Hello Friends, Gyaanuday में आपका स्वागत है । आज हम जानते हैं, ‘गुटनिरपेक्षता’ के बारे में । दोस्तो Topic शुरू करने से पहले आपके प्यार और Support का बहुत बहुत धन्यवाद । आपसे निवेदन है कि आप इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ Share करें । इसके अलावा Political Science से Related Videos देखने के लिये आप हमारे Youtube Channel Gyaan Uday पर भी Visit कर सकते हैं । तो जानते हैं गुटनिरपेक्षता के बारे में ।
गुटनिरपेक्षता का अर्थ (Meaning of Non-Alignment)
“जब कोई देश किसी गुट में शामिल नहीं होता तो वह देश गुटनिरपेक्ष कहलाता है ।”
गुटनिरपेक्षता का सीधा सम्बन्ध शीत युद्ध से है । उपनिवेशवाद की समाप्ति के बाद दुनिया दो गुटों में बट चुकी थी । जब 1947 में भारत आजाद हुआ था तो उस समय 2 गुट, अमेरिकी गुट और सोवियत गुट अंतरराष्ट्रीय राजनीति की प्रमुख विशेषता बन चुका थे । उन दिनों विदेश नीति से संबंधित हर चर्चा में यह पूछा जाता था कि कौन सा देश किस गुट से संबंध रखता है ।
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जवाहरलाल नेहरू ने सितंबर 1947 में संविधान सभा में कहा था कि भारत का किसी गुट से कोई स्थाई संबंध नहीं है । जिससे की गुटनिरपेक्षता की शुरुआत हुई थी । आगे चलकर बहुत सारे देशों ने इस नीति को अपना लिया । धीरे-धीरे करके गुटनिरपेक्षता की नीति ने एक आंदोलन का रूप ले लिया ।
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गुटनिरपेक्षता और तटस्था
कई पश्चिमी लेखकों ने गुटनिरपेक्षता को तटस्था कहा है । लेकिन तटस्था और गुटनिरपेक्षता में जमीन आसमान का अंतर है । तटस्था विश्व शांति को बढ़ावा नहीं देती । मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा नहीं देती । और यह एक अलगाव की नीति है ।
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तटस्थावादी देश किसी भी देश के पक्ष में युद्ध में शामिल नहीं होते और इस तरीके के देशों को दूसरे देशों की तरफ से यह वचन दिया जाता है कि उसे किसी भी युद्ध में नहीं घसीटा जाएगा तटस्थावादी देश भी दूसरे देशों को यह वचन देता है कि किसी भी युद्ध में किसी का भी पक्ष नहीं लेगा । लेकिन हो सकता है कि वह यह तटस्था छोड़ कर किसी युद्ध में शामिल हो जाए फिर वह देश तटस्थ नहीं कहलाएगा ।
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इसके विपरीत गुटनिरपेक्षता विश्व शांति को बढ़ावा देती है । और किसी महाशक्ति को क्या अच्छा लगता है इसकी चिंता किए बिना गुटनिरपेक्ष देश अपने फैसले स्वतंत्र रूप से लेते हैं । वह सिर्फ अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए अपने निर्णय लेते हैं ।
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गुटनिरपेक्षता का आधार
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भारत सहित सभी देश अंतरराष्ट्रीय राजनीति में यथा स्थिति बनाए रखने के पक्ष में नहीं थे । यानी वह उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद और जातिवाद जैसी बुरी बुरी प्रथाओं को खत्म करना चाहते थे । और गुटनिरपेक्ष देश ऐसी विश्व व्यवस्था में विश्वास रखते थे जिसमें स्वतंत्रता और समानता हो । गुटनिरपेक्षता सभी देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देती है । और दुनिया में सभी गुटों का और ऐसे गुटों का विरोध करती है जो दुनिया को शक्ति गुटों में या सैनिक गुटों में विभाजित कर देते हैं । और यह अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान करने के लिए बल प्रयोग के खिलाफ है । बातचीत के द्वारा समस्याओं के समाधान पर जोर देती है या बल देती है ।
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गुट निरपेक्ष आंदोलन का विकास
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गुटनिरपेक्ष आंदोलन की औपचारिक शुरुआत सितंबर 1961 में बेलग्रेड के अंदर आयोजित एक meeting से हुई । इस सम्मेलन में उन 25 देशों ने भाग लिया जो बिना किसी संदेह के गुटनिरपेक्षता पर आचरण करने वाले थे । सम्मेलन से पहले जवाहरलाल नेहरू, नासिर और मार्शल टीटो ने पांच ऐसे आधार तय कर दिए जिन पर खरे उतरने वाले देशों को ही इस सम्मेलन के अंदर आमंत्रित किया जाना था ।
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पहला वह देश जो गुटनिरपेक्षता का सदस्य बनना चाहता था । वह शांतिपूर्ण, सह सपूर्ण और स्वतंत्र विदेश नीति के अनुसार आचरण करता हो ।
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दूसरा वह देश उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद का विरोध करता हो ।
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तीसरा वह शीत युद्ध से संबंधित किसी सैनिक गुट का सदस्य ना हो ।
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चौथा उसने किसी महाशक्ति को अपने क्षेत्र में सैनिक अड्डे बनाने की अनुमति ना दी हो । और
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पांचवा उसकी किसी महाशक्ति के साथ कोई द्विपक्षीय संधि ना हो ।
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25 देशों की सदस्यता हासिल करना
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आंदोलन के शुरू में 25 देशों ने इसकी सदस्यता हासिल की और समय-समय पर इसकी और भी बैठक में होती रही । धीरे-धीरे करके नई-नई बैठकों में इसकी सदस्य संख्या भी बढ़ती चली गई । अब वर्तमान में 120 देश गुटनिरपेक्षता के सदस्य हैं । शुरू की बैठकों में विश्व स्तर पर शांति, उपनिवेशवाद के विरोध और गुटनिरपेक्षता पर बल दिया । लेकिन और भी देशों के जुड़ने के बाद बैठको के अंदर नई नई समस्याओं पर विचार होता चला गया । जैसे कि पर्यावरण की सुरक्षा करना, आतंकवाद को खत्म करना, सामाजिक आर्थिक विकास को बढ़ावा देना आदि । इस तरीके से गुटनिरपेक्षता में समस्याओं पर भी विचार-विमर्श होता था तथा समाधान भी खोज जाता था ।
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गुटनिरपेक्षता के उदय के कारण
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1. शीतयुद्ध का होना।
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अब हम जानते हैं गुटनिरपेक्षता के उदय के कारण जिसमें सबसे पहला कारण था शीत युद्ध । दूसरे विश्व युद्ध के बाद अमेरिका और सोवियत संघ के बीच गंभीर मतभेद पैदा हो गया । अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में इसी को शीत युद्ध के नाम से जाना जाता है ।
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नव स्वतंत्र देशों ने शीत युद्ध से अलग रहने का समर्थन किया । इस तरीके से शीत युद्ध से अलग रहने की नीति गुटनिरपेक्षता की नीति कहलाती है । और गुट निरपेक्षता की शुरुआत करती है ।
2. मनोवैज्ञानिक की व्यवस्था ।
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नव स्वतंत्र देशों ने मनोवैज्ञानिक रुप से भी गुटनिरपेक्षता की नीति को बेहतर माना । क्योंकि गुटनिरपेक्षता को अपना कर कभी भी किसी भी देश पर स्वतंत्र रूप से कार्यवाही करना चाहे तो वह कर सकते हैं । और अपने स्वतंत्र अस्तित्व को बनाए रख सकते हैं । अब इसलिए नव स्वतंत्र देशों ने गुटनिरपेक्षता की नीति पर भरोसा किया ।
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3. सैनिक गुटों से अलग रहना ।
सन 1945 के बाद बहुत सारे देश आजाद हुए । 1945 से 50 के बीच एशिया और अफ्रीका के काफी सारे देश आजाद हुए । यह सब गरीब, शोषित और पिछड़े हुए देश थे । अगर यह किसी भी गुट में शामिल होते तो इन्हें हथियारों की होड़ में शामिल होना पड़ता । शीत युद्ध में शामिल होना पड़ता जबकि इन्हें तेजी से विकास करना था । इन्हें अपना पैसा तरक्की के लिए लगाना था ना कि हत्यारों के लिए । इस लिहाज से भी गुटनिरपेक्षता की नीति बेहतर लगती है । और
4. स्वतंत्र विदेश नीति की अभिलाषा ।
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नव स्वतंत्र देश गुटनिरपेक्षता के जरिए खुद को एक स्वतंत्र शक्ति के रूप में स्थापित करना चाहते थे । अगर वह किसी भी गुट में शामिल हो जाते तो अपनी स्वतंत्र देश-विदेश नीति नहीं बना सकते थे । गुट निरपेक्षता के अभाव में नव स्वतंत्र देशों को महा शक्तियों के इशारों पर नाचने के लिए मजबूर होना पड़ता । और
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5. आर्थिक कारण ।
गुटनिरपेक्षता का एक और बड़ा अन्य कारण है, जिसे आर्थिक कारण कहते हैं क्योंकि यह जो नव स्वतंत्र देश थे । इनका उद्देश्य था आर्थिक विकास की गति को तेज करना । और आज भी इनका मकसद काफी हद तक तरक्की करना ही है । अगर यह किसी भी गुट में शामिल होते तो सिर्फ एक गुट से सहायता मिलती । दोनों गुट से सहायता नहीं मिलती और गुटनिरपेक्षता को अपना कर स्वतंत्र देश दोनों ही गुटों से सहायता प्राप्त कर सकते थे । और अपनी तरक्की कर सकते थे । इस लिहाज से भी नव स्वतंत्र देशों को गुटनिरपेक्षता की नीति बेहतर लगी जिससे उनका आर्थिक विकास हुआ ।
गुटनिरपेक्षता की उपलब्धियां
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अब हम जानते हैं गुटनिरपेक्षता की उपलब्धियों के बारे में । गुटनिरपेक्षता एक नई संकल्पना है । शुरू में नव स्वतंत्र देशों की इस सोच को महा शक्तियों ने एक ढोंग माना । लेकिन धीरे-धीरे करके उनकी सोच के अंदर बदलाव आया । महाशक्तियों ने शुरू में ढोंग इसलिए माना कि नव स्वतंत्र देशों को दोनों में से किसी एक का साथ देना पड़ेगा । या तो पूंजीवादी गुट को अपनाना पड़ेगा या फिर साम्यवादी गुट को । लेकिन धीरे-धीरे करके महा शक्तियों की सोच के अंदर बदलाव आया । और उन्होंने सोचा कि यह गरीब और पिछड़े हुए देश हैं । यह अपनी स्वतंत्रता को बचाए रखना चाहते हैं और तेजी से विकास करना चाहते हैं ।
गुट निरपेक्षता की वजह से दुनिया में शांति बनी रही । मैत्रीपूर्ण संबंधों का विकास हुआ और शीतयुद्ध तीसरे विश्वयुद्ध के अंदर नहीं बदल सका । इस तरीके से गुटनिरपेक्षता का अपनाने से बहुत सारी दुनिया में फायदे भी हुए ।
गुटनिरपेक्षता की प्रासंगिकता
अब हम गुटनिरपेक्षता की प्रासंगिकता के बारे में भी जान लेते हैं । गुटनिरपेक्षता का उदय अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शुरू हुए शीत युद्ध को खत्म करने के लिए किया गया था । लेकिन 1991 में शीत युद्ध के खत्म होने से सोवियत संघ के विघटन से सवाल पैदा हुआ की गुटनिरपेक्षता को बनाए रखना जरूरी है या नहीं लेकिन वर्तमान में यह आंदोलन और भी ज्यादा महत्वपूर्ण या प्रसांगिक हो गया क्योंकि इसका मकसद सिर्फ गुटों से दूर रहना ही नहीं या शांति को बढ़ावा देना नहीं बल्कि सामाजिक आर्थिक विकास को बढ़ावा देना हैन। मानव समस्याओं के प्रति जागरूकता पैदा करना है । और अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं को लेकर जागरूकता पैदा करना ही इसका मकसद है । गुटनिरपेक्ष आंदोलन पिछड़े देशों का समूह है जिसकी वजह से सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े देशों को बढ़ावा मिला है । गुटनिरपेक्षता के जरिए पिछड़े और नव स्वतंत्र देश अपनी स्वतंत्रता की रक्षा कर सकते हैं । गट निरपेक्षता के द्वारा निशस्त्रीकरण को आसानी से बढ़ावा दिया जा सकता है । और गुट निरपेक्षता की बहुत सारी वैश्विक समस्याओं के प्रति जागरूकता पैदा की जा सकती है जैसे कि पर्यावरण, वैश्विक ताप वृद्वि, आतंकवाद और गुटनिरपेक्षता के जरिए ही विकासशील देश विकसित देशों का मुकाबला कर सकते हैं ।
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तो दोस्तों यह है आपका गुटनिरपेक्षता Non Alignment movement अगर आपको इस Chapter के Notes चाहिए तो आप हमारे whatsapp 9999338354 पर Contact सकते हैं ।धन्यवाद
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