लोकतंत्र का परिचय (Democracy introduction)
किसी देश को चलाने के लिए, शासन व्यवस्था का होना बहुत जरूरी होता है । शासन व्यवस्था कई तरीके की होती है, जिससे कि किसी देश के शासन को चलाया जाता है । जैसे राजतंत्र ! राजतंत्र के अंदर एक राजा होता है और बाकी प्रजा होती है । सैनिक शासन, तानाशाही शासन या एक दलीय प्रणाली आदि शासन व्यवस्था के प्रकार हैं ।
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तो चलिये आज हम बात करते हैं लोकतंत्र की बहुत ही आसान शब्दों में आप जान पाएंगे कि लोकतंत्र क्या है ? किताबी भाषा से बहुत ही आसान शब्दों में, तो जानते है लोकतंत्र के बारे में ।
लोकतंत्र क्या है ? (What is Democracy ?)
उसी तरीके से लोकतंत्र भी एक शासन व्यवस्था है, जिसके जरिए किसी देश का शासन चलाया जाता है । आधुनिक युग में लोकतंत्र सबसे अच्छी शासन व्यवस्था मानी जाती है, क्योंकि लोकतंत्र के अंदर सबसे ज्यादा अधिकार होते हैं, सबसे ज्यादा स्वतंत्रता होती हैं, और उन स्वतंत्रताओं की रक्षा भी की जाती है ।
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हालांकि मार्क्स ने लोकतंत्र को ज्यादा महत्व नहीं दिया है, लेकिन 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद लोकतंत्र सर्वश्रेष्ठ शासन व्यवस्था बन गई । यानी की सबसे बेहतर और अच्छी शासन व्यवस्था बन गई ।
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लोकतंत्र के रूप (Types of Democracy)
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लोकतंत्र के दो रूप हैं । पहला प्रत्यक्ष लोकतंत्र और दूसरा अप्रत्यक्ष लोकतंत्र ।
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प्रत्यक्ष लोकतंत्र में जनता खुद कानून बनाती है और उन्हें लागू करती है । प्रत्यक्ष लोकतंत्र को प्राचीन यूनान में अपनाया गया था । अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती है और वह प्रतिनिधि कानून बनाते हैं । आज ज्यादातर देशों में अप्रत्यक्ष लोकतंत्र को अपनाया जाता है, क्योंकि प्रत्यक्ष लोकतंत्र को आसानी से नहीं अपनाया जा सकता । प्रत्यक्ष लोकतंत्र को वहां अपनाया जा सकता है, जहां की जनसंख्या कम हो । प्राचीन यूनान में जनसंख्या बहुत ही कम थी 500 या 600 लोग हुआ करते थे । वह आपस में मिलकर कानून बनाते थे और उन्हें लागू करते थे, लेकिन आज कोई भी छोटे से छोटा राज्य या देश ऐसा नहीं है, जहां की जनसंख्या कम हो हर राज्य या देश की संख्या लाखों और करोड़ों में है । इसके अलावा कोई भी जगह ऐसी नहीं है, जहां पर सभी लोग इकट्ठा होकर मशवरा ले सकें, कानून बना सके या किसी निर्णय पर पहुंच सके । मतलब कोई कानून बना कर उसे लागू कर सकें । इसीलिए आज के इस दौर में अप्रत्यक्ष लोकतंत्र को अपनाया जाता है ।
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अब अप्रत्यक्ष लोकतंत्र किसे कहते हैं ? यानी जब किसी देश या राज्य की जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती है । वही लोग देश के लिए कानून बनाते हैं और उसे लागू करवाते हैं तो इसे ही अप्रत्यक्ष लोकतंत्र कहा जाता है ।
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लोकतंत्र पर सबसे अच्छी परिभाषा
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अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने कहा है कि
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“जनता का जनता के लिए और जनता द्वारा किया गया शासन लोकतंत्र कहलाता है |”
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लोकतंत्र की विशेषताएं (Characteristics of Democracy)
लोकतंत्र की बहुत सारी विशेषताएं हैं । लोकतंत्र मैं अंतिम सत्ता जनता में निहित होती है । इसमें सारे फैसले सरकार लेती है । सरकार ही कानून बनाती है, और सरकार ही उसे लागू करती है । यानी सरकार के पास Power है, यानी प्रभुसत्ता है । लेकिन सरकार से भी बड़ी Power है जनता के पास ।
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दाईसी ने कहा है कि
कानूनी प्रभु सत्ताधारी के पीछे एक और प्रभु सत्ताधारी होता है । जिसके आगे कानूनी प्रभु सत्ताधारी को झुकना पड़ता है । और वह प्रभु सत्ताधारी जनता है, यानी लोकतंत्र में शासन चलाने की जो अनुमति प्रदान करती है, शासन चलाने की जो शक्ति प्रदान करती है । वह जनता प्रदान करती है, यानी लोकतंत्र में अंतिम सत्ता जनता में निहित होती है ।
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सार्वभौमिक वयस्क मत अधिकार
लोकतंत्र के अंदर सभी को समान रूप से वोट डालने का अधिकार दिया जाता है । इसे कहते हैं सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार । सार्वभौमिक का मतलब होता है सभी को । वयस्क का मतलब होता है, जो बड़े हैं । वयस्क की जो उम्र रखी गई है भारत में 18 वर्ष रखी गई है । यानी 18 वर्ष पूरे होने पर उस इंसान को व्यस्क कहा जाता है । और मताधिकार का मतलब होता है वोट डालने का अधिकार । जब चुनाव का वक्त आता है, तो किसी से यह नहीं पूछा जाता है, कि आप की जाति क्या है ? आप हिंदू हो या मुसलमान हो । ऊंची जाति के हो या फिर नीची जाति के हो । अमीर हो गरीब हो । यह कुछ भी नहीं पूछा जाता । व्यक्ति है, नागरिक है, 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुका है, मतदाता सूची में नाम है, तो अपना वोट डाल सकता है, यानी जब सभी को समान रूप से वोट डालने का अधिकार दिया जाता है, उसे ही सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार कहते हैं ।
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एक से अधिक दल का होना
लोकतंत्र में एक से ज्यादा दल होते हैं, जिनमें खुलकर प्रतियोगिता होती है । लोकतंत्र में एक से ज्यादा दलों का होना बहुत ही जरूरी है । अगर एक दल है आप वोट दो या ना दो सरकार उसी की ही बनेगी । यह लोकतंत्र नहीं होगा । जनता की पसंद की सरकार तो तब बनेगी जब जनता को कई दलों में से किसी एक दल को या किसी एक सरकार को बनाने का या उसे चुनने का मौका दिया जाएगा ।
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लोकतंत्र में विचारों के आदान-प्रदान के जरिए सरकार बनती है । सारा खेल बहुमत का होता है । जिस पार्टी के पास बहुमत होता है, यानी सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं, उसी को सरकार बनाने का मौका मिलता है । कभी-कभी ऐसा भी होता है कि एक पार्टी को निर्धारित बहुमत नहीं मिल पाता । तो दो या तीन पार्टी आपस में मिलकर बहुमत साबित करती हैं । फिर आपस में गठबंधन करके सरकार बनाती हैं । तो लोकतंत्र में एक से ज्यादा दल होते हैं, जो आपस में सत्ता प्राप्त करने के लिए संघर्ष करते रहते हैं, प्रतियोगिता करते रहते हैं ।
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तो दोस्तों लोकतंत्र में एक से ज्यादा दलों का होना बहुत ही जरूरी है ।
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लोकतंत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होते हैं । लोकतंत्र में एक निश्चित अवधि के बाद चुनाव होते हैं । जैसे अमेरिका के अंदर हर 4 साल बाद चुनाव होते हैं । भारत में हर 5 साल बाद चुनाव होते हैं । तो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का होना बहुत जरूरी है, और निश्चित अवधि के बाद भी चुनावों का होना बहुत जरूरी है ।
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लोकतंत्र के अंदर अल्पसंख्यकों की तरफ भी ध्यान दिया जाता है । लोकतंत्र सिर्फ बहुसंख्यकों का शासन नहीं है । लोकतंत्र का मतलब है, लोगों का शासन यानी सब का शासन । इस में अल्पसंख्यकों की तरफ भी उतना ही ध्यान दिया जाता है, जितना बहुसंख्यकों की तरफ । इसमें सभी के अधिकारों की रक्षा की जाती है । हालाँकि भारत के अंदर अल्पसंख्यकों को बहुत ज्यादा अधिकार दिए गए हैं, ताकि वह अपनी संस्कृति की रक्षा कर सकें ।
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लोकतंत्र में विपक्षी दलों को भी बराबर मान्यता दी जाती है । विपक्ष के दमन की नीति को नहीं अपनाया जाता । विपक्ष का होना भी उतना ही जरूरी है जितना सरकार का होना है । क्योंकि विपक्ष सरकार की गलत नीतियों को जनता के सामने लाता है । सरकार को सही रास्ते पर लाता है । अगर विपक्ष ना हो तो सरकार बेलगाम घोड़ों की तरह काम कर सकती है । इसलिए विपक्ष का होना भी बेहद जरूरी है ।
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लोकतंत्र की आलोचना
लोकतंत्र हालांकि बहुत अच्छी शासन व्यवस्था है, लेकिन काफी सारे लोग लोकतंत्र की आलोचना भी करते हैं । जैसे लोकतंत्र के अंदर धन और बल का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है । पैसे का और पावर का गलत इस्तेमाल किया जाता है । लोकतंत्र के अंदर जो अपराधी प्रवृत्ति के लोग हैं, उन्हें ही बार बार जीतने का मौका मिलता है । लोकतंत्र के अंदर घोड़ों की जगह संख्या पर जोर दिया जाता है यानी 10 लोग कह रहे हैं कि यह कुआं है इसमें मत कूदो और 90 लोग कह रहे हैं कि इसमें कूदो तो 90 लोगों की बातों को माना जाएगा लोकतंत्र के अंदर सभी के वोटों की वैल्यू बराबर है एक इंसान जिसे राजनीति के बारे में जानकारी ही नहीं है या जो पढ़ा लिखा नहीं है उसके बोर्ड की वैल्यू बराबर है और एक पढ़ा लिखा इंसान जिसके विषय के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी है उसकी वोट की वैल्यू भी उतनी ही है यानी अनपढ़ और पालिका पढ़े लिखे इंसान की वोटों की बराबर होती है लोकतंत्र में विशिष्ट वर्गीय सिद्धांत के हिसाब से लोकतंत्र के अंदर कुछ विशिष्ट लोगों का शासन होता है लोकतंत्र के अंदर कभी भी गरीब लोग आगे नहीं बढ़ सकते यह विशिष्ट वर्गीय लोगों का मानना है ।
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तो दोस्तों यह था आपका लोकतंत्र का परिचय, अगर आपको इस Chapter के Detail में Notes चाहिए तो आप हमारे WhatsApp वाले नंबर 9999338354 पर Contact कर सकते हैं | आप इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ Share करें |
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धन्यवाद