राजनीतिक भागीदारी क्या है

What is Political Participation?

Hello दोस्तों ज्ञानउदय में आपका एक बार फिर स्वागत है और आज ही बात करते हैं, राजनीति विज्ञान के अंतर्गत राजनीति सहभागिता यानी राजनीति भागीदारी के बारे में । इस Post में हम जानेंगे इसका अर्थ, इसकी परिभाषा, अभिकरण, पक्ष, विपक्ष और महत्व के बारे में । तो चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं आसान भाषा में । साथ ही साथ जानेंगें राजनीति भागीदारी के पक्ष और विपक्ष में प्रमुख तर्कों के बारे में ।

राजनीतिक भागीदारी का अर्थ

राजनीतिक भागीदारी या सहभागिता प्रत्येक प्रकार की राजनीतिक व्यवस्था का बहुत जरूरी अंग माना जाता है । लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में यह और भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें नागरिको से भागीदारी की अपेक्षा और आशा की जाती है । राजनीतिक सहभागिता लोकतांत्रिक व्यवस्था का प्राण तत्व कहा जाता है, यद्यपि अधिकतर देशों में राजनीतिक शक्ति केवल कुछ लोगों में ही केंद्रित होती है फिर भी यह सत्ताधारी लोग चाहे कितनी भी मज़बूत क्यों ना हो जनसाधारण को राज्य के मामलों में राजनीतिक सहभागिता के लिए प्रेरित करते हैं, ताकि राजनीतिक सत्ता को सफल बनाया जा सके और राजनीतिक व्यवस्था में स्थायित्व और निरंतरता बनाए रखी जा सके ।

अर्थात राजनीतिक सहभागिता से आशय राजनीतिक व्यवस्था के विभिन्न स्तरों पर नागरिकों की संपूर्ण भागीदारी से है ।

अगर किसी समाज में अधिकांश जनता को राजनीतिक सहभागिता का अवसर नहीं दिया जाता या इससे वंचित रखा जाता है तो वहां बड़ी विकट स्थिति उत्पन्न हो सकती है ।

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आधुनिक अवधारणाओं में राजनीतिक सहभागिता बहुत ही महत्वपूर्ण है । राजनीतिक सहभागिता प्रत्येक राजनीतिक व्यवस्था के विश्लेषण एवं मूल्यांकन का महत्वपूर्ण कारक भी है । राजनीतिक सहभागिता का प्रत्येक राजनीतिक व्यवस्था में महत्व होता है चाहे वह परंपरागत हो या आधुनिक, लोकतांत्रिक हो या तानाशाही ।

एक अवधारणा के रूप में राजनीतिक सहभागिता का उल्लेख रूसो गणतंत्र वादियों के लेखों में मिलता है और राजनीतिक विज्ञान में राजनीतिक सहभागिता का सूत्रपात व्यवहारवादियों द्वारा ही किया गया है ।

राजनीतिक सहभागिता की परिभाषाएं

आइए अब जानते हैं, राजनीतिक सहभागिता की परिभाषाओं के बारे में मैथ्यूज तथा प्रोथो के अनुसार

“राजनीतिक सहभागिता जनता द्वारा प्रत्येक राजनीतिक विचारों को व्यक्त करने से संबंधित सभी प्रकार का व्यवहार है ।”

अर्थात परंपरागत क्रियाओं के अतिरिक्त राजनीति के प्रति विरोध व्यक्त करने या समर्थन प्रदान करने, राजनीतिक नेता उनका विरोध या समर्थन पत्र लिखने तथा प्रदर्शन उपद्रव जैसी विविध राजनैतिक राजनीति क्रियाओं को भी राजनीतिक सहभागिता में शामिल किया जाता है ।

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हर्बर्ट मैगलास्की के अनुसार

“राजनीतिक सहभागिता लोकतंत्र व्यवस्था में सहमति लेने अथवा वापस लेने का एक प्रमुख साधन है, जिसके द्वारा शासकों को जनता स्तुति उत्तरदाई बनाया जाता है ।”

अर्थात राजनीतिक सहभागिता को उनसे स्वीकृति जिनके द्वारा समाज के सदस्य, शासकों के चयन पूर्व लेते हैं उनकी भी ।

राजनीतिक सहभागिता के स्वरूप

राजनीतिक सहभागिता के दो प्रमुख स्वरजप बताये जाते हैं ।  पहला है, विकासपरक और दूसरा है लोकतांत्रिक ।

मत देना तथा दिलाना याचिका प्रस्तुत करने सत्ताधारी प्रतिनिधियों पर दबाव डालने, रैली निकालने, किसी विशेष मुद्दे पर धरना प्रदर्शन करने और जनप्रतिनिधियों का क्रोध और प्रदर्शन करना राजनीतिक सहभागिता के प्रमुख औजार माने जाते हैं ।

वर्तमान युग में राजनीतिक गतिविधियों में तथा उत्तरदाई में भर्ती होने के साथ-साथ राजनीतिक सहभागिता में भी वृद्धि हुई है । विकसित समाज के हरेक सामाजिक पहलू से राजनितिक सहभागिता का गहरा जुड़ा है और इसलिए लोकतांत्रिक में नागरिकों की भागीदारी को लोकतंत्र की एक आवश्यक शर्त माना जाता है ।

लोकतांत्रिक सहभागिता का स्वरुप

राजनीतिक सहभागिता अथवा भागीदारी यह गतिविधि है जिसके अंतर्गत कोई व्यक्ति सार्वजनिक नीतियों और नियमों के निर्माण में सक्रिय रुप से भाग लेता है । राजनीतिक सहभागिता के दो तरीके हैं । पहला है सामुदायिक गतिविधि एवं दूसरा हैं सरकार अब नागरिकों के मध्य सकरी परस्पर क्रिया।

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राजनीतिक सहभागिता को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक

1. सामाजिक कारक

राजनीतिक सहभागिता स्वम अच्छा नहीं है बल्कि राजनीतिक समाजीकरण का परिणाम है । इसमें शिक्षा अलग अलग लिंग, आयु, व्यक्तियों के आए निवास स्थान, गतिशीलता, धर्म, प्रजाति और सामूहिक प्रभाव जैसे अनेक सामाजिक कारक शामिल होते हैं ।

2. मनोवैज्ञानिक कारक

यद्यपि व्यक्ति अकेले नहीं रहता है, वह एक सामाजिक प्राणी होता है । इसलिए व्यक्ति अकेले न रहकर अन्य लोगों से सहयोग करने की स्थिति, राजनीतिक सहभागिता को प्रेरित करती है । एक जिज्ञासु प्राणी होने के कारण व्यक्ति राजनीतिक सहभागिता द्वारा राजनीतिक पर्यावरण को समझने का प्रयास करता है । यह चेतन मनोवैज्ञानिक स्थितियों या मानसिक तनाव की स्थिति से भी प्रेरित हो सकती है और राजनीतिक सहभागिता मानसिक तनाव को कम करने और व्यक्ति को इससे दूर ले जाने में सहायक हो सकती है ।

3. राजनीतिक कारक

सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक कारकों के अतिरिक्त कुछ राजनीतिक कारण भी राजनीतिक सहभागिता को प्रभावित करते हैं । अगर राजनीतिक संचार के माध्यम नहीं है अथवा अपनी भूमिका ठीक प्रकार से नहीं निभा रहे हैं या सरकारी संस्थाएं जटिल व कठोर नियमों में जकड़ी हुई है तो राजनीतिक सहभागिता की संभावना कम होगी । स्वतंत्र गतिविधियां राजनीतिक विचारों को व्यक्त करने की स्वतंत्र माध्यमों की उपलब्धता राजनीतिक जागरूकता तथा राजनीतिक प्रभाविता भावना भी राजनीतिक सहभागिता को प्रभावित करते हैं ।

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साथ ही जिन देशों में राजनीतिक जागरूकता जितनी अधिक होती है, वहां के नागरिकों की राजनीतिक सहभागिता का स्तर भी उतना ही व्यापक होता है ।

4. आर्थिक कारक

राजनीतिक सहभागिता की आर्थिक व्याख्या करने का भी प्रयास किया गया है, व्यक्ति अपने आर्थिक हितों की रक्षा के लिए राजनीति में भाग लेते हैं यद्यपि यह भी एक कारक हो सकता है लेकिन अधिकांश विद्वान इसे स्वीकार नहीं करते हैं तथा यह तर्क प्रस्तुत करते हैं कि राजनीतिक सहभागिता पहले से धनवान लोगों में अधिक पाई जाती है ।

राजनीतिक सहभागिता के प्रमुख अभिकरण

आईये अब जानते हैं राजनीतिक सहभागिता के प्रमुख अभिकरणों के बारे में । जिस की राजनीतिक भागीदारी प्रभावित होती है जो की निम्नलिखित है ।

राजनीतिक भागीदारी के प्रमुख अभिकरण में मुख्यता दबाव समूह आरंभ हुई या कानून प्रस्ताव तैयार करना राइट टू रिकॉल या जनसुनवाई सलाहकार परिषद सविनय अवज्ञा जनमत राजनीतिक हिंसा आदि को शामिल किया जाता है ।

राजनीतिक भागीदारी के पक्ष में तर्क

राजनीतिक सहभागिता के पक्ष में यह दृष्टिकोण नागरिकों में सामाजिक और राजनीतिक सजगता को बढ़ाता है । इससे लोकतांत्रिक उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायता मिलती है । इसके द्वारा राजनीतिक सहभागिता वह भागीदारी स्वयं भाग लेने वाले व्यक्तियों के हितों की रक्षा करती है । यह सामान्य हितों के लिए नागरिकों की एकजुटता को बढ़ाता है तथा लोकतंत्र में आम जनता की सहभागिता को एक सीमा तक ही बढ़ाना उपयुक्त होगा अन्यथा वह हानिकारक रूप ले सकती है क्योंकि राजनीतिक सहभागिता का विवेक संगत उपयोगी सार्थक परिणाम प्रदान कर सकता है ।

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राजनीतिक भागीदारी के विपक्ष में तर्क

सामान्य नागरिकों में इतनी समझ नहीं होती कि वह नियम और नीतियों को बारीकी जान सकें । इसलिए वह व्यर्थ का विवाद बढ़ाते हैं, भागीदारी को नहीं कई बार विरोध का तरीका इतना उग्र होता है कि जिससे जान माल की अत्यधिक हानि होती है । बेवजह के आंदोलन से प्रशासनिक मशीनरी का दुरुपयोग होता है, जिससे देश को नुकसान होता है ।

राजनीतिक भागीदारी का महत्व

आईये अब जानते हैं राजनीतिक सहभागिता के महत्व के बारे में । इससे सार्वजनिक समस्या में जनता की भागीदारी बढ़ती है । प्रशासनिक जवाबदेही बढ़ती है, शासन का विकेंद्रीकरण भ्रष्टाचार पर रोक लगाने में सहायता मिलती है । राजनीतिक सहभागिता उत्तम जीवन का एक जरूरी अंग माना जाता है । इसके साथ-साथ उत्तम समाज की एक अनिवार्य शर्त भी है । लोकतंत्र के अंतर्गत राजनीतिक सहभागिता की उपादेयता सार्वजनिक निर्णय तक पहुंचने में नागरिकों की प्रत्यक्ष राजनीतिक सहभागिता का अधिकतम विस्तार होना है, जिसे सही अर्थों में लोकतंत्र का विकास कह सकते हैं ।

तो दोस्तों ये था राजनीति विज्ञान में राजनीतिक सहभागिता के बारे में, अर्थ, परिभाषा, अभिकरण और इसके महत्व के बारे में । अगर आपको ये Post अच्छी लगी तो अपने दोस्तों के साथ ज़रूर Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!

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