Theory of Communism by Plato
Hello दोस्तों Gyaanuday में आपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम बात करते हैं, राजनीति विज्ञान में प्लेटो के साम्यवाद सिद्धान्त के बारे में (Pluto’s theory of Communism) । इस Topic में हम जानेंगे, प्लेटो का संपत्ति और परिवार संबंधित साम्यवाद सिद्धान्त, इसकी विशेषताएं और आलोचनाओं के बारे में । तो चलिए शुरू करते हैं, आसान भाषा में ।
प्लेटो यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक और गणितज्ञ थे । पश्चिमी जगत की दार्शनिक पृष्ठभूमि बनाने में प्लेटो की महत्वपूर्ण भूमिका रही है । प्लेटो का जन्म एथेंस के कुलीन परिवार में हुआ था और उनको अफलातून नाम से भी जाना जाता है । प्लेटो ने कई सिद्धान्त दिए हैं, इसमें शिक्षा का सिद्धांत महत्वपूर्ण माना जाता है ।
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प्लेटो का साम्यवाद सिद्धान्त
प्लेटो को पाश्चात्य राजनीति का प्रतिनिधि माना जाता है । न्याय के आधार पर प्लेटो एक आदर्श राज्य की स्थापना करना चाहते है । लेकिन इसमें कई बाधाएं हैं, जैसे अज्ञानता, निजी संपत्ति और परिवार से लगाव । प्लेटो ने किसी आदर्श राज्य में न्याय की प्राप्ति के लिए हमें दो सिद्धांत बताए हैं ।
1) राज्य द्वारा नियंत्रित शिक्षा प्रणाली तथा
2) साम्यवादी सामाजिक व्यवस्था ।
प्लेटो शिक्षा के द्वारा अभिभावक वर्ग को अपना कर्तव्य पालन करने के लिए तैयार करता है । जिसमें राज्य की एकता तथा सुदृढ़ता को बनाए रखना शामिल है । प्लेटो ने यहाँ सैनिक तथा शासक वर्ग को ध्यान में रखा है ।
प्लेटो को आशंका है कि शिक्षा से शासक वर्ग में जो संस्कार उत्पन्न किए हैं, वह विपरीत परिस्थितियों में समाप्त हो सकते हैं । व्यक्ति संपत्ति और परिवार के आकर्षण में फस कर निजी स्वार्थ को प्राथमिकता देने लगेंगे, जिससे वह अपने सामाजिक जीवन के कर्तव्य की अवहेलना कर सकते हैं ।
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प्लेटो यहां अभिभावकों के रास्ते में आने वाली बाधाएं को पहले से ही दूर करना चाहते है । इस वजह से प्लेटो ने अभिभावक वर्ग के लिए नई सामाजिक व्यवस्था का सुझाव दिया है । जिसके दो अलग-अलग तत्व बताए गए हैं ।
1 संपत्ति विषयक साम्यवाद ।
2 परिवार विषयक साम्यवाद । इसे स्त्रियों का साम्यवाद भी कहा जाता है ।
प्लेटो के साम्यवाद की विशेषताएं
आइए अब जानते हैं, प्लेटो के साम्यवाद की विशेषताओं के बारे में । साम्यवाद सभी नागरिकों के लिए नहीं बल्कि, शासक और सैनिक वर्ग के लिए है । साम्यवाद का उद्देश्य राजनीतिक है, न कि आर्थिक । इसका उद्देश्य आर्थिक विषमता को दूर करना नहीं बल्कि, शासन को दोष मुक्त करना है । प्लेटो ने साम्यवाद को भोग का मार्ग न कहकर इसे त्याग का मार्ग बताया है ।
प्लेटो ने राजनीतिक और आर्थिक शक्ति को अलग अलग किया है । उनका यह मानना है कि जिन लोगों के हाथ में राजनीतिक शक्ति है, उनका कोई आर्थिक हित ना हो ।
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इसी तरह सेबाइन ने शासकों और सैनिकों के सम्बंध में कहा है कि-
“सरकार के ऊपर धन के दूषित प्रभाव को प्लेटों को इतना दृढ़ विश्वास था कि उसे दूर करने के लिए उसे स्वयं संपत्ति का ही विनाश करना पड़ा ।”
“शासन व रक्षा कार्य करने वाले व्यक्तियों को धन और आर्थिक गतिविधिओं से दूर रहना चाहिए, ताकि वह निष्ठा पूर्वक अपना कर्तव्य का पालन कर सकें ।”
प्लेटो ने अपने साम्यवाद की व्यवस्था केवल दो वर्गों यानी शासक व सैनिक वर्ग तक ही सीमित रखा है । जिन्हें संरक्षक यानी अभिभावक वर्ग बताया है । प्लेटो ने समाज के सबसे बड़े भाग तीसरे वर्ग के लिए साम्यवादी व्यवस्था की आवश्यकता को महसूस नहीं किया ।
संपत्ति विषयक साम्यवाद सिद्धान्त
आइए अब जानते हैं, प्लेटो के संपत्ति के साम्यवाद के बारे में । संपत्ति के साम्यवाद के इस सिद्धान्त में प्लेटो ने शासक और सैनिक वर्ग दोनों के लिए संपत्ति को रखना मना किया है । उनको संपत्ति से दूर रखने के लिए बताया गया है । प्लेटो के अनुसार संपत्ति एक ऐसा आकर्षण है, जो किसी भी व्यक्ति को अपने दायित्व के कर्तव्य से भटका सकती है । शासकों का व्यक्तिगत संपत्ति से स्वामित्व समाप्त किया जाना चाहिए । प्लेटो के अनुसार यदि शासक चाहे भी तो उसके पास कोई संपत्ति भी ना हो तथा शासक वर्ग में किसी चीज की इच्छा ही उत्पन्न ना हो । जिससे कि शासक भ्रष्ट होने का प्रयास भी नहीं कर सके ।
प्लेटो के अनुसार शासकीय कार्य साहस व बुद्धि से संपन्न माने जाते हैं, लेकिन अगर शासक वर्ग संपत्ति को जमा करेगा, तो राजनीतिक पद गुणों के आधार पर नहीं बल्कि संपत्ति के आधार पर ही निर्धारित होंगे ।
प्लेटो के संपत्ति साम्यवाद की आलोचना
अरस्तू ने प्लेटो के संपत्ति विषयक साम्यवाद सिद्धान्त की आलोचना की है । अरस्तु का मानना है कि निजी संपत्ति व्यक्तित्व के समुचित विकास के लिए बहुत ज्यादा आवश्यक है । अपनी दयालुता, उदारता तथा भाव को प्रकट करने के लिए निजी संपत्ति नितांत आवश्यक है । प्लेटो ने संपत्ति के गुणों की अवहेलना की है । संपत्ति व्यक्ति में पुरुषार्थ की भावना का विकास करती है । वह एक प्रेरणा के रूप में शक्ति तथा व्यक्ति की स्वाभाविक आवश्यकता मानी जाती है । प्लेटो ने साम्यवाद को उत्पादक वर्ग पर लागू नहीं किया है, जो राज्य के समस्त जनसंख्या का एक बड़ा भाग माना जाता है । अरस्तु के अनुसार यह एकता का सूत्र नहीं है, कि राज्य को दो वर्गों में बांट दिया गया है । अरस्तु का मानना है कि सामान्य जीवन के अनुभव के विपरीत इससे उदासीनता और अकुशलता जैसे भाव पैदा होते हैं ।
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परिवार विषयक साम्यवाद सिद्धान्त
आइए अब जानते हैं, प्लेटो के परिवार संबंधी साम्यवाद के बारे में । प्लेटो द्वारा अभिभावक वर्ग के लिए संपत्ति मना करने के साथ-साथ प्लेटो ने उन्हें निजी परिवार से भी वंचित कर दिया है । ताकि शासक वर्ग कुशलता पूर्वक अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें । इसके लिए उन्हें संपत्ति के मोह के साथ-साथ परिवार के मोह से भी मुक्त कर दिया जाना चाहिए ।
प्लेटो का मानना है कि परिवार का मोह संपत्ति के मोह से ज्यादा शक्तिशाली होता है । इस तरह से प्लेटो ने इस विषय पर कई सारे तर्क दिए हैं । प्लेटो ने कहा है कि अभिभावक वर्ग को परिवार मोह से मुक्त होने से राज्य में एकता स्थापित होगी । स्त्रियों की स्वतंत्रता तथा सामान्य अधिकार हेतु और श्रेष्ठ संतान की प्राप्ति हेतु यह आवश्यक है ।
प्लेटो के अनुसार अभिभावक वर्ग के स्त्री या पुरुष अपना निजी परिवार नहीं बनाएगा । स्त्रियां सब की समान रूप से पत्नियां होंगी । उनकी संतानें भी समान रूप से सबकी होंगी । ना तो माता पिता अपनी संतान को जान सकेंगे और ना तो संतान अपने माता पिता को ।
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परिवार साम्यवाद की आलोचना
अरस्तू ने संपत्ति की तरह प्लेटो के परिवार साम्यवाद के सिद्धांत की भी आलोचना की है । अरस्तु के अनुसार समूचे राज्य को परिवार नहीं माना जा सकता । इस सिद्धान्त में पति-पत्नी के संबंधों की पवित्रता का ध्यान नहीं रखा गया है । जो वस्तु सभी की होती है, उसकी परवाह कोई नहीं करता । यह सिद्धांत चरित्र का हनन करने वाली व्यवस्था बताई है । अरस्तू के अनुसार अभिभावक वर्ग पारिवारिक जीवन के व्यवहार के अनुभव से वंचित रहेगा । अरस्तु ने कहा है कि उत्तम संतान के लिए पशु जगत को लागू करना सही नहीं है । अरस्तू के अनुसार इस व्यवस्था से एकता की बजाए विवाद उत्पन्न होगा और व्यक्ति के निजी अधिकारों का भी हनन होगा ।
निष्कर्ष के रूप में कहें तो प्लेटो ने अपने आदर्श राज्य की कल्पना को साकार करने के लिए जिस साम्यवादी व्यवस्था की कल्पना की है । वह सैद्धांतिक दृष्टि से अच्छी ही क्यों न हो, लेकिन व्यवहारिक दृष्टि से देखा जाए तो यह वास्तविकता में खरी नहीं उतरती । परिवार विषयक साम्यवाद के सिद्धांत की अव्यवहारिकता इस बात से स्पष्ट हो जाती है कि अभी तक व्यवहार में इसे कहीं भी नहीं अपनाया गया है । क्योंकि प्लेटो के परिवार साम्यवाद सिद्धान्त से संबधो में अपवित्रता आएगी और निजी अधिकारों का हनन होगा ।
तो दोस्तों ये था प्लेटो का संपत्ति और परिवार साम्यवाद का सिद्धांत । साथ ही हमने पढ़ा इसकी विशेषताएं और आलोचनाओं के बारे में । अगर Post अच्छी लगी हो तो दोस्तो के साथ ज़रूर Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!