अधिनायकतंत्र क्या है ?

Meaning of Dictatorship

Hello दोस्तों ज्ञानउदय में आपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम बात करते हैं, राजनीति विज्ञान के अंतर्गत अधिनायकतंत्र यानी डिक्टेटरशिप (Dictatorship) के बारे में । यह एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें शासन सिर्फ एक ही व्यक्ति के हाथ में होता है और वह अपने तरीके से राज्य या देश को चलाता है आइए विस्तार से इसके बारे में जान लेते हैं ।

अधिनायकतंत्र का अर्थ

एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके अंतर्गत शासन कुछ ही व्यक्तियों के हाथ में केंद्रित होता है तथा शासक निरंकुश रूप में शासन करता है । इसके अंतर्गत तानाशाह किसी दल का नेता सैनिक अधिकारी या शक्ति संपन्न व्यक्ति होता है जो अपनी योग्यता या क्षमता के बल पर निर्वाचन ने सत्ता पर कब्जा करके शासक बन जाता है और राज्य करता है । फोर्ड के अनुसार राज्य के अध्यक्ष द्वारा असामान्य रूप से कानून से हटकर प्रभु सत्ता पर कब्जा कर लेना ही अधिनायक तंत्र कहलाया जाता है ।

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सोल्टाऊ अनुसार यह एक व्यक्ति का शासन है जो अपने पद पर वंशानुक्रम के आधार पर नियुक्त नहीं होता है बल्कि शक्ति या सहमति दोनों के आधार पर शासन करता है ।

अधिनायक तंत्र के उदाहरण

आइए आइए अब जानते हैं, अधिनायक तंत्र के कुछ उदाहरणों के बारे में । द्वितीय विश्व युद्ध के बाद लोकतंत्र की स्थिति बहुत खराब थी । विश्व युद्ध के बाद अधिनायकवादी ‘लोकतंत्र को सड़ी हुई लाश’ समझने लगे थे । इसके कुछ उदाहरण इस तरह से हैं । सन 1922 में मुसोलिनी इटली का तानाशाह बना । सन 1933 में हिटलर जर्मनी का अधिनायक रहा तथा सन् 1923 में प्रीमोदि रिवेरा स्पेन का तानाशाह बना था । 1931 में सम्राट कैरोल रोमानिया का तानाशाह बना ।

यह कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण है, जो इतिहास में एक तानाशाह या अधिनायकवाद के रूप में पढ़ें और सुने जाते हैं ।

अधिनायक तंत्र की विशेषताएं

दोस्तों अब अधिनायक तंत्र की कुछ विशेषताओं के बारे में भी जान लेते हैं । अधिनायक तंत्र के तानाशाह या क्रूर होने के अलावा इसकी अपनी कुछ विशेषताएं भी है । जिसके अंतर्गत अधिनायक तंत्र राज्य का सभी अधिकारी स्वरूप होता है । वह लोगों के लिए अपने राज्य के लिए कार्य करता है । यह लोकतंत्र के विरुद्ध होता है । इसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता की कमी होती है । इसमें एक दल होता है कि नेता होता है और इसका एक कार्यक्रम तथा Agenda होता है ।

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इसमें राज्य तथा सरकार में कोई अंतर नहीं होता । धर्म का विरोध भी होता है । युद्ध को समर्थन मिलता है  साम्राज्यवाद का समर्थन किया जाता है तथा समाजवाद का विरोध होता है तथा इसमें अंतरराष्ट्रीयता का भी विरोध किया जाता है ।

अधिनायक तंत्र के गुण तथा दोष

जिस तरह से अधिनायक तंत्र के अंतर्गत उसकी विशेषताएं होती हैं, इसी प्रकार इसमें इस के गुण और अवगुण भी पाए जाते हैं । अगर हम अधिनायक तंत्र के गुणों की बात करें तो, अधिनायक तंत्र के अंतर्गत एक शक्तिशाली सरकार होती है । जिसमें उनके द्वारा कुशल रूप से शासन चलाया जाता है । इसमें समय और धन की बचत की जाती है । इसमें उत्तरदायित्व का विभाजन नहीं होता । संकटकाल में यह उपयुक्त मानी जाती है । युद्ध में अधिक शक्तिशाली बनके उभरती है । इसमें राष्ट्रीय गर्व तथा उन्नति को बढ़ावा भी मिलता है ।

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अगर अधिनायक तंत्र के अवगुणों और उसके दोषों के बारे में बात की जाए तो, इस व्यवस्था के अंतर्गत व्यक्तिगत स्वतंत्रता तथा व्यक्तियों के अधिकारों की कमी तथा अभाव पाया जाता है । इसमें निरंकुश रूप से शासन किया जाता है । इसमें युद्ध का पोषक होता है तथा साम्राज्यवाद को बढ़ावा नहीं मिलता तथा शक्ति का दुरुपयोग किया जाता है । अंतर्राष्ट्रीयता का विरोध किया जाता है । इसमें शासन स्थाई होता है तथा योग्य अधिकारियों का अभाव पाया जाता है ।

निष्कर्ष के रूप में कहा जाए तो अधिनायक तंत्र के अंतर्गत दोष पूर्ण शासन तथा सत्ता एक ही व्यक्तिगत में केंद्रित होने के कारण लोगों के अधिकारों का हनन होता है।  उनको स्वतंत्रता नहीं मिल पाती है । इस तरह देखा जाए तो यह शासन का सही रूप नहीं है ।

तो दोस्तों यह था अधिनायक तंत्र (what is Dictatorship) के बारे में । हमने जाना इसकी विशेषताएं, अर्थ, गुण और दोष के बारे में । अगर आप को यह Post अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!

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