राजनीति में राज्य का अर्थ (Meaning of State in Political science )
Hello दोस्तों ज्ञानोदय में आपका स्वागत है । आज हम बात करते हैं राज्य के बारे में । यानी कि State (Importance of state in Political science) के बारे में । राज्य को राजनीति (what is state in political science) के अंदर बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि राज्य नीतियों को बनाता है और इन नीतियों को लागू भी करता है । इसके अलावा अलग-अलग विचारको ने राज्य (State) के ऊपर अपने अलग अलग विचार दिए हैं । जैसे उदारवादियों के अनुसार राज्य समझौते से बना है, जबकि मार्क्स के अनुसार से राज्य शोषण को बढ़ावा देता है । आज के इस दौर में राज्य की भूमिका और भी तेजी से बढ़ती जा रही है ।
लोकतंत्र के अंदर राज्य को विशेष महत्व दिया जाता है और बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है । क्योंकि राज्य केंद्र जो सरकार है, वह जनता के द्वारा बनाई जाती है । लोकतंत्र के अंदर राज्य का स्वरूप कल्याणकारी होता है, जबकि तानाशाही में या सैनिक शासन व्यवस्था में या राज्य तंत्र के अंदर राज्य का स्वरूप कल्याणकारी नहीं होता बल्कि राज्य लोगों का शोषण भी कर सकता है ।
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अगर हम बात करें कि राज्य किस तरीके से बना है तो आमतौर पर यह माना जाता है कि ज्यादातर विचारक इस बात पर सहमत हैं कि राज्य चार चीजों से मिलकर बना है ।
1. भूमि
2. जनसंख्या
2. सरकार और
4. प्रभुसत्ता
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अगर हमें कोई राज्य बनाना है तो राज्य भूमि पर बनेगा । राज्य हवा में, पानी में, अंतरिक्ष में नहीं बनाया जा सकता । उसके लिए एक तो भूमि का टुकड़ा चाहिए और दूसरा भूमि खाली नहीं होनी चाहिए बल्कि भूमि पर जनसंख्या भी होनी चाहिए । भूमि हो और भूमि पर जनसंख्या भी हो और तीसरी चीज जो राज्य के लिए आवश्यक है, वह है सरकार । अगर भूमि है, भूमि पर जनसंख्या भी है लेकिन सरकार नहीं है तो उसे हम राज्य नहीं कह सकते । राज्य के लिए भूमि, जनसंख्या और साथ में सरकार का होना भी बहुत जरूरी है । इसी तरीके से चौथी चीज है, जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण वह है प्रभुसत्ता ।
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प्रभुसत्ता किसी राज्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है या इसे हम राज्य की आत्मा भी कह सकते हैं । प्रभुसत्ता को हम आसानी से समझ सकते हैं, हालांकि प्रभुसत्ता को देखा नहीं जा सकता, लेकिन प्रभुसत्ता को समझा जा सकता है । जैसे राज्य चार चीजों से मिलकर बनता है । वैसे ही हमारा शरीर भी चार चीजों से मिलकर बना है ! तो राज्य के अंदर तीन चीजें तो देखी जा सकती हैं । लेकिन चौथी चीज प्रभुसत्ता भी होती है । प्रभुसत्ता का काम सबसे अधिक होता जैसे हमारा शरीर चार चीजों से मिलकर बना है । हमारे शरीर मे मांस है, खून है, शरीर के अंदर हड्डी है और आत्मा भी है । अगर मैं हाथ काटता हूं तो इस हाथ में से खून निकलेगा जो कि दिखेगा । मांस निकलेगा वह भी दिखेगा, हड्डी भी है वह भी दिखेगी । लेकिन आत्मा नहीं दिखेगी । आत्मा सबसे ज्यादा काम की होती है । अगर आत्मा शरीर से निकल जाए तो पूरा शरीर बेकार है व्यक्ति मर जाता है, यानी आत्मा के बिना शरीर का अस्तिव नही है ।
ठीक इसी तरीके से राज्य के लिए प्रभुसत्ता का होना बहुत ही जरूरी है । अगर राज्य में प्रभुसत्ता नहीं है तो वह राज्य, राज्य नहीं कहला सकता । अब प्रभुसत्ता को हम समझ कैसे सकते हैं । हमारे दिमाग में सवाल पैदा होता है कि हम प्रभुसत्ता को कैसे समझें ।
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प्रभुसत्ता को हम बहुत आसानी से समझ सकते हैं । प्रभुसत्ता का मतलब होता है कि वह राज्य, वह देश अपने फैसले अपने Decision खुद ही ले सकता है । और उस पर किसी का कोई दबाव नहीं होता और न ही हस्तक्षेप होता (किसी से अभिप्राय देश, राजनीतिक पार्टी, संस्था आदि से है) ।
मिसाल के लिए हर इंसान के अंदर अपनी एक रूह होती है या आत्मा होती है । वह अपनी आत्मा, अंतरात्मा से अपने सारे फैसले लेता है । अगर कोई उससे कोई कुछ कहता है, तो वह सुनता है सबकी लेकिन वह फैसले अपनी मर्जी से लेता है ।
इसी तरीके से राज्य वह कहलाता है, जहां की सरकार खुद अपनी मर्जी के मुताबिक फैसले लेटी है । उस सरकार पर किसी विदेशी शक्ति का या किसी दूसरे देश का दबाव ना हो ।
1947 से पहले हमारा देश भारत एक राज्य नहीं था, क्योंकि यहां पर भूमि तो थी और जनसंख्या भी थी, और सरकार भी थी । लेकिन प्रभुसत्ता नहीं थी । क्योंकि उस समय सरकार अंग्रेजों के मुताबिक काम करती थी और हम अपने हिसाब से फैसले नहीं ले सकते थे । अर्थात जब हम 15 अगस्त 1947 को आजाद हुए । तो हमें प्रभुसत्ता भी मिल गई ।
आज हमारा देश एक राज्य है क्योंकि हमारे पास प्रभुसत्ता है । हमारे ऊपर किसी दूसरे देश का दबाव नहीं है । हम खुलकर अपने तमाम फैसले ले सकते हैं । तो इस तरीके से राज्य के लिए चार चीजों का होना जरूरी है । भूमि, जनसंख्या, सरकार और प्रभुसत्ता ।
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जब कोई राज्य इन 4 चीजों से मिलकर बनती हैं । तभी कोई राज्य असली राज्य कहलाता है । राज्य के पास बहुत सारी शक्तियां होती हैं । जैसे कि राज्य लोगों से अपनी आज्ञा का पालन करवा सकता है । एक देश की सीमा के अंदर राज्य सबसे ज्यादा शक्तिशाली होता है । कोई भी व्यक्ति, कोई भी संस्था, राज्य से ऊपर नहीं हो सकते क्योंकि राज्य नीतियों को बनाता है । राज्य उन नीतियों को लागू भी करता है ।
तो दोस्तों यह था राज्य के बारे में अगर आपको जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ Share करें । अगर आपको इस topic के Detailed notes चाहिये तो आप हमारे whatsapp 9999338354 पर Contact कर सकते हैं ।