लोक प्रशासन की प्रकृति कला या विज्ञान

Nature of Public Administration Art or Science

Hello दोस्तों ज्ञान उदय में आपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम बात करते हैं, राजनीति विज्ञान के अंतर्गत लोक प्रशासन की प्रकृति के बारे में । इस Post में हम जानेंगे लोक प्रशासन कला है या विज्ञान ?  या यह दोनों हैं।  तो चलिए शुरू करते हैं आसान भाषा में ।

हालांकि यह कहना बहुत कठिन है कि लोक प्रशासन कला है या विज्ञान ? परंतु अनेक विद्वानों ने इसे अपने अपने तर्क द्वारा स्पष्ट किया है ।

लोक प्रशासन कला के रूप में

आइए सबसे पहले हम जानते हैं, लोक प्रशासन को कला के रूप में । जिसके अंतर्गत कई विचारकों ने अपने विचार दिए हैं । लोक प्रशासन को कला के रूप में मानने का उद्देश्य, किसी कार्य, उद्देश्य की पूर्ति के लिए व्यक्तियों से कार्य लेना है । इसमें वही व्यक्ति सफल हो सकता है,, जो दूसरों से कार्य कराने का ढंग जानता हो । इस तरह से लोक प्रशासन को कला का रूप दिया जाता है ।

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कला एक अर्जित ज्ञान है, जिसका व्यावहारिक प्रयोग जीवन के लिए उपयोगी होने के रूप में किया जाता है । ज्ञान का क्रियात्मक कार्य यथार्थ रूप कला है । यह एक कौशल है, जो व्यक्तिगत ढंग से व्यवहार में आता है ।

विद्वान एल उर्विक के अनुसार

“प्रशासन एक कला है, क्योंकि अन्य कलाओं की तरह प्रशासन की कला को खरीदा नहीं जा सकता ।”

विद्वान वाइट के अनुसार

“प्रशासन को विज्ञान मानने का प्रश्न भविष्य पर छोड़कर यह मानते हैं कि वर्तमान में यह कला अवश्य है ।”

आईवे टीड और एमपी शर्मा द्वारा इसे ललित कला माना जाता हैं ।

प्रशासन एक कला है क्योंकि इसमें अभ्यास प्रशिक्षण के द्वारा दक्षता को हासिल किया जा सकता है । प्रशासन की योग्यता कौशल है, जिसके लिए अभ्यास बहुत आवश्यक है ।

 लोक प्रशासन के कला के संबंध में तथ्य

कला में अनुभव के आधार पर परिपक्वता आती है । उसी प्रकार लोक प्रशासन में अनुभव के द्वारा विशेष महत्व उत्पन्न होता है ।

किसी कला में सफलता के लिए विशेष रूचि और प्रेरणा की आवश्यकता होती है । एक कुशल प्रशासक के लिए भी रूचि और प्रेरणा जरूरी है । इनके अभाव में कुशल प्रशासक होना संभव नहीं है ।

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कला में निपुणता के लिए अभ्यास सर्व प्रमुख गुण है । प्रशासन का भी विशेष गुण अभ्यास में ही निहित है और इसी कारण नए प्रशासकों को प्रशासनिक प्रशिक्षण दिया जाता है । प्रशासन का भी विशेष गुण अभ्यास में ही निहित है और इसी कारण में प्रशासकों को प्रशासनिक प्रशिक्षण दिया जाता है ।

प्रत्येक कला के कुछ निश्चित सिद्धांत तथा पद्धतियां होती हैं । जिन पर वह आधारित होती है, यदि इन पद्धतियों और सिद्धांतों का पालन नहीं किया जाएगा तो कला में निपुणता नहीं आ सकती । उसी तरह से लोक प्रशासन के भी कुछ निश्चित सिद्धांत हैं । जिनका पालन करके ही प्रशासन में सफलता हासिल की जा सकती है ।

परिवर्तनीय कला का एक प्रमुख गुण है । जिस प्रकार कला की पद्धतियां व प्रक्रिया परिवर्तनशील है । उसी तरह से लोक प्रशासन की प्रक्रिया व पद्धतियां समय व परिस्थितियों के अनुसार बदलती रहती हैं ।

विकास के तत्व के आधार पर भी लोक प्रशासन को कला माना जा सकता है । जिस तरह से कलाओं का विकास होता है, उसी तरह से लोक प्रशासन का भी विकास होता है ।

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लोक प्रशासन एक कला है । यह सिद्धांत की अपेक्षा व्यवहार पर अधिक बल देता है ।

लोक प्रशासन के विज्ञान के पक्ष में तथ्य

हमने जाना कि लोक प्रशासन एक कला है, परंतु कुछ विद्वान इसे विज्ञान भी बताते हैं । आइए जानते हैं लोक प्रशासन को विज्ञान किस आधार पर कहा जा सकता है ।

इस तरह किसी विषय का विज्ञान होना या ना होना उस विषय की विषय वस्तु पर निर्भर नहीं करता बल्कि उसके अध्ययन की पद्धति पर निर्भर करता है । किसी विषय के सुसंगठित, सुव्यवस्थित और क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कहा जाता है । विज्ञान विज्ञान की वह शाखा है जो तथ्यों के आधार पर उनके कार्य करण संबंधों के आधार पर कुछ मान्य निष्कर्षों पर पहुंचने का प्रयास करता है ।

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विज्ञान अनुसंधान एवं पर्यवेक्षण है । उसी प्रकार लोक प्रशासन के अध्ययन में भी वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग किया जाता है । अनुसंधान, परीक्षण, वर्गीकरण, सारणीकरण, निष्कर्ष आदि ।

विज्ञान की भारतीय लोक प्रशासन में भी नियमों का निर्धारण किया जाता है और उसके आधार पर निष्कर्ष निकाले जाते हैं और इनको शर्म नियमों के रूप में स्थापित किया जा सकता है ।

लोक प्रशासन के कुछ निश्चित नियम और सिद्धांत है और यह विषय का क्रमबद्ध अध्ययन करता है, जिसके आधार पर इसे विज्ञान कहा जा सकता है ।

इसके अलावा लोक प्रशासन अनुभव जनित विज्ञान है । इसके अध्ययन में अनुभव तथा प्रयोग को महत्व दिया जाता है । इस आधार पर इसे विज्ञान कहा जा सकता है । इसके अध्ययन में अनुभव तथा प्रयोग को महत्व दिया जाता है । इस आधार पर इसे विज्ञान कहा जा सकता है ।

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अंततः निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि लोक प्रशासन एक जटिल शासन है । लोक प्रशासन शासकीय मामलों के संचालन या प्रक्रिया के रूप में एक कला है, जबकि बौद्धिक अन्वेषण के क्षेत्र में इसे विज्ञान कहा जा सकता है, क्योंकि लोक प्रशासन के अध्ययन पद्धति के कारण इसे विज्ञान माना जाता है । लेकिन भौतिक रसायन आदि विशुद्ध विज्ञान इसे विज्ञान कहा जा सकता है क्योंकि लोक प्रशासन की अध्ययन पद्धति के कारण इसे विज्ञान माना जाता है । लेकिन भौतिक रसायन आदि विशुद्ध विज्ञान की भांति इसे शुद्ध विज्ञान नहीं माना जाता । ऐसा इस कारण है कि यह मानव स्वभाव पर आधारित है, जो अत्यंत परिवर्तनशील है । इस कारण इसमें निश्चित नियम व सटीक भविष्यवाणी का अभाव पाया जाता है ।

तो दोस्तों इस Post में हमने जाना लोक प्रशासन की प्रकृति के बारे में । साथ ही साथ इसके कला और विज्ञान दोनों पक्षों के बारे में जाना और हमने निष्कर्ष भी देखा । अगर आपको यह Post अच्छी लगे तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें तब तक के लिए धन्यवाद !!

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