपकरण जुटाने का कार्य भी इस अध्यन क्षेत्र में आना चाहिए ।
3) पोस्टकार्ब दृष्टिकोण POSTCORB
लोक प्रशासन के कार्य क्षेत्र के संबंध में लूथर गुलिक ने पोस्टकार्ब अवधारणा को अपनाया है । जिसका हरेक अक्षर प्रशासन के निश्चित कार्य की ओर संकेत करता है, जो कि निम्नलिखित है ।
P- Planning योजना बनाना ।
O- Organization संगठन बनाना ।
S- Staffing कर्मचारियों की व्यवस्था करना ।
D- Directing निर्देशन करना ।
Co- Co-ordination समन्वय स्थापित करना ।
R- Reporting रिपोर्ट दाखिल करना ।
B- Budgeting बजट तैयार करना ।
पोस्टकार्ब क्रियाएं सभी संगठनों में पाई जाती हैं । प्रशासन का कोई भी क्षेत्र हो । यह समस्याएं सभी ने होती है । इसलिए प्रशासन और लोक प्रशासन के कार्य क्षेत्र में गुलिक का सिद्धांत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है ।
लोकतंत्र क्या है ? (Introduction of Democracy) जानने के लिए यहां Click करें ।
पोस्टकार्ब की कई आलोचना भी की जाती है । आलोचना का बिंदु यह है कि इसका क्षेत्र अगर विस्तृत है परंतु की दृष्टि से सीमित है । इसमें प्रशासन के महत्वपूर्ण कार्य जैसे नीति निर्माण, मूल्यांकन और लोक संपर्क जैसे कार्य शामिल नहीं है । इसके अलावा मेरियम के अनुसार इसके अंतर्गत पाठ्य विषय का ज्ञान शामिल नहीं है । जो बहुत ही महत्वपूर्ण है । इसके अलावा प्रशासन में जनता की सुरक्षा, शांति व्यवस्था, शिक्षा स्वास्थ्य के कार्य भी प्रशासन के कार्यक्षेत्र में आते हैं । इसके अलावा इस धारणा में मानव संबंध तथा संवेदना की उपेक्षा की रही है । क्योंकि प्रशासन का संबंध मानव तथा उसे कल्याण से है ।
4) आधुनिक या लोककल्याणकारी दृष्टिकोण
लोक प्रशासन के इस क्षेत्र को आधुनिक, आदर्शवादी लोक कल्याणकारी दृष्टिकोण कहा जाता है । इस धारा या इस दृष्टिकोण के समर्थकों का मानना है कि वर्तमान समय में राज्य का स्वरुप कल्याणकारी राज्य का हो गया है । इस तरह लोक प्रशासन क्षेत्र भी उसी के अनुरुप जनता के हित व कल्याण का होना चाहिए ।
“प्रशासन का मूल कर्तव्य जनता की सेवा करना है ।”
यह दृष्टिकोण इसी विचार पर आधारित है कि इस प्रकार लोक प्रशासन का क्षेत्र जनता के हित व जन कल्याण के समस्त कार्य तक फैला हुआ है । एल. डी. व्हाइट इसी कारण लोक प्रशासन को अच्छी जिंदगी के लक्ष्य का साधन मानते हैं ।
लोकतंत्र की सफलता की शर्तें जानने के लिए यहां Click करें ।
लोकतंत्र पर नेहरू जी के विचारों के लिए यहाँ Click करें ।
वर्तमान में लोक कल्याणकारी राज्यों के बढ़ते कार्यक्षेत्र के साथ ही लोक शासन का क्षेत्र अत्यंत व्यापक हो गया है । इस कारण लोक प्रशासन के अंतर्गत केंद्र, राज्य तथा स्थानीय सभी इस स्तरों के सरकारों का अध्यन किया जा रहा है ।
स्पष्ट है कि बदलते परिदृश्य के अनुसार अन्य सामाजिक विज्ञान का प्रभाव भी लोक प्रशासन पर पड़ा है । वर्तमान सूचना क्रांति और सूचना प्रौद्योगिकी के युग में इस का कार्यक्षेत्र और विषय क्षेत्र लगातार बढ़ता जा रहा है और यह एक गतिशील अध्धयन के विषय के रुप में स्थापित हुआ है । क्योंकि सरकारों के कार्य व दायित्व का दायरा जैसे जैसे बढ़ रहा है । वैसे वैसे लोक प्रशासन के कार्यक्षेत्र व दायरे में भी विस्तार हो रहा है ।
तो दोस्तों ये था लोक प्रशासन का कार्यक्षेत्र के बारे में । इसके अलग अलग दृष्टिकोण । अगर Post अच्छी लगी हो तो दोस्तों के साथ ज़रूर Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!
Pingback: शक्ति का पृथकीकरण सिद्धांत – Gyaan Uday