Concept of Ideology International Politics
Hello दोस्तों ज्ञानउदय में आपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम बात करते हैं, अंतरराष्ट्रीय राजनीति विज्ञान में अंतरराष्ट्रीय विचारधारा और इसकी संकल्पना के बारे में । (Concept of Ideology International Politics), इस Topic में हम जानेंगे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में विचारधारा के बारे में, राष्ट्रों के आपस में संबंधो के बारे में । अलग-अलग विचारकों ने इसके बारे में क्या मत दिए हैं । वर्तमान में इसका विकास और इसका क्या योगदान रहा है । साथ ही साथ जानेंगे कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर इस विचारधारा की संकल्पना का क्या प्रभाव पड़ा है । तो चलिए शुरू करते हैं, आसान भाषा में ।
अंर्तराष्ट्रीय राजनीति में विचारधारा
अगर अंतरराष्ट्रीय राजनीति के संबंध में विचारधारा की बात की जाए तो यह साधारण विचारधारा से बिलकुल अलग मानी जाती है । साधारण विचारधारा में लोगों के विचारों या उनके विश्वासों को विचारधारा कहा जाता है । जबकि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में विचारधारा का अर्थ उन विशिष्ट धारणाओं से लिया जाता है, जिन्हें राष्ट्र अपने राष्ट्रीय हितों के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल करता है । इस तरह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह विचारधारा राष्ट्रों के व्यवहार को प्रभावित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ।
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अंतरराष्ट्रीय संबंधों को चलाने में इसका काफी योगदान माना जाता है । अंतरराष्ट्रीय राजनीति में विचारधारा किसी राष्ट्र की शक्ति को दिखाता है तथा विदेश नीति के जो वास्तविक उद्देश्य हैं, उनको छुपाने में भी सहायक माना जाता है । संक्षेप में कहा जाए तो अंतरराष्ट्रीय राजनीति की विचारधारा को राष्ट्रहित की पूर्ति का साधन और स्त्रोत माना जाता है ।
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प्रमुख विचारों द्वारा अंतरराष्ट्रीय राजनीति की विचारधारा के बारे में विशेष कथन
आइए अब जानते हैं, कुछ विचारकों के बारे में जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय राजनीति की विचारधारा के ऊपर अपने विचार दिए हैं । सबसे पहले हम बात करते हैं, चार्ल्स पी. शलीचर की ।
चार्ल्स शलीचर के अनुसार –
“विचारधारा व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के अमूर्त विचारों की ऐसी व्यवस्था है, जो वास्तविकता का अर्थ बताती है । मूल लक्ष्यों को अभिव्यक्त करती है तथा ऐसी कार्य योजना बनाती है, जिससे इसके विरोधी यह विश्वास करते हैं कि लक्ष्य की पूर्ति हो सकती है ।”
पैडलफोर्ट और लिंकन के अनुसार-
“विचारधारा आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक मूल्यों तथा लक्ष्यों से संबंधित विचारों का एक ऐसा समूह है जो इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कार्य योजना का निर्धारण करता है ।”
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अंतरराष्ट्रीय राजनीति में विचारधारा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संबंध स्थापित करने का एक प्रमुख स्रोत माना जाता है । यह शक्ति के लिए संघर्ष है । हर देश के लिए उसके लक्ष्य, उद्देश्य तथा इच्छाएं महत्वपूर्ण होती हैं तथा हर देश अपने हितों को न्यायसंगत नैतिक तथा वैध बताने के लिए दूसरे राष्ट्रों की नीतियों तथा मांगों की आलोचना करके तथा उन्हें अस्वीकार करने के लिए इस विचारधारा का प्रयोग एक साधन के रूप में करता है । इस तरह एक देश विचारधारा का प्रयोग करके अपने जैसे दूसरे देशों के साथ मित्रता तथा सहयोग बढ़ाने के लिए भी किया जाता है ।
विचारधारा का विकास
दूसरे विश्व युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विचारधारा के महत्व में अत्यधिक वृद्धि हुई । बीसवीं सदी के प्रारंभ में कई विचारधाराओं का विकास हुआ । जैसे रूस में समाजवादी विचारधारा, इटली में फासीवाद तथा जर्मनी में नाजीवाद । इसके अलावा शीतयुद्ध विचारधाराओं का ही युद्ध था । यह उदारवादी तथा साम्यवादी विचारधारा का ही संघर्ष का था । इसी तरह हर किसी ने अपनी अपनी विचारधाराओं को उचित बताया है ।
मार्गेनथाउ के अनुसार-
“विचारधारा इन राजनीतिक कार्यों के वास्तविक स्वरूप को छुपाने का पर्दा है ।”
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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विचारधाराएं विदेश नीति के उद्देश्यों के जो वास्तविक स्वरूप हैं, उन को छुपाने के लिए इस्तेमाल की जाती है । कोई भी देश दूसरे देश को अपनी विदेश नीति के उद्देश्यों को उजागर नहीं करना चाहता । विदेश नीति को उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए चातुर्य एवं कुशलता की आवश्यकता होती है । जो राष्ट्र हित ओं को पूरा करती है ।
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अंतरराष्ट्रीय राजनीति में विदेश संबंधों के विश्लेषण से विशिष्ट विचारधाराओं का पता चलता है । इसी तरीके से मार्गेनथाउ ने उन अंतरराष्ट्रीय राजनीति विचारधाराओं के बारे में बताया है । उसने तीन विचारधाराओं का वर्णन किया है, जो कि निम्नलिखित हैं ।
1) यथा पूर्व स्थिति की विचारधारा ।
इस अंतरराष्ट्रीय विचारधारा का अर्थ यह है, कि जो राष्ट्र अपनी शक्ति स्थिति को सुरक्षित रखना चाहते हैं । वह यथा पूर्व स्थिति नीति का अनुसरण करते हैं । इसमें कई सारे देश शामिल किए जाते हैं । जैसे स्विट्जरलैंड, नार्वे, स्वीडन आदि ।
2) साम्राज्यवाद की विचारधाराएं ।
इससे आगे बढ़कर अंतरराष्ट्रीय राजनीति की विचारधारा तथा पूर्व स्थिति यह विद्यमान व्यवस्था को बदलने की जो कोशिश करें, उसे साम्राज्यवादी नीति कहा जाता है । यह किसी देश के पिछले देशों पर नैतिक विकास तथा प्राकृतिक विकास के सिद्धांत द्वारा उचित ठहराने के लिए किया जाता है ।
3) अस्पष्ट या साम्राज्य विरोधी विचारधाराएं ।
इसी तरह से कई सारे देश अपनी बनाई गई विदेश नीति के आधार पर लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कई सारी अस्पष्ट विचारधाराओं का प्रयोग करते हैं । इन्हीं विचारधाराओं को साम्राज्य विरोधी विचार धाराएं कहा जाता है । इन विचारधाराओं द्वारा अपने विरोधियों को साम्राज्यवादी कहकर उनकी आलोचना की जाती है ।
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अंतर्राष्ट्रीय विचारधारा के अंतर्गत कई सारे देश अपने मनमाने कार्यों को, निजी तौर पर निर्णय, संयुक्त राष्ट्र का शांति की विचारधारा का प्रयोग करके भी उचित ठहराते हैं ।
इस तरीके से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में इन विचारधाराओं का प्रयोग अपने वास्तविक उद्देश्यों को छुपाने, दूसरे देशों की नीतियों की आलोचना करने तथा अपने देश की रक्षा व आक्रमण से सुरक्षा आदि के लिए भी इस्तेमाल की जाती हैं । अंतरराष्ट्रीय संबंधों में विचारधारा का प्रयोग शक्ति को बढ़ाने तथा उसे छुपाए रखने के लिए भी इस्तेमाल की जाती है । इस तरह से देखा जाए तो अंतरराष्ट्रीय संबंधों में ये विचारधाराएं आपसी सहयोग तथा विरोध दोनों का ही स्रोत मानी जाती हैं तथा यह विचारधाराएं विदेश नीति के लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं ।
तो दोस्तों यह था आपका अंतरराष्ट्रीय राजनीति विज्ञान में अंतरराष्ट्रीय विचारधाराएं तथा उनकी संकल्पना । अगर आपको यह Post अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ जरुर Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद ।
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