What is Sanskritization ?
Hello दोस्तो ज्ञानउदय में आपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम बात करते हैं, राजनीति विज्ञान में संस्कृतिकरण के बारे में । इस Post में हम जानेंगे संस्कृतिकरण का अर्थ, इसकी क्या विशेषताएं हैं तो चलिए जानते हैं आसान भाषा में ।
संस्कृतिकरण का अर्थ
संस्कृतिकरण के अंतर्गत निम्न जाति या निम्न वर्ग के लोग उच्च जाति के लोगों से प्रभावित होकर उनके विचारों उनकी आदतों को ग्रहण करते हैं ।
संस्कृतिकरण उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें उच्च वर्ग अथवा क्षेत्र जाति के लोगों के अनुकरण में नीची जाति के हिंदू या जनजाति के लोग या दूसरे समूहों के लोग अपने रीति-रिवाजों संस्कारों विचारधारा और रहन-सहन की पद्धति को बदल देते हैं ।
अतिक्रमण की अवधारणा के प्रतिपादक
संस्कृतिकरण की अवधारणा का प्रतिपादन प्रोफेसर एम.एन. श्रीनिवास ने किया था । इस अवधारणा के माध्यम से उन्होंने भारतीय जाति संरचना एवं संस्तरण में होने वाले परिवर्तनों को स्पष्ट करने का प्रयास किया है । परिवर्तन एक ऐसी प्रक्रिया है, जो निरंतर गतिशील रहती है । अपनी जाति व्यवस्था का विस्तृत अध्ययन और विश्लेषण करने के लिए उन्होंने इस संस्कृतिकरण की अवधारणा का प्रतिपादन किया ।
सामान्य रूप में देखें तो यह भारत में देखा जाने वाला एक विशेष सामाजिक परिवर्तन है, जिसने जाति व्यवस्था के निचले पायदान पर स्थित जातियां और जन जातियां ऊंचा उठने का प्रयास करती हैं । ऐसा करने के लिए वह उच्च प्रभावी जातियों के रीति रिवाज, परंपराओं, प्रचलनों को अपनाती हैं ।
एक तरह से देखा जाए तो यह परिवर्तन ठीक भी माना जाता है । जिसके अंतर्गत पुरानी और ढर्रे पर चलने वाली परंपराओं को दूर किया जाता है तथा अच्छी तथा प्रैक्टिकल चीजों को अपनाया जाता है ।
संस्कृतिकरण का अर्थ सिर्फ नए व प्रदर्शित व आदतों को ग्रहण करना ही नहीं है, बल्कि पवित्र तथा लौकिक जीवन से संबंधित नए विचारों और मूल्यों को ग्रहण करना भी माना जाता है । उच्च जाति का अनुसरण करने के लिए निम्न जाति के लोग अपने सामाजिक स्तर को ऊंचा उठाने का प्रयास करते है और इसी को संस्कृतिकरण कहा जाता है ।
संस्कृतिकरण की प्रक्रिया
संस्कृतिकरण की प्रक्रिया में निम्न जाति के हिंदू व अन्य समूह के लोग या जनजाति के लोग, उच्च जाति के लोगों के प्रभाव में आकर उनकी दिशा में अपने रीति रिवाज, कर्मकांड और विचारधाराओं में परिवर्तन लाने का प्रयास करते हैं ।
संस्कृतिकरण की प्रक्रिया को एक गतिशील और परिवर्तनशील प्रक्रिया भी माना जाता है, जो की सार्वभौमिक है । यह केवल हिंदू जाति में ही नहीं बल्कि अन्य जातियों व समाजों में भी पाई जाती है ।
संस्कृतिकरण को प्रभावित करने वाले कारक
हालांकि संस्कृतिकरण को प्रभावित करने वाले अनेक कारण हैं, क्योंकि यह एक जटिल और बहु आयामी प्रक्रिया है । यह कमोबेश सभी समाजों में होती है । आधुनिकता, शहरीकरण, यातायात तथा राजनीतिक प्रोत्साहन, पश्चिमी प्रभाव, दूसरी संस्कृतियों का प्रवेश, पारिवारिक विघटन के कारण अनेक बातें अपनाई जाती हैं और कुछ चीजों को छोड़ दिया जाता है ।
इसी दिशा में खुद श्रीनिवास ने भी इस प्रकिया को सामान्य नहीं बल्कि एक जटिल प्रक्रिया माना है । इस प्रक्रिया के अंतर्गत पुराने तथा रूढ़िवादी विचारों को छोड़ कर नए विचारों को अपनाया जाता है ।
तो दोस्तों यह था राजनीति विज्ञान के अंदर संस्कृतिकरण के बारे में । अगर आपको यह Post अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!