Theory of citizenship by TH Marshall in Hindi

टी. एच. मार्शल द्वारा नागरिकता का सिद्धान्त

Hello दोस्तों ज्ञानोदय (Gyaan Uday) में आपका स्वागत है । आज हम बात करते हैं, नागरिकता पर टी एच मार्शल (T.H. Marshall) के विचारों की (Theory of citizenship by T.H. Marshall in Hindi) । टी एच मार्शल का पूरा नाम Professor: Thomas Humphrey Marshall है ।

नागरिकता आधुनिक युग का एक महत्वपूर्ण प्रशन है क्योंकि हर व्यक्ति की पहचान उसकी नागरिकता से जुड़ी हुई है । इसलिए प्राचीन काल से ही विचारकों ने नागरिकों के ऊपर अपने विचार दिए हैं । अरस्तु के अनुसार “नागरिक वह व्यक्ति है जो कानून निर्माण की प्रक्रिया और न्याय प्रशासन में भाग लेता है ।” इस तरीके से अरस्तु ने नागरिकता को बेहद सीमित अर्थों में समझाने का प्रयास किया है । आधुनिक युग में उदार वादियों ने नागरिकता पर सुरक्षा, कर्तव्य, पालन और देशभक्ति के साथ जोड़ने का प्रयास किया है । उदहारण के लिए अगर कोई व्यक्ति किसी देश का नागरिक है तो वह देश उस व्यक्ति की सुरक्षा करता है और व्यक्ति अपने कर्तव्यों का पालन करता है और वह व्यक्ति अपने देश के प्रति वफादार रहता है । नागरिकता को समझाने के लिए टी एच मार्शल ने एक किताब लिखी । सिटीजनशिप एंड सोशल क्लास ( Citizenship and Social Class) और इस किताब में मार्शल ने 2 सवाल उठाए । पहला सवाल था कि

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1 . नागरिकता का जन्म कैसे हुआ ? और दूसरा सवाल यह था कि

2 . असमान होते हुए भी लोग एक दूसरे के साथ क्यों रहते हैं ?

कॉल मार्क्स का कहना था कि जिस समाज में आर्थिक असमानताएं होती हैं, वहां पर क्रांति अवश्य होती है । लेकिन मार्क्स के इस तथ्य को मार्शल नहीं मानते । मार्शल का यह कहना था कि अगर समाज में सभी लोगों को समान अधिकार दे दिए जाएं तो असमानताएं फिर भी रहेगी । लेकिन असमानताओं की वजह से जो उग्रता वाली भावना है, वह कम हो जाएगी । लोग असमान होते भी एक साथ रहने के लिए तैयार हो जाएंगे । इस तरीके से मार्शल ने नागरिकता को पूंजीवाद कल्याणकारी राज्य और अधिकारों के संबंध में स्पष्ट किया ।

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असमानता का उदय

मार्शल का यह मानना था कि समाज में पूंजीवाद के उदय के साथ अमानता पैदा हुई और कई वर्ग पैदा हुए । जिससे वर्ग संघर्ष की संभावना पैदा हुई क्योंकि एक तरफ सामंतवादी वर्ग था और दूसरी तरफ निर्धन वर्ग था । जिन्हें अलग-अलग अधिकार दिए गए थे । समाज में लोग असमानता का विरोध करने लगे । इसलिए असमानता को दूर करने की कोशिश शुरू की गई और भेदभाव को खत्म करने के लिए सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए गए । जिससे सब एक दूसरे को स्वीकार करने लगें और एक दूसरे के साथ सहनशीलता जैसा व्यवहार करने लगें । इस तरह से मार्शल ने यह समझाने का प्रयास किया है कि असमान होते हुए भी लोग किस तरीके से एक दूसरे के सहारा बनने के लिए तैयार हो जाते हैं ।

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नागरिकता का अर्थ (Meaning of Citizenship)

मार्शल ने हमें नागरिकता का मतलब बताया है । मार्शल के अनुसार नागरिकता का मतलब है, किसी समुदाय की संपूर्ण सदस्यता और जब यह सदस्यता किसी व्यक्ति को मिल जाती है तो उसे देश के नागरिकों के बराबर समान अधिकार मिल जाते हैं । और समान कानूनों का पालन भी करना पड़ता है । लेकिन हर देश के अंदर नागरिकों के जो अधिकार होते हैं और जो कर्तव्य होते हैं । वह समान नहीं होते । अलग-अलग देशों के अंदर अलग-अलग अधिकार होते हैं । नागरिकों को अलग-अलग अधिकार दिए जाते हैं और नागरिकों को अलग-अलग कर्तव्यों का पालन भी करना पड़ता है । मार्शल का यह कहना है कि लोगों ने अपनी आवश्यकताओं के लिए परिवार बनाया और समाज बनाया । समाज में सभी लोग अलग-अलग काम करते हैं और समाज में हर व्यक्ति की सभी आवश्यकताएं पूरी हो जाती हैं । समाज में रहने वाले व्यक्ति को अपनी योग्यता के अनुसार काम करने, रहने, खाने आदि का अधिकार होता है । इसलिए समाज में रहने वाले लोग अपनी योग्यता के अनुसार हर काम करते हैं । जिसके कारण समाज के अंदर पूंजीवादी व्यवस्था और बाजार अर्थव्यवस्था अपने आप पैदा हो जाती है ।

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पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की वजह से वजह से अमानता पैदा होती है और कई वर्ग पैदा हो जाते हैं । जिससे वर्ग संघर्ष की संभावना भी जन्म लेती है । इस वर्ग संघर्ष को सिर्फ लोगों को समान अधिकार देकर ही खत्म किया जा सकता है । अगर लोगों को समान अधिकार नहीं दिए जाएंगे तो वर्ग संघर्ष कभी खत्म नहीं हो सकता । इसलिए मार्शल का यह कहना था कि नागरिकता का जो जन्म हुआ था । वह पूंजीवाद के उदय के साथ-साथ हुआ था और वर्ग संघर्ष को रोकने का एक ही तरीका है । समान अधिकार देना । हालांकि सबको समान अधिकार देने से समानता नहीं आ सकती है । लेकिन असमानता की वजह से जो उग्रता वाली भावना है । वह खत्म हो जाएगी ।

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समानता न आने का कारण

अब समझते हैं कि समानता क्यों नहीं आ पाएगी ? क्योंकि हर व्यक्ति के अंदर योग्यता अलग-अलग होती है और हर किसी की अलग योग्यता की वजह से समानता नहीं आ सकती । मार्शल के अनुसार नागरिकता का उदय पूंजीवाद के जन्म के साथ हुआ । पूंजीवाद के उदय के साथ असमानता पैदा हुई और वर्ग संघर्ष की समस्या भी पैदा हुई इसलिए वर्ग संघर्ष को रोकना आवश्यक है । इस वर्ग संघर्ष को रोकने के मार्शल ने  2 उपाय बताएं हैं । पहला उपाय था कि

1 . राज्य पूरी तरह से समानता की स्थापना करें जो कि संभव नहीं है । और दूसरा उपाय यह है कि

2 . असमानता की वजह से जो वर्ग संघर्ष की भावना है उसे कम किया जाए ।

लेकिन ऐसा तभी हो सकता था जब सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए जाएं और सभी नागरिक समान कर्तव्यों का पालन भी करें । हालांकि सभी को समान अधिकार देने से और समान कर्तव्यों का पालन करने से समानता तो नहीं आएगी क्योंकि लोगों के अंदर योग्यता अलग-अलग होती है । परन्तु अमानता की वजह से जो उग्रता वाली भावना है, वह कम हो जाती है । अब लोग एक दूसरे से घृणा नहीं करेंगे । इस तरीके से मार्शल ने यह समझाने की कोशिश की है कि लोग अससमान होते यह भी एक साथ क्यों रहते हैं ।

तो दोस्तों यह था आपका टी एच मार्शल का नागरिकता का सिद्धांत, अगर आपको इस Topic के Detailed Notes चाहिए तो आप हमारे Whatsapp 9999338354 पर Contact कर सकते हैं ।

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