संविधान क्यों और कैसे (Philosophy of Constitution)
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आज हम बात करते हैं, संविधान के विषय में और जानते हैं 11th Class की Political Science के बारे में । इसके अंदर दो किताबें हैं । एक किताब का नाम है, भारतीय सिद्धांत और व्यवहार और दूसरी किताब का नाम है, राजनीतिक सिद्धांत । दोनों किताबों में 10- 10 चैप्टर हैं ।
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पहले हम भारतीय सिद्धांत और व्यवहार के बारे में जानेंगे । शुरू करते हैं पहला चैप्टर संविधान क्यों और कैसे ? इस चैप्टर को पढ़कर हम संविधान के बारे में कुछ बुनियादी बातें जानेंगे ।
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तो चलिए शुरू करते हैं, पहला चैप्टर संविधान क्यों और कैसे ?
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संविधान का अर्थ (Meaning of Constitution)
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देश को कुछ बुनियादी नियमों की आवश्यकता होती है । और इन नियमों की जानकारी देश के सभी नागरिकों को होनी चाहिए क्योंकि बिना नियमों के देश का शासन नहीं चलाया जा सकता | इस तरीके से
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“संविधान उन नियमों और सिद्धांतों के समूह को कहते हैं जिसके मुताबिक किसी देश का शासन चलाया जाता है ।”
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संविधान का महत्व या आवश्यकता (Importance of Constitution)
संविधान का हर देश के लिए बहुत ज्यादा महत्व होता है, और हर देश को संविधान की आवश्यकता होती है या जरूरत होती है, क्योंकि संविधान समाज को बुनियादी नियमों का समूह उपलब्ध कराता है । संविधान सरकार के विभिन्न अंगों के आपसी संबंधों की व्याख्या करता है । संविधान से ही हमें पता लगता है कि नागरिकों को कौन-कौन से अधिकार दिए गए हैं या नागरिकों के कौन-कौन से कर्तव्य है । और सबसे बड़ी बात, यह सरकार के द्वारा सत्ता के दुरुपयोग को रोकता है । सरकार भी सत्ता का दुरुपयोग नहीं कर सकती । अपनी मर्जी से सत्ता का इस्तेमाल नहीं कर सकती । उसे संविधान के दायरे में रहकर काम करना पड़ता है ।
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संविधान का निर्माण (Construction of Constitution)
भारत का संविधान, संविधान सभा ने बनाया था । संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी । डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा का अस्थाई अध्यक्ष बनाया गया था । 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष चुन लिया गया । संविधान सभा ने 2 साल 11 महीने और 18 दिन में संविधान को बनाकर तैयार कर दिया । इस तरीके से अब 20 नवंबर 1949 को हमारा संविधान बन चुका था । लेकिन इसे लागू किया गया था पूरे 2 महीने बाद यानी 26 जनवरी 1950 को ।
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संविधान सभा (Constitution Assembly)
अब हम जानते हैं संविधान सभा के बारे में । जनता के प्रतिनिधियों की ऐसी सभा जिसका निर्माण संविधान बनाने के लिए किया जाता है, उसे ही संविधान सभा कहते हैं ।
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भारतीय संविधान सभा में कुल 389 सदस्य को शामिल किया जाना था । जिसमें से 296 सदस्य ब्रिटिश इंडिया से लिए जाने थे और 93 भारतीय रियासत से लिया जाना था । लेकिन भारत के बंटवारे की वजह से संविधान सभा का पुनर्गठन करना पड़ा । अब की बार ब्रिटिश इंडिया से 235 सदस्य लिए गए और भारतीय रियासतों से 89 सदस्यों को लिया गया । इस तरीके से संविधान सभा के सदस्यों की संख्या 389 से घटकर 324 हो गई ।
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संविधान का निर्माण करने के लिए बहुत सारे विषय बनाने के लिए कई समितियां बनाई गई । कुल 15 समितियां बनाई गई और इन 15 समितियों के ऊपर 6 सदस्यों वाली प्रारूप समिति बनाई गई । 15 समितियों को अलग-अलग विषय दिए गए थे । संविधान बनाने के लिए प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे डॉक्टर भीमराव अंबेडकर । 15 समितियों के सिफारिशों के आधार पर प्रारूप समिति ने संविधान संविधान का प्रारूप तैयार कर दिया । 4 नवंबर 1948 को इसे जनता के विचार के लिए छोड़ दिया गया और 1 साल के लंबे विचार के बाद डॉ राजेंद्र प्रसाद ने (संविधान सभा के अध्यक्ष) इस पर अपने हस्ताक्षर कर दिए और 26 नवंबर 1949 को इसको पारित घोषित कर दिया गया । लेकिन इसे लागू किया गया 2 महीने बाद यानी 26 जनवरी 1950 को हालांकि हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 को ही बनकर तैयार हो गया था ।
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संविधान को 26 जनवरी को ही क्यों लागू किया गया ?
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अब सवाल ये पैदा होता है कि आखिर संविधान को 26 जनवरी को ही क्यों लागू किया गया किसी और तारीख को क्यों नही ?
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क्योंकि 1929 में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन हुआ था । इस अधिवेशन में कांग्रेस ने कोर स्वतंत्रता का प्रस्ताव पारित किया था । और इस प्रस्ताव के अंदर यह घोषित किया गया था । यह फैसला लिया गया था, कि हम हर साल 26 जनवरी को आजादी के दिन के रूप में मनाएंगे । इसके ठीक अगले साल 26 जनवरी 1930 को पूरे देश में आजादी के दिन के रूप में मनाया गया था और इसी दिन की याद को ताजा करने के लिए लाहौर अधिवेशन को ताजा बनाए रखने के लिए संविधान को लागू किया गया था 26 जनवरी 1950 कोन। लेकिन वर्तमान में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
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भारतीय संविधान एक उधार के थैले के रूप में (Indian Constitution as a Borrow Bag)
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भारतीय संविधान को एक उधार का थैला भी माना जाता है, क्योंकि हमारे संविधान निर्माताओं ने दुनियाभर के संविधान का निरीक्षण किया और जांच पड़ताल की और जिस देश के संविधान की जो चीज अच्छी लगी उसे अपने भारतीय संविधान के अंदर शामिल कर लिया गया । इसलिए भारतीय संविधान के कई प्रावधान ऐसे हैं जिन्हें दूसरे देशों के संविधान से लिया गया है । जैसे की संसदीय प्रणाली ब्रिटेन की अच्छी लगी तो संसदीय प्रणाली ब्रिटेन से उठाकर भारतीय संविधान में लगा दी । संघात्मक व्यवस्था कनाडा की अच्छी लगी, स्वतंत्रता समानता और बंधुत्व का सिद्धांत फ्रांस का अच्छा लगा और राज्य के नीति निर्देशक तत्व आयरलैंड के सिद्धांत से लिए गए थे । मौलिक अधिकार और न्यायपालिका की स्वतंत्रता संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से ली गई थी । इस तरीके से हमारे संविधान को उधार का थैला भी मान सकते हैं
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संविधान की प्रस्तावना (Preamble of Constitution)
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संविधान की प्रस्तावना की आवश्यकता (Need for Preamble of Constitution)
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पंडित जवाहरलाल नेहरू ने, संविधान सभा में 13 दिसंबर 1946 को एक प्रस्ताव पेश किया था । जिसे उद्देश्य प्रस्ताव के नाम से जाना जाता है । यह प्रस्ताव संविधान के उद्देश्य को परिभाषित करता है, और इसे प्रस्तावना भी कहते हैं । संविधान के प्रस्तावना की आवश्यकता इसलिए पड़ी ताकि संविधान को संक्षेप में समझा जा सके । संविधान के उद्देश्य क्या है ? संविधान किन सिद्धांतों पर आधारित है ? या संविधान के आदर्श क्या है ? इन को संक्षेप में हम प्रस्तावना के जरिए समझ सकते हैं ।
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इसलिए प्रस्तावना को संविधान की कुंजी भी कहा जाता है । और संविधान को शुरू करने से पहले प्रस्तावना की शुरुआत करना या या प्रस्तावना से संविधान की शुरुआत करना एक परंपरा बन गई है, तो भारतीय संविधान निर्माताओं ने संविधान की शुरुआत प्रस्तावना से ही की है ।
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संविधान की विशेषताएं (Characteristics of Constitution)
हमारे संविधान की कई सारी विशेषताएं भी हैं । जैसे संविधान एकात्मक और संघात्मक का मिश्रण है । भारतीय संविधान में नागरिकों को बहुत सारे अधिकार दिए गए हैं । स्वतंत्रता दी गई हैं ।
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भारत के अंदर संघात्मक शासन व्यवस्था को अपनाया गया है, लेकिन फिर भी यहां पर इकहरी नागरिकता पाई जाती है, और हमारा संविधान कठोर और लचीला संविधान का मिश्रण है । कठोर संविधान उसे कहते हैं, जिस में परिवर्तन करना बदलाव करना बहुत ही मुश्किल होता है । लचीला संविधान उसे कहते हैं, जिसमें संशोधन करना आसान होता है । भारत का संविधान ना तो अमेरिका के संविधान की तरह कठोर है, और ना ही इंग्लैंड के संविधान की तरह लचीला है ।
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हमारे संविधान में कई प्रावधान ऐसे हैं जिनमें आसानी से संशोधन किया जा सकता है । संशोधन संबंधी प्रस्ताव को किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है । जब संसद के दोनों सदस्य साधारण बहुमत से किसी प्रस्ताव को पास कर देते हैं, और राष्ट्रपति उस प्रस्ताव पर या उस विधेयक पर हस्ताक्षर कर देता है, तो वह संशोधन आसानी से हो जाता है । यह लचीला तरीका है, लेकिन कुछ तरीके ऐसे हैं जो कठोर हैं यानी संशोधन करना आसान नहीं है, बहुत ज्यादा कठिन है । संशोधन करने के लिए विशेष बहुमत के साथ साथ आधे राज्यों की विधानसभाओं की सहमति की भी आवश्यकता होती है । और फिर राष्ट्रपति इस पर हस्ताक्षर करता है, तब जाकर कोई संशोधन होता है । यह तरीका कठोर है, और बहुत ज्यादा कठिन है । इस तरीके से जो भारत का संविधान है । वह कठोर और लचीला संविधान का मिश्रण है ।
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तो दोस्तों यह था आपका 11वीं Class का पहला Chapter विधान क्यों और कैसे, अगर आपको इस Chapter के Detail में Notes चाहिए तो आप हमारे WhatsApp वाले नंबर 9999338354 पर Contact कर सकते हैं | आप इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ Share करें |
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धन्यवाद