भारतीय विदेश नीति को प्रभावित करने वाले तत्व
Hello दोस्तों ज्ञान उदय में आपका एक बार फिर स्वागत है । आज हम बात करने वाले हैं, भारतीय विदेश नीति को प्रभावित करने वाले तत्वों की (Elements impact on Indian Foreign Policy) यानी भारतीय विदेश नीति को निर्धारित करने वाले कारक । यह Topic 3rd Year B.A. Honors और B.A. Programme के विद्यार्थियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है ।
भारतीय विदेश नीति के बारे में हम जो भी पढ़ते हैं, उसमें सबसे पहला प्रश्न आता है । “वह कौन से कारक या तत्व हैं, जो भारत की विदेश नीति को प्रभावित करते हैं ?” या फिर “ऐसे कौन कौन से कारक हैं, जिनके कारण भारत ने अपनी foreign Policy इस तरीके की बनाई है ।”
हम कोई भी पॉलिसी या नीति बनाते हैं, तो उसके कुछ उद्देश्य होते हैं, कुछ कारक होते हैं, उसके कुछ कारण होते हैं । उन कारणों के बारे में आज हम बात करने वाले हैं कि भारत की जो विदेश नीति है, उसके क्या-क्या कारक है । तो जानते हैं उन तत्वों के बारे में जो किसी देश की विदेश नीति बनाते समय ध्यान में रखे जाते हैं । हालाँकि कारण या ऐसे तत्व तो हजारों हो सकते हैं, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण तत्वों को इस Post के ज़रिए बताया गया है ।
1 भौगोलिक व्यवस्था
पहला जो कारण है, वह है भौगोलिक कारण (Geographical Factor) इस व्यवस्था में जब हम किसी देश की भौगोलिक स्थिति की बात करते है । हम जब भी अंतराष्ट्रीय स्तर पर विदेश संबंधों की बात करते हैं, तो सबसे पहले पड़ोसी देशों को हमेशा ध्यान में रखते हैं कि हमारे पड़ोसी देश कौन-कौन हैं, उनके साथ हमारे कैसे संबंध हैं या फिर उनकी भौगोलिक स्थिति क्या है । जो हमारा भौगोलिक है, उसके आसपास का वातावरण कैसा है ? हमारे देश की क्या स्थिति है या उसकी लोकेशन क्या है ? पानी के पास है या चारो तरफ ज़मीन से घिरा है ।
अगर नेपाल की बात की जाए तो नेपाल चारों तरफ जमीन से घिरा हुआ है । यदि नेपाल को कोई व्यापार करना है या किसी तरीके के संबंध बनाने हैं, तो उसे पहले अपने पड़ोसी देशों से संबंध बनाने पड़ेंगे ताकि उसका व्यापार आसानी से चल सके । अगर कोई देश अपने पड़ोसी देशों से लड़ाई करके बैठ जाएगा तो उसके संबंध अच्छे नहीं रहेंगे । तो इसी तरह आपको यह देखना होता है कि आप के देश की भौगोलिक स्थिति कैसी है ? आपके दूसरे देशों के साथ भौगोलिक संबंध कैसे हैं ? और आपको अपने दूसरे देशों के साथ संबंध कैसे बनाने हैं ?
अगर हम भारत की बात करें तो, हमारा देश की भौगोलिक स्थिति बहुत ही अच्छी है । भारत तीनों तरफ से पानी से घिरा हुआ है और तीनों तरफ से यह जमीन से भी घिरा हुआ है । यानी भारत को ज़मीन का और पानी का दोनों का सहारा मिला हुआ है । अगर ऊपर से किसी देश के साथ अच्छे संबंध नहीं बनते है, तो हम समुद्र के रास्ते व्यापार करते है । हालांकि हमारे संबंध चीन और पाकिस्तान के साथ ज़्यादा अच्छे नहीं रहते । क्योंकि भारत का भूगोल इस तरह का है यानी उसको इस चीज का फायदा मिल सकता है । भौगोलिक में दूसरी चीज हम यह देखते हैं कि पड़ोसी दोस्त है या दुश्मन है । तो हमारी भूगोल में हमारा वातावरण कैसा है ? इसके अलावा यह भी निर्भर करता है कि हमारी भूमि कैसी है ? उपजाऊ है, हम अपनी खेती बाड़ी पर निर्भर होंगे । हम अपनी विदेश नीति बनाते समय भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हैं ।
2 आर्थिक स्थिरता
दूसरा है, आर्थिक स्थिति यानी आपका देश आर्थिक रूप से कितना ताकतवर या कमज़ोर है । आप Economically कितने Sound हो । आपकी विदेश नीति आपकी अर्थव्यवस्था पर भी निर्भर करती है जितनी मज़बूत आपकी आर्थिक स्थिति होगी उतनी ही अच्छी आपकी विदेश नीति होगी । अगर आपका देश अमीर है, तो आपको किसी के सामने झुकने की जरूरत नहीं है । यानी हाथ फैलाने की जरूरत नहीं है । यानी जो आपकी फॉरेन पॉलिसी होगी वह काफी हद तक Aggressive पॉलिसी होगी । लेकिन अगर कोई देश गरीब है, उसकी अर्थव्यवस्था इतनी अच्छी नहीं चल रही है तो, उसको दूसरे देशों की मदद चाहिए । तो वह चाहते हुए भी किसी दूसरे देश से लड़ाई करना पसन्द नहीं करेगा है, लड़ाई की दशा में वह Compromise की कोशिश करेगा, जहाँ तक हो सके वह लड़ाई से बचेगा । क्योंकि उसको अपनी अर्थव्यवस्था को देखना होगा । इस तरीके से उस देश के लिए विदेश नीति बहुत निर्भर करती है ।
3 सैन्य बल (सेना की ताकत)
अब बात करते हैं, सेना और उसकी शक्ति की । किसी भी देश का बल उसकी सेना होती है । तो जिसकी सेना में जितनी ज्यादा ताकत (Power) होगी, वह देश उतना ही दमदार (Powerful) होगा । हालाँकि ये देश की अर्थव्यवस्था पर निर्भर करता है । अगर कोई देश अमीर है, ताकतवर है, तो उसकी Military Strong होगी । इसका विपरीत अगर सेना इनती ताकतवर नही है तो वह देश भी ज़्यादा मज़बूत नहीं होगा । यानी इसका असर भी विदेश नीति पर पड़ेगा ।
अगर हम इजरायल की बात करें तो वह फाफी छोटा देश है । जिसकी जनसंख्या मात्र 85 लाख है । लेकिन उसके पास बहुत मज़बूत Military Base है । इसलिए इज़राइल कभी किसी के सामने नहीं झुकता । इसका सीधा मतलब ये हुआ कि उसकी Foreign Policy हमेशा Aggressive होती है, क्योंकि वह दुश्मन के घर में जाकर दुश्मन को मारता है । लेकिन अगर हम किसी दूसरे देश की बात करें । जैसे भूटान, नेपाल वह बहुत ही कमजोर सेना वाले देश है । जिसके कारण वह जल्दी से किसी से लड़ाई के चक्कर में नहीं पड़ेगा । वह कोशिश करेगा कि जितना ज़्यादा हो सके लड़ाई से बचे ।
यानी किसी देश की सैन्य शक्ति उस देश का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, किसी देश की विदेश नीति के तत्व को निर्धारित करने में सैन्य बल का महत्वपूर्ण योगदान है ।
4 प्राकृतिक संपदा
अगर कोई देश प्रकृति द्वारा दी गई सम्पदाओं से भरपूर है । तो वह अर्थव्यवस्था को बढ़ने में मदद देता है । जैसे कच्चा माल, तांबा, लोहा, स्टील, पेट्रोल आदि । इसके अलावा उस देश का वातावरण यानी सर्दी, गर्मी, बरसात आदि । ये सब प्राकृतिक संपदा यानी Natural Resources हैं, जो प्रकृति द्वारा दी गई हैं । जिस देश मे प्राकृतिक संपदा सबसे ज़्यादा होगी वह देश उतना ही सम्पन्न और उन्नत होगा । क्योंकि ये कच्चा माल आप दूसरे देशों को बेचकर उनके साथ अच्छा व्यापार कर सकते हो, जिससे आप को अच्छा लाभ होगा और विश्व स्तर पर आपकी शाख बढ़ेगी ।
अगर आपके देश मे पेट्रोल, आयरन, स्टील आदि है । यह सब नेचुरल रिसोर्सेज में आती है । माना आपके देश के अंदर पेट्रोल बहुत ज्यादा है, तो आप अमेरिका, रूस जैसे देश जैसे यूरोप में फ्रांस, जर्मनी के साथ अच्छा व्यापार कर सकते हैं । बहुत आसानी से और उनसे बहुत अच्छा खासा पैसा कमा सकते हैं । अगर आपके पास कोई प्राकृतिक संपदा नहीं है, तो यह आपके लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण वाली बात होगी कि हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन चीज़ों के लिए दूसरे देशो पर आश्रित रहेंगे ।
5 ऐतिहासिक संबंध
यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है कि इतिहास में हमारे संबंध दूसरे देशों के साथ कैसे रहे हैं । और इन संबधों का प्रयोग हम किस प्रकार करते हैं । किसी नीति को बनाने के लिए, इसमें आपके पुराने ऐतिहासिक संबंध भी निर्भर करते हैं । तो आप देखते होंगे जब भी हमारे देश के प्रधानमंत्री विदेश में जाते हैं । तो वह उस देश की वेशभूषा ग्रहण करते हैं और उस देश के इतिहास को अपने देश के साथ जोड़ने की कोशिश करते हैं । जैसे प्रधानमंत्री द्वारा कहा जाता है, “आपका देश और हमारा देश तो बुद्ध का देश रहा है ।”, “हमारा आपका देश तो रविंद्र नाथ टैगोर का देश रहा है ।”, हमने और आपने दोनों ने क्रांति में भाग लिया है आदि । इस तरह दो देशों को आपस में जोड़ने की कोशिश करते हैं, क्योंकि इससे हमें दूसरे देशों से बहुत मदद मिलती है ।
हालांकि पाकिस्तान और भारत के ऐतिहासिक संबंध जुड़े हुए हैं और दोनों में बहुत समानता है । लेकिन फिर भी वह बहुत ही बेकार संबंध है । संबंधों में कड़वाहट है । क्योंकि दोनों में हमेशा Conflicts रहता है । विचार मेल नहीं खाते । तो हमारी विदेश नीति भी इन ऐतिहासिक संबधों के ऊपर निर्भर रहेगी । अगर कोई देश हमारा अच्छा मित्र रहा है तो हम अपनी विदेश नीति उसको ध्यान में रखकर बनाएंगे जैसे रूस, भारत का इतिहास से ही अच्छा मित्र रहा है । यानी विदेश नीति हमारे किसी देश के साथ संबंध कैसे हैं ? इस पर भी निर्भर करती है ।
6 विचारधारा
हालांकि आज के समय में विचारधारा अधिक महत्वपूर्ण नहीं है, फिर भी नीति निर्धारण में इसका प्रभाव भी माना जाता है । Ideological Factor आज के समय उतना आवश्यक नहीं है, जितना इतिहास में था, या शीत युद्ध के वक्त पर महत्वपूर्ण था । विचारधारा यानी जो आपकी सोच है, उस पर निर्भर करता है । अगर कोई देश पूँजीवादी है, समाजवादी है या मार्क्सवादी है । तो उस देश की विचारधारा भी उस तरह की होगी और वह देश अपनी विदेश नीति में उस विचारधारा का इस्तेमाल करेगा । किसी देश ने सोशलिज्म का रास्ता चुना हुआ है या पूंजीवादी है, मार्क्सवादी हैं । यानी आप किस तरीके की विचारधारा रखते हैं ।
यह भी विदेश नीति को तय करने में बहुत बड़ा महत्व रखता है । अगर आप पूंजीवादी विचारधारा रखते हैं, तो आप दूसरे देशों को भी उसी नजरिए से देखोगे और जब भी आप उनके साथ कोई भी संबंध रखोगे तो, आपकी जो भी नीति बनेगी तो इसी विचारधारा पर आप उसको निर्धारित करेंगे । अगर आप मार्क्सवादी विचारधारा रखते हैं, तो आपकी सारी Policy तो इसी के ऊपर निर्भर होंगे और इसी विचारधारा को लेकर बनाई जाएंगी ।
7 अंतरराष्ट्रीय संगठनों पर विश्वास
जितने भी अंतरराष्ट्रीय संगठन हैं, (International Institutions) जैसे संयुक्त राष्ट्र (United Nation), इसके अलावा सार्क (SAARC), डब्ल्यूटीओ (WTO), डब्ल्यूएचओ (WHO), आईएमएफ (IMF), विश्व बैंक (World Bank) आदि । यह जितने भी अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है, इन सभी संगठनों में आप अपना विश्वास रखते हैं या नहीं रखते हैं । यह बहुत महत्वपूर्ण कारण है कि आप अपनी फॉरेन पॉलिसी किस तरीके से बनाते हैं । अगर आपको इन संस्थानों पर भरोसा है, तो आप उनकी शर्तों और नियम के उसके हिसाब से आप अपने विदेश नीति को तैयार करोगे । जैसे कि अगर नॉर्थ कोरिया की बात करें तो नॉर्थ कोरिया एक ऐसा देश है जो इन संगठनों पर विश्वास नहीं करता । इस वजह से वह अपनी विदेश नीति को अलग तरीके से रखता है । क्योंकि वह अपनी विदेश नीति में इन संगठनों की शर्तों का पालन नही करता । तभी तो वह अमेरिका पर परमाणु बम गिरने की धमकी देता रहता है ।
अगर आप इन संगठनों की Guidelines मानते हैं तो आप इनकी बातों का पालन करेंगे । जैसे भारत इनकी Guidelines को हमेशा से मानता रहा है, उसे हमेशा इन संगठनों पर विश्वास रहा है । तो भारत अपनी विदेश नीतियों में इन संगठनों के नियमों को ध्यान रखता है । संयुक्त राष्ट्र संघ के हम सदस्य भी रहे हैं, जैसे जवाहरलाल नेहरू जी, आजादी से पहले वहां गए थे और हस्ताक्षर करके आए थे । इस तरह हमारा हमेशा से इन संस्थानों पर भरोसा रहा है और इन संस्थानों की जो मर्यादा है, जो नियम है, उनका पालन करते आ रहे हैं ।
8 सामाजिक प्रारूप
हमारे देश मे जो लोग रहते हैं, जो समाज रहता है । उस समाज का प्रारूप क्या है ? क्या आपका देश जातिवाद है ? क्या आपका देश वर्ग विभजित है ? यानी आपका देश जाती व्यवस्था पर चलता है ? इन सब बातों को ध्यान रखते हुए किसी देश का प्रारूप बनता है । वह किस तरीके का है क्योंकि जो तरीके का आपका सामाजिक ढांचा होगा, उसी तरीके की आपकी सोच होगी और जिस तरह कि आपकी सोच होगी । उसी तरीके की आप विदेश नीति का निर्माण करेंगे । तो विदेश नीति को निर्धारण में ये बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।
तो दोस्तों ये थे कुछ कारण जो इस के ज़रिये मैंने आपको समझाने की कोशिश की है । इस तरीके से विदेश नीति को निर्धारित करने वाले हजारों कारण हो सकते हैं, जो Policy बनाते समय ध्यान रखे जाते हैं । जब आप किताब से आप इस तरीके के कारणों को पढ़ेंगे तो आपको यह ध्यान में रहेगा और इन बातों को समझ लेंगे । आप किताब में जो पड़ेंगे उसको आप आसानी से समझ जाएंगे ।
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Great 👍