राजनीति का अपराधीकरण क्या है

Criminalization of Politics in Hindi

Hello दोस्तों ज्ञानउदय में आपका एक बार फिर से स्वागत है और आज हम बात करते हैं, राजनीति विज्ञान के अंतर्गत राजनीति के अपराधीकरण के बारे में Criminalization of Politics in Hindi. अगर आसान भाषा में कहें तो इसका अर्थ है राजनीति में अपराधी तत्वों का प्रवेश । राजनीति और अपराध का गठजोड़ देश की लोकतांत्रिक और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के समक्ष महत्वपूर्ण चिंता का विषय रहा है । तो आइए जानते हैं राजनीति में अपराधीकरण के बारे में आसान भाषा में ।

राजनीति का प्राधिकरण का अर्थ

वर्तमान समय में राजनीति में अपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों का समावेश बहुत ही आम बात हो गई है । राजनीति में अपराधीकरण आरोपों का सामना कर रहे लोगों और अपराधियों की बढ़ती भागीदारी अर्थात अपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों और माफियाओं का राजनेता और प्रतिनिधि के रूप में चुने जाना राजनीति का अपराधीकरण माना जाता है ।

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आज के समय में यह मुद्दा वर्तमान में चर्चा का विषय बना हुआ है कि, राजनीति में या राजनीति के अंतर्गत आपराधिक तत्वों के प्रवेश को किस तरह से रोका जाए । इसका आशय सत्ता प्राप्ति, प्रयोग के लिए प्रयोग किए गए कानूनी व असामाजिक तरीकों से है, जो राजनीतिक कार्यशैली के स्वरूप को विकृत करते हैं ।

इसी प्रकार से अपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों का चुनाव प्रक्रिया में भाग लेना, हमारी निर्वाचन व्यवस्था का एक नाजुक अंग बन गया है । इस तरह से नेताओं की दादागिरी, गुंडागर्दी, बदतमीजी हम सभी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है ।

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आज के समय में स्थिति ऐसी हो गई है कि राजनीतिक दलों के बीच इस बात की प्रतिस्पर्धा है कि किस दल में कितने उम्मीदवार अपराधिक पृष्ठभूमि से हैं, क्योंकि इससे उनके चुनाव जीतने की संभावना काफी बढ़ जाती है ।

हालांकि भारत की राजनीति में अपराधीकरण को बढ़ावा देने में नागरिक समाज का भी बराबर योगदान माना जाता है । आम आदमी अपराधियों को ही वरीयता देते हैं । दोस्तों राजनीति का अपराधीकरण किसी एक पार्टी या एक प्रदेश की समस्या नहीं है, बल्कि लगभग हर पार्टी या हर प्रदेश इस समस्या से ग्रस्त है और कुछ प्रदेशों में यह समस्या और भी ज्यादा गंभीर हुई है । अपराधीकरण एक तरह से हमारे लोकतांत्रिक व्यवस्था पर गहरी चोट करता है तथा साथ ही साथ हमारी न्यायिक प्रक्रिया पर भी प्रश्नचिन्ह करना खड़ा करता है ।

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अधिकतर लोग स्वच्छ छवि के लोगों की अपेक्षा धनबल और बाहुबली नेताओं या इस तरह से अपराधिक प्रवृत्तियों वाले व्यक्तियों की तरफ अधिक आकर्षित होते हैं और इस तरह से वह सत्ता में आ जाते हैं ।

यह स्थिति हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था और न्यायिक प्रक्रिया सभी के लिए अत्यंत भय और चिंतनीय विषय है । स्थिति यह है कि अच्छे लोग अब राजनीति में आना ही नहीं चाहते । क्योंकि अपराधिक पृष्ठभूमि के लोग तथा बाहुबली लोग सत्ता में अपनी दावेदारी करने लगे और अपने प्रभाव से चुनाव जीतकर संसद और विधानसभाओं में जाने लगे हैं ।

देश के सर्वोच्च न्यायालय और चुनाव आयोग ने इस प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की है और इसे रोकने का प्रयास भी किया है लेकिन इसके लिए संस्थागत और सामूहिक प्रयास करने की बहुत ज्यादा आवश्यकता है । इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि चुनाव के खर्चे बहुत ज्यादा हो गए हैं । आर्थिक बोझ कौन उठाएगा । इसके लिए धन धनवान व्यक्तियों तथा अपराधिक दृष्टि के धनवान लोगों का शामिल करने की बात तथा उनका सहारा लिया जाता है । इसके बावजूद जनता या आम व्यक्ति इस बात को जानते हुए भी उनको अपना मताधिकार देते हैं । अपराधियों का पैसा तथा बाहुबली राजनीतिक दलों को वोट हासिल करने में मदद करता है और जाति और धर्म जैसे कारकों पर राजनीति है । उसी स्थिति में भी अपराधिक छवि के लोगों चुनाव जीतने जाते हैं ।

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दोस्तों चुनावी राजनीति या भारतीय राजनीति में नैतिकता और मूल्यों का अभाव पाया जाता है और इसके कारण भी अपराधीकरण की समस्या और भी गंभीर हो जाती है और अक्सर राजनीतिक दल अपने निहित स्वार्थों के लिए अपराधीकरण की जांच करने से कतराते हैं और जांच शुरू भी हो जाती है तो अंतिम अंजाम तक नहीं पहुंच पाती ।

अपराधीकरण के प्रभाव

दोस्तों राजनीति के अपराधीकरण के प्रभाव बहुत हैं । अपराधीकरण चुनाव प्रक्रिया में काले धन का प्रयोग करते हैं, जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है । इसके अलावा राजनीति में प्रवेश करके अपराधी सार्वजनिक जीवन में भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं । नौकरशाही, कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका सहित सभी संस्थानों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । इस तरह से देखा जाए तो राजनीति में अपराधीकरण समाज में हिंसा की संस्कृति को प्रोत्साहित करता है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देकर भावी जनप्रतिनिधियों के लिए एक गलत उदाहरण प्रस्तुत करता है ।

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और सब संपूर्ण राजनीति व्यवस्था अपराधियों के सम्मान में सुरक्षा कवच की तरह बचाव पक्ष बनकर खड़ी हो तो राजनीति को अपराधीकरण से आखिर कैसे बचाया जा सकता है आज के दौर का यह प्रमुख मुद्दा बना हुआ है ।

निष्कर्ष के तौर कहा जाए तो इसीलिए जनता को स्वयं जागरूक होना चाहिए । ऐसे लोगों का सत्ता और शासन तंत्र में शामिल होना, लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है । फिर भी जनता को अपने प्रतिनिधियों को चुनाव में सजगता, जागरूकता को महत्व दिया जाना चाहिए, ताकि स्वच्छ छवि के लोग ही राजनीति में आए और मूल्य आधारित और नैतिकता आधारित राजनीति करें ।

तो दोस्तों इस Post में हमने जाना राजनीति में अपराधीकरण Criminalization of Politics in Hindi के बारे में । अगर आपको यह Post अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर Share करें तब तक के लिए धन्यवाद !!

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