राजभाषा का अर्थ

Official Language of India

Hello दोस्तो ज्ञानउदय में आपका स्वागत है, आज हम बात करेंगे संविधान में राजभाषा या आधिकारिक भाषा (Official Language of India) के बारे में । साथ ही साथ इस Post में हम जानेंगे राजभाषा से संबंधित महत्वपूर्ण अनुच्छेदों के बारे में । तो जानते है आसान शब्दों में ।

राजभाषा (Official Language)

भारत बहुत बड़ा देश है । भारत में विभिन्न भाषाओं को बोला जाता है । इस प्रकार समय समय पर अनेक भाषाओं को भारत में संविधान के अनुसार मान्यता दी गई और उनको आधिकारिक रूप से इस्तेमाल करने की सुविधा मिली । इस तरह से हिंदी को राजभाषा के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली ।

अनुच्छेद 120 तथा 210 में तथा भाग 17 के अनुचछेद 343, 344, 345, 346, 347, 348, 349, 350 तथा 351 में राजभाषा हिंदी के संबंध में अनेक प्रावधान किये गए हैं । संविधान के भाग 5 एवं 6 के इन प्रावधानों के साथ ही संप्रति भारत की 22 भाषाओं को संविधान की अनुसूची 8 में मान्यता दी गई है । ये भाषाएँ इस प्रकार हैं ।

हिंदी, पंजाबी, उर्दू, कश्मीरी, संस्कृत, असमिया, ओड़िया, बांगला, गुजराती, मराठी, सिंधी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, मणिपुरी, कोंकणी, नेपाली, संथाली, मैथिली, बोड़ो एवं डोगरी ।

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सन 1967 में 21वें संविधान संशोधन द्वारा सिंधी भाषा 8वीं अनुसूची में जोड़ी गई थी । सन 1992 में 71वें संविधान संशोधन द्वारा कोंकणी, नेपाली तथा मणिपुरी को भी 8वीं अनुसूची में शामिल किया गया । सन 2003 में 92वें संविधान संशोधन द्वारा संथाली, मैथिली, बोडो तथा डोगरी भाषाओं को भी 8वीं अनुसूची में शामिल किया गया है ।

अनुच्छेद 343 के अनुसार संघ की राजभाषा

1) संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी । संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा ।

2) खंड (1) में किसी बात के होते हुए भी, इस संविधान के प्रारंभ से पंद्रह वर्ष की अवधि तक संघ के उन सभी शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा । जिनके लिए उसका ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले प्रयोग किया जा रहा था ।

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परन्तु राष्ट्रपति उक्त अवधि के दौरान, आदेश द्वारा, संघ के शासकीय प्रयोजनों में से किसी के लिए अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिंदी भाषा का और भारतीय अंकों के अंतर्राष्ट्रीय रूप के अतिरिक्त देवनागरी रूप का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगा ।

3) इस अनुच्छेद में किसी बात के होते हुए भी, संसद् उक्त 15 वर्ष की अवधि के पश्चात्‌, कानून द्वारा निम्न प्रावधान

(क) अंग्रेजी भाषा का, या

(ख) अंकों के देवनागरी रूप का,

ऐसे प्रयोजनों के लिए प्रयोग उपबंधित कर सकेगी । जो ऐसी विधि में विनिर्दिष्ट किए जाएं ।

उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों आदि की भाषा

इस प्रकार अनुच्छेद 348 के अनुसार उच्चतम न्यायालय तथा प्रत्येक उच्च न्यायालय की सारी कार्यवाही अंग्रेजी भाषा में होगी तथा संसद के किसी भी सदन या राज्य के विधान-मंडल के प्रत्येक सदन में प्रस्तुत विधेयकों या उनके प्रस्तावित संशोधनों की भाषा अंग्रेजी होगी । साथ ही संसद या राज्य विधान- मंडल द्वारा पारित सभी कानूनों और राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा जारी किए गए सभी अध्यादेशों और सभी आधिकारिक आदेशों, नियमों, विनियमों और उपविधियों के प्राधिकृत पाठ अंग्रेजी में होंगे । किन्तु

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यह व्यवस्था स्थायी न होकर संक्रमणशील व्यवस्था है, क्योंकि यह तब तक लागू रहेगी जब तक संसद कानून बना कर अन्य कोई व्यवस्था न करे । राष्ट्रपति की सहमति से राज्यपाल हिन्दी या राज्य की राज्यपाल का इस्तेमाल उच्च न्यायालय की कार्यवाहियों के लिए प्राधिकृत कर सकते हैं, किन्तु उच्च न्यायालय के निर्णय, डिक्री या आदेश अंग्रेजी में ही होंगे ।

तो दोस्तो ये था, राजभाषा के बारे में अगर Post अच्छी लगी हो तो दोस्तो के साथ ज़रूर share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!

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