Liberal Theory of Property
Hello दोस्तों ज्ञान उदय में आपका स्वागत है । आज हम बात करते हैं, संपत्ति के उदारवादी सिद्धांत यानी कि Liberals Theory of Property के बारे में ।
संपत्ति राजनीति विज्ञान का केंद्रीय और महत्वपूर्ण विषय है । हालांकि इसे अर्थशास्त्र से संबंधित विषय माना जाता है । लेकिन संपत्ति और राजनीति के अंदर गहरा संबंध है । इसलिए संपत्ति का अध्ययन राजनीति के अंदर भी किया जाता है । उदारवादी विचारक निजी संपत्ति का समर्थन करते हैं और मार्क्सवादी विचारक सार्वजनिक संपत्ति का समर्थन करते हैं ।
संपत्ति क्या है ? विचारकों की राय
“संपत्ति उन वस्तुओं और सेवाओं को कहा जाता है, जो मानव के लिए बहुत ज्यादा उपयोगी होती हैं और जिनका क्रय और विक्रय किया जा सकता है ।”
हालांकि बहुत सारी चीज़ें मानव के लिए बहुत उपयोगी हैं, लेकिन उन्हें संपत्ति कहें ! ऐसा आवश्यक नहीं है । मिसाल के लिए सूरज की रोशनी या हवा है । यह चीजें मानव के लिए बहुत उपयोगी हैं । लेकिन इनका क्रय और विक्रय नहीं किया जा सकता ।
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सिजविकस के अनुसार किसी वस्तु के प्रयोग करने, हस्तांतरण करने या नष्ट करने के अधिकार को ही संपत्ति कहा जा सकता है ।
आर इसमी वरदम के अनुसार जब एक वस्तु पर किसी व्यक्ति की मांग हो । समाज और राज्य स्वीकार करता है । तभी उसे संपत्ति कहा जा सकता है । तो इस तरीके से संपत्ति के ऊपर अलग-अलग विचारको अपने विचार दिए हैं । संपत्ति की कुछ विशेषताएं हैं ।
संपत्ति की विशेषताएं
सबसे पहला गुण है, की संपत्ति के अंदर स्थाई स्वामित्व का गुण होना चाहिए ।
दूसरा वस्तु दुर्लभ होनी चाहिए ताकि उसकी मांग बढ़े ।
राजनीति सिद्धांत-एक परिचय (An introduction of Political Theory)
वस्तु उपयोगी होनी चाहिए । ताकि उसका क्रय विक्रय किया जा सके और संपत्ति के अंदर या वस्तु के अंदर स्वामित्व वाला गुण होना चाहिए । तभी किसी वस्तु को हम संपत्ति कह सकते हैं ।
संपत्ति का समर्थन
उदारवादी हालांकि बहुत बड़ी विचारधारा है और सभी उदारवादियों ने निजी संपत्ति का समर्थन किया है । लेकिन उदारवादी विचारधारा में समय के साथ-साथ कई परिवर्तन आए हैं । सबसे पहले के उदारवादियों ने निजी संपत्ति का समर्थन किया है । उदारवादियों ने व्यवसायिक स्वतंत्रता पर बहुत ज्यादा बल दिया । जैसे कि एडम स्मिथ या हरबर्ट जे. स्पेंसर फिर धीरे-धीरे करके उदारवादी विचारधारा केंद्र में बदलाव आया ।
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राज्य के हस्तक्षेप का समर्थन
उदारवादी राज्य के हस्तक्षेप का भी समर्थन करते हैं और कर प्रणाली और निर्धन वर्ग का समर्थन करने लगे । जैसे कि जे. एस. मिल या टी. एच. गिरी और आधुनिक उदारवादियों को राज्य की भूमिका को बहुत ही महत्वपूर्ण मानते हैं । इनका कहना है कि राज्य अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकता है । जैसे कि होब्स । इस तरीके से तमाम उदारवादियों ने राज्य के हस्तक्षेप का समर्थन किया । लेकिन निजी संपत्तियों का भी समर्थन किया ।
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उदारवादी निजी संपत्ति को उचित मानते थे । उदार वादियों का मानना है कि संपत्ति मनुष्य का प्राकृतिक अधिकार है और मनुष्य ने जीवन स्वतंत्रता और संपत्ति की रक्षा के लिए राज्य बनाया । एडम स्मिथ, माल्थस, हरबर्ट स्पेंसर यह सारे उदारवादी विचारक हैं । जिन्होंने निजी संपत्ति को कई आधारों पर उचित साबित करने का प्रयास किया ।
अब निजी संपत्ति को उचित ठहराने के लिए कई तर्क दिए जा सकते हैं । कई आधारों पर निजी संपत्ति को उचित माना जा सकता है । जैसे
मनोवैज्ञानिक आधार पर
नैतिक आधार पर और
आर्थिक आधार पर या फिर
ऐतिहासिक आधार पर
1 उदारवादी मनोवैज्ञानिक आधार पर निजी संपत्ति का समर्थन करते हैं । इनका कहना है कि संपत्ति व्यक्ति के अंदर ज्यादा काम करने के उत्साह को पैदा करती है । व्यक्ति संपत्ति के लालच में आकर ही अपनी योग्यता का पूरा का पूरा इस्तेमाल करता है । और ज्यादा संपत्ति हासिल करने की कोशिश करता है । अगर निजी संपत्ति का अंत कर दिया जाएगा तो, व्यक्ति की काम करने की प्रेरणा का भी अंत हो जाएगा । इस तरीके से उदारवादी मनोवैज्ञानिक आधार पर निजी संपत्ति का समर्थन करते हैं ।
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2 दूसरा नैतिक आधार पर, उदारवादी विचारक नैतिक आधार पर भी संपत्ति का समर्थन करते हैं । इनका कहना यह है कि व्यक्ति ने जो कुछ हासिल किया है वह अपनी मेहनत से अर्जित किया है । वह उसकी अपनी नैतिक संपत्ति है । उसे समाज की संपत्ति नहीं माना जा सकता ।
3 तीसरा आर्थिक आधार पर, उदारवादी अर्थिक आधार पर भी निजी संपत्ति का समर्थन करते हैं । इनका कहना यह है कि आर्थिक क्षेत्र में व्यक्ति को खुला छोड़ देना चाहिए और व्यक्ति संपत्ति ज्यादा पाने के लालच में अधिक उत्पादन करेगा । जिससे व्यक्ति का विकास होगा और समाज का भी विकास होगा । जितना ज्यादा उत्पादन होगा, वस्तु की कीमत भी उतनी ही कम हो जाएंगी और वस्तु उतनी ज्यादा बिकेगी और समाज का विकास भी अपने आप हो जाएगा । गरीब लोग भी इस तरीके की वस्तुओं को खरीद सकेंगे । तो आर्थिक आधार पर भी उदारवादी निजी संपत्ति का समर्थन करते हैं ।
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4 चौथा है, ऐतिहासिक आधार पर । इस आधार पर भी उदारवादी निजी संपत्ति का समर्थन करते हैं । इतिहास में जिन देशों के अंदर निजी संपत्ति रखने का अधिकार दिया गया था । उन देशों का तेजी से विकास हुआ और वह देश बहुत तेजी से आगे बढ़ गए । उदारवादियों का यह कहना है कि संपत्ति मनुष्य के परिश्रम का प्रतिफल है । यानी व्यक्ति जितना अधिक परिक्षम करता है, उसे उतनी संपत्ति मिलती है । यानी वह उसका फल होता है, जिसे वह मेहनत से कमाता है ।
उदारवादियों का यह भी कहना है कि अगर व्यक्ति को अपनी संपत्ति बढ़ानी है, तो उसे अपनी योग्यता भी बढ़ानी चाहिए । हालांकि कुछ आधुनिक उदारवादी हैं, जिनका यह भी कहना है कि राज्य को न्यूनतम वेतन निश्चित कर देना चाहिए । अगर न्यूनतम वेतन निश्चित कर दिया जाएगा तो, इससे मजदूरों के शोषण को कम किया जा सकता है । इस तरीके से उदारवादी अलग-अलग तरह से निजी संपत्ति का समर्थन करने की कोशिश करते हैं ।
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उदारवादीयों का यह भी कहना है कि राज्य की भूमिका सीमित है । राज्य के बारे में प्रारंभिक उदारवादियों ने कहा था कि राज्य को अर्थव्यवस्था के अंदर हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए । लेकिन इससे शोषण, असमानता, गरीबी को बढ़ावा मिला । इसलिए आधुनिक उदारवादियों का यह भी कहना है कि राज्य को हस्तक्षेप तो करना चाहिए, लेकिन हस्तक्षेप उस अवस्था मे करना चाहिए जब इससे निर्धन वर्ग का कल्याण हो ।
उदारवादी संपत्ति की आलोचना
इस तरीके से उदारवादियों ने संपत्ति के ऊपर बहुत सारे विचार दिए हैं । लेकिन मार्क्सवादी विचारक उदारवादियों के इस विचार की आलोचना करते हैं । मार्क्सवादी विचारको का यह कहना है कि निजी संपत्ति शोषण को बढ़ावा देती है । असमानता को बढ़ावा देती है । इसीलिए निजी संपत्ति को खत्म किया जाए । मार्क्सवादी विचारक यह भी कहते हैं कि निर्धन वर्ग के कल्याण से या कर प्रणाली से संबंधों को खत्म नहीं किया जा सकता । इसलिए निजी संपत्ति को खत्म कर देना चाहिए । तभी समानता आ सकती हैं । मार्क्सवादी विचारक यह भी कहते हैं कि सभी बुराइयों की जड़ निजी संपत्ति है । व्यक्ति संपत्ति के लालच में आकर बुरे बुरे काम करता है । इसलिए निजी संपत्ति को खत्म कर देना चाहिए ।
तो दोस्तों आपको यह था आपका संपत्ति का उदारवादी सिद्धां । अगर ये Post आपको अच्छी लगी तो अपने दोस्तों के साथ Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!